संघीय शासन प्रणाली क्या है व इसके आधारभूत तत्व

संघीय व्यवस्था वह रूप है, जिसमें शक्ति का विभाजन आंशिक रूप से केन्द्र सरकार और राज्य सरकार अथवा क्षेत्रीय सरकारों के मध्य होता है। संघवाद संवैधानिक तौर पर शांति को साझा करता है क्योंकि इसमें स्वषासन तथा साझा शासन की व्यवस्था होती है आजादी के बाद से अब तक भारतीय राजनीति में कई ऐसे परिवर्तन हुए जिसने संघीय प्रणाली को कई स्तरों पर प्रभावित किया, इसके कारण देष में संघवाद के अलग-अलग चरण देखने को मिलते है।
  1. भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूचि के अनुसार जो शक्ति का विभाजन है, उसमें केन्द्र को अधिक वरीयता दी गई है।
  2. केन्द्र सरकार द्वारा राज्यपाल के माध्यम से संघीय व्यवस्था कैसे चलती है?
  3. भाषीय राज्य 1947 में नये राज्य बनाने के लिए भारत के कई पुराने राज्यों की सीमाएं बदल गई हैं, भाषा के आधार पर ।
  4. संस्कृति के आधार पर ।
  5. संघीय व्यवस्था सत्ता की शक्तियों का बंटवारा ही संघ व्यवस्था कहलाता है, इस व्यवस्था का शासन केन्द्र तथा राज्य दोनों द्वारा चलाया जाता है। भारत में संविधान द्वारा संघीय व्यवस्था स्थापित की गई है, वर्तमान में 28 राज्य व 9 केन्द्रषासित प्रदेश हैं।

भारतीय संघीय व्यवस्था के प्रमुख तत्व

  1. शासन शक्तियों का विभाजन संविधान की सातवीं अनुसूची के तहत अनुच्छेद 246 में केन्द्र तथा राज्य के मध्य शक्तियों का बंटवारा किया गया है। 
  2. स्वतंत्र न्यायपालिका संघीय व्यवस्था का प्रमुख तत्व स्वतंत्र न्यायपालिका होती है। इसके द्वारा राज्य व केन्द्र के मामलों को संविधान के तहत हल किया जाता है। 
  3. संविधान की सर्वोच्चयता यह है कि भारत में संविधान को सर्वश्रेष्ठ माना गया है भारत में सभी राज्यों के लिए एक ही संविधान स्थापित्य है। 
  4. भारत में पूरे देष के नागरिकों के लिए एक नागरिकता पाई जाती है। 
  5. भारतीय संघीय व्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए संसद के सदन राज्यसभा की स्थापना की गई है। 
  6. राज्यपाल भारतीय संघीय व्यवस्था के प्रमुख है, जिनकी नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। 
  7. भारतीय संविधान में संशोधन करने के लिए केन्द्र को राज्य से अधिक अधिकार प्राप्त हो संविधान संशोधन में सभी केन्द्र को प्राथमिकता दी गई है, यह एकात्मक प्रणाली का मुख्य तत्व है। 
  8. भारतीय संविधान की प्रमुख विशेषताएं हैं कि पूर े दष्े ा के लिए एक ही प्रकार की दीवानी एवं फौजदारी न्यायालय की स्थापना की गई है, और पूरे देष के लिए एक ही चुनाव आयोग है। 

संघीय शासन प्रणाली के प्रकार

(केन्द्र राज्य संबंधों के आधार पर) 1. परिसंघात्मक प्रणाली संघात्मक प्रणाली 2. एकात्मक प्रणाली संघीय 

1. व्यवस्था में अपनी-अपनी बातों का ध्यान रखना एवