आम लोगों में प्रचलित नृत्यों को लोक नृत्य कहा जाता है। सामान्यतः
इसका जन्म क्षेत्र-विशेष में होता है, और यह उस क्षेत्र की भाषा,
संस्कृति और संस्कार को समावेशित कर लेती हैं। लोक नृत्य शास्त्रीय
बंधनों से स्वतंत्र होते है। और इसका आयोजन उद्धत भावनाओं से
प्रेरित होकर किया जाता है। भारत के प्रत्येक राज्य में कोई-न-कोई
लोक नृत्य प्राचीन काल से प्रचलित रहा है।
भारत में प्रचलित प्रमुख लोकनृत्य
इन लोक नृत्यों की अपनी
कुछ विशिष्टताएं होती है। कुछ महत्वपूर्ण लोक नृत्य इस प्रकार हैं।
1. बिहू नृत्य - यह असम राज्य का प्रमुख लोक नृत्य है। असम की
लचारी तथा खासी जनजातियों द्वारा सामूहिक रूप से वर्ष में तीन
बार आयोजित किया जाता है।
2. छाउफ नृत्य - इस नृत्य में ऐतिहासिक व पौराणिक कथाओं को
प्रदर्शित किया जाता है। चैत्र पर्व पर अयोजित किया जाने वाला
यह नृत्य बिहार, बंगाल तथा ओडिशा के आदिवासियों का युद्ध नृत्य है। इस नृत्य में प्रत्येक अंग का अलग-अलग ढंग से प्रदर्शन
किया जाता है।
3. पण्डवानी नृत्य - पांडवों की कथा से संबंधित होने के कारण
इसका नाम ‘पण्डवानी’ नृत्य पड़ा। यह छत्तीसगढ़ राज्य का एकल
नृत्य है। इस नृत्य में नर्तक वाद्ययंत्रों की धुन पर नृत्य एवं अभिनय
के माध्यम से पाण्डवों की कथा का प्रदर्शन करते है।
4. गरबा - नवरात्रि के अवसर पर आयोजित किया जाने वाला स्त्रियों
का यह लोक नृत्य गुजरात राज्य में प्रचलित है। इस नृत्य में एक
स्त्री बीच में खड़े होकर अपने उपर मिट्टी का एक घड़ा रखती
है, जिसमें चारों ओर छिद्र होता है तथा एक दीपक रखा जाता है।
कुछ स्त्रियां बीच में खड़ी स्त्री को घेरा बनाकर वृत्ताकार नृत्य
करती है।
5. छपेली नृत्य - कुमायूं के इस प्रसिद्ध नृत्य में सहजता, उल्लास तथा
निश्चिन्तता की अभिव्यक्ति होती है। इस नृत्य में दो नर्तक होते है,
जो प्रेमी-प्रेमिका, भाई-बहन, जीजा-साली कोई भी हो सकते है।
6. विदेशिया नृत्य - यह लोक नृत्य उत्तर प्रदेश एवं बिहार राज्य के
भोजपुरी भाषा-भाषी क्षेत्रों के ग्रामीण जनता में प्रचलित है, यह
नृत्य मनोरंजन के साथ-साथ सामाजिक एवं पारिवारिक बुराइयों को
उजागर कर लोगों को उपदेश देने का भी कार्य करता है।
7. रासलीला नृत्य - इस नृत्य में गोप एवं गोपियां परंपरागत वेशभूषा
में नृत्य करते है, इस नृत्य में राध-कृष्णा की मुख्य भूमिका होती है। इस नृत्य का प्रचलन उत्तर प्रदेश, बिहार, गुजरात, मणिपुर आदि
कई राज्यों में है।
8. डांडिया नृत्य - डांडिया, गुजरात राज्य का एक प्रसिद्ध नृत्य है,
इसमें स्त्रियां अपने हाथ में छोटे-छोटे, रंग-बिरंगे डांडिए लेकर
वृत्ताकार खड़ी होकर गीत गाती है।
9. तमाशा - महाराष्ट्र राज्य के इस नृत्य नाटिका का विकसित करने
का श्रेय वंशीधर भट्ट को है, यह शास्त्रीय संगीत और नाटक का
मिश्रण है, जिस स्थान पर यह आयोजित होता है, उसे ‘अखाड़ा’
कहते है।,
10. नौटंकी - उत्तर प्रदेश के इस लोकप्रिय प्रतिनिधि लोक नाट्य में
अभिनय और गायन का संगम है, सभी पात्र संवादों की
अभिव्यक्ति खुली आवाज में गाकर करते है, एक सूत्रधार दर्शकों
को कहानी का मूल बताता है, तथा बीच-बीच में हास्य और
नृत्य का समावेश भी होता है।
11. भांगड़ा - पुरुषों द्वारा किया जाने वाला यह नृत्य पंजाब राज्य में
अत्यंत लोकप्रिय है। इसमें वाद्य यंत्रों एवं गायन के साथ-साथ
पुरुषों की टोलियां मस्ती भरा नृत्य करती है।
12. कठपुतली नृत्य - राजस्थान का यह प्रसिद्ध लोक नृत्य है। बलई
जाति के लोगों को इस कला का मर्मज्ञ समझा जाता है। विभिन्न
समारोहों जैसे-विवाह आदि में इस नृत्य का आयोजन किया जाता
है।
13. कालबेलिया नृत्य - पेशे से संपेरे, राजस्थान की कालबेलिया
जनजाति की स्त्रियों का यह नृत्य है। कालबेलिया स्त्रियां पूंजी पर
इजेनी और गीत के सहारे नृत्य करतीं है। नृत्य में धुनें मोहक तथा
गति अत्यधिक तीव्र होती है।
14. घूमर - यह नृत्य घूम-घूम कर लिया जाता है, इस कारण इसे
‘घूमर नृत्य’ के नाम से जाना जाता है। राजस्थान राज्य में प्रचलित
इस लोक नृत्य में केवल स्त्रियां ही भाग लेती है। इसका आयोजन
प्रत्येक मांगलिक एवं पारंपरिक उत्सवों तथा दुर्ग पूजा एवं होली
आदि के अवसर पर किया जाता है।
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