मर्चेंट बैंकिंग क्या है ? मर्चेंट बैंकर कौन कौन से कार्य करते हैं?

प्रारम्भिक अवस्थाओं में जो छोटे छोटे व्यापारी कमीशन लेकर ऋण देने एवं दिलाने का कार्य करते थे उन्हें मर्चेंट बैंकर कहा (merchant banker) जाता था। वर्तमान मर्चेंट बैंकिंग (merchant banking) इससे कहीं अधिक परिवर्तित, परिमार्जित एवं व्यापक अवधारणा है। वर्तमान समय में मर्चेंट बैंकिंग में कम्पनियों एवं निगमों की ओर से पूंजी बाजार में सार्वजनिक निर्गमन का प्रबन्ध किया जाता है। 

विश्व की दृष्टि से सन् 1967 में ग्रिडलेज बैंक द्वारा मर्चेंट बैंकिंग का कार्य प्रारम्भ किया गया। भारत में मर्चेंट बैंकिंग प्रभाग की स्थापना सर्वप्रथम भारतीय स्टेट बैंक द्वारा की गयी, बैंकिंग नियमन अधिनियम में संशोधन के साथ देश के प्रमुख अनुसूचित बैंकों ने मर्चेंट बैंकिंग अनुषंगियों की स्थापना के साथ इस क्षेत्र में विशेषज्ञ सेवायें प्रदान करना प्रारम्भ किया।

मर्चेंट बैंकिंग का अर्थ 

मर्चेंट बैंक निर्गमन गृह के रूप में होते हैं। किसी भी कम्पनी, निगम या अन्य संस्थान को यह अपनी सेवायें किसी भी वृहद् औद्योगिक परियोजना की स्थापना, नवीन परियोजनाओं के प्रवर्तन, नियोजन एवं क्रियान्वयन के लिए प्रदान करते हैं। मर्चेंट बैंक परामर्शदाता के रूप में तकनीकी, वित्तीय, प्रबन्धकीय एवं संगठनात्मक क्षेत्र के लिए अपनी विशेषज्ञ सेवायें प्रदान करते हैं। यह अपनी सेवाओं को वर्तमान समय में किसी कम्पनी या निगम की पुनर्संरचना, सम्पत्तियों के पुनर्मूल्यांकन, कम्पनियों के विलय, एकीकरण एवं अधिग्रहण आदि क्रियाओं के लिए भी प्रदान करते हैं। 

सेबी द्वारा मर्चेंट बैंकिंग नियमावली 1992 में मर्चेंट बैंकर्स को निम्न प्रकार परिभाषित किया गया है - ‘‘प्रतिभूतियों के विक्रय, क्रय या अभियाचना के सम्बन्ध में व्यवस्था करके निर्गमन प्रबन्ध के व्यवसाय में लगा या प्रबन्धक/परामर्शदाता/सलाहकार के रूप में कार्य कर रहा या ऐसे निर्गमन प्रबन्ध के सम्बन्ध में परामर्शदात्री सेवायें प्रदान कर रहा व्यक्ति।’’

मर्चेंट बैंक एवं वाणिज्यिक बैंक में अन्तर

वाणिज्यिक बैंक जनता के धन को जमा करने, उन्हें विभिन्न कार्यों हेतु ऋण प्रदान करने, मूल्यवान वस्तु या प्रपत्र सुरक्षित रखने हेतु लाॅकर सुविधा प्रदान करने के अतिरिक्त अपने ग्राहकांे को अन्य सुविधाओं के रूप में ट्रस्टी या वसीयत प्रबन्धक सुविधायें, साख स्थानान्तरण, क्रेडिट कार्ड, विदेशी विनिमय पूर्ति आदि अन्य सेवायें भी प्रदान करते हैं।

मर्चेंट बैंकों की कार्य प्रणाली वाणिज्यिक बैंकों की तुलना में पृथक होती है। मूलतः मर्चेंट बैंक कम्पनियों एवं निगमों के सार्वजनिक निर्गमनों का प्रबन्ध करते हैं तथा अन्य वित्तीय परामर्श भी प्रदान करते हैं। इसके अतिरिक्त व्यापार को वित्त उपलब्ध कराना, किस्त क्रय प्रदान करना, नवीन निर्गमन का बीमा कराना, एकीकरण, विलय या अधिग्रहण के समय विशेषज्ञ परामर्शदात्री सेवायें प्रदान करना, अप्रवासी निवेशों का प्रबन्ध आदि सेवायें भी प्रदान करते हैं।

मर्चेंट बैंकर्स की सेवायें या कार्य

1. परियोजना प्रबन्ध - किसी परियोजना के प्रारम्भ से उसके पूर्ण रूप से क्रियाशील होने और संचालन सम्बन्धी सेवायें जैसे परियोजना के लिए विशेषज्ञ सलाह या परामर्श, परियोजना प्रतिवेदन, सरकारी या अन्य संस्थाओं से निकासी या अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त करना, विदेशी निवेश आदि प्रदान करते हैं।

2. निवेश संविभाग या पोर्टफोलियो प्रबन्ध - अधिक मात्रा में कोषों का विनियोग करने वाले बड़े विनियोजक अपने निवेश प्रबन्ध की व्यवस्था करने के लिए निर्धारित शुल्क के प्रतिफल में मर्चेंट बैंकर्स की सेवायें प्राप्त करते हैं।

3. परामर्शदाता के रूप में - वर्तमान प्रतिस्पर्धा एवं नवीनीकरण के युग में प्रतियोगिता का स्तर वैश्विक हो गया है। तकनीकों एवं संरचना में नवीन परिवर्तनों को स्वीकार करना प्रतियोगिता में बने रहने के लिए अनिवार्यता बन गया है। अतः ऐसी स्थिति में रूग्ण इकाईयों के पुनरूद्वार, एकीकरण, विलय, अधिग्रहण, पुनर्गठन, तकनीक परिवर्तन आदि के सम्बन्ध में मर्चेंट बैंक अपनी विशेषज्ञ परामर्शदात्री सेवायें उपलब्ध कराते हैं।

4. निर्गमन प्रबन्धन - पूंजी संरचना का निर्धारण, कोष की आवश्यकता का मूल्यांकन, विभिन्न विभागों से अनापत्ति प्राप्त करना, अभिगोपकों आदि से सम्पर्क कराना, प्रविवरण की संरचना एवं स्वीकृति में सहयोग करना आदि प्रारम्भ से अन्त तक अंश/प्रतिभूति निर्गमन प्रक्रिया में मर्चेंट बैंक सहयोग करते हैं एवं सम्बन्धित प्रत्येक क्रिया के निस्तारण हेतु अपनी सेवायें प्रदान करते हैं।

5. अनिवासी भारतीयों को विनियोग परामर्श - मर्चेंट बैंक अपने विशिष्ट विभाग के माध्यम से विदेशी विनियोगों को आकर्षित करने का कार्य करते हैं। इसके अतिरिक्त यदि कोई अनिवासी या प्रवासी भारतीय भारत में कोष विनियोजन करना चाहता है, संयुक्त उपक्रम लगाना चाहता है तो मर्चेंट बैंक कहां, कैसे, कब आदि सभी के सम्बन्ध में आवश्यक विशेषज्ञ परामर्श प्रदान करते हैं तथा समस्त क्रियाओं के निस्तारण में सक्रिय सहयोग प्रदान करते हैं।

मर्चेंट बैंकर्स का नियमन

सेबी मर्चेंट बैंकर्स नियमावली 1992 के अन्तर्गत सेबी के यहां अनिवार्य रूप से पंजीकरण कराना होता है। इसके अतिरिक्त सेबी द्वारा जारी नियमों, उपनियमों एवं आचार संहिता का अनुपालन मर्चेंट बैंक के लिए अनिवार्य है। इसका तीन वर्ष का पंजीकरण शुल्क रू0 5,00,000 तथा नवीनीकरण शुल्क प्रतिवर्ष रू0 2,50,000 ड्राफ्ट द्वारा देय होता है। 

प्रारम्भ में मर्चेंट बैंकर्स को उनके उत्तरदायित्व एवं कार्यक्षेत्र के आधार पर चार श्रेणियों में विभाजित किया गया था, परन्तु अब सेबी द्वारा प्रथम श्रेणी के मर्चेंट बैंकर्स के अतिरिक्त अन्य सभी श्रेणी विभाजन समाप्त कर दिये गये हैं। संस्थान या मर्चेंट बैंकर की न्यूनतम नेटवर्थ 5 करोड़ होना अनिवार्य है। 

इसके अतिरिक्त उसे अपने कर्मचारियों, अवसंरचना, चारित्रिक स्वच्छता, योग्यता अयोग्यता आदि के सम्बन्ध में सेबी को विस्तृत विवरण प्रस्तुत करना अनिवार्य होता है।

मर्चेंट बैंक के लिए आचार संहिता

प्रत्येक मर्चेंट बैंकर को अनूसूची iii में वर्णित आचार संहिता का अनुपालन अनिवार्य है। इसके प्रमुख प्रावधान निम्न प्रकार हैं - 
  1. अपने ग्राहक के साथ व्यवहार में ईमानदारी के उच्च निर्धारित मानकों का अनुपालन। 
  2. ग्राहक को श्रेष्ठतम सेवा प्रदान करना तथा पेशेवर मानकों का अनुपालन। 
  3. किसी भी अनुसूचित प्रतियोगिता में प्रतिभाग से स्वयं को अलग रखना। 
  4. अपने कार्य एवं सेवाओं को ग्राहकों के सामने यथावत प्रस्तुत करना अर्थात अतिश्योक्ति से बचना। 
  5. अपने ग्राहक के विषय में गोपनीय जानकारी अपने तक सीमित रखना। 
  6. निवेशकों को शिकायतों/शंकाओं एवं पूछताछ का शीघ्र, सामयिक एवं उचित समाधान करना तथा प्रगति के सम्बन्ध में आवधिक रूप से उन्हें उचित सूचना प्रदान करना। 
  7. अन्य किसी पक्षकार को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष किसी भी प्रकार की निवेश सलाह नहीं देगा जिससे उसके ग्राहक के हित पर प्रतिकूल प्रभाव हो। यह प्रतिबन्ध मर्चेंट बैंकर के कर्मचारियों पर भी लागू होगा। 
  8. सभी आवश्यक एवं वैधानिक तथ्यों, सूचनाओं एवं विवरण का प्रकटीकरण सुनिश्चित करना जिससे निवेशक को तत्सम्बन्धी निर्णय लेने में सुगमता हो।
  9. अपने पंजीकरण के सम्बन्ध में होने वाले किसी परिवर्तन अथवा सेबी द्वारा किसी दोष के कारण हुई सम्बन्धित कार्यवाही, वित्तीय स्थिति में परिवर्तन आदि ऐसी सभी क्रियाओं की स्पष्ट एवं समय सूचना ग्राहक को देगा जिससे ग्राहक के हित पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता हो अथवा हानि हो सकती हो। 
  10. प्रविवरण, आमन्त्रण प्रपत्र अथवा सम्बन्धित अनिवार्य एवं आवश्यक प्रपत्र निर्गमन अवधि में ससमय निवेशकों के अवलोकनार्थ प्रस्तुत करना।

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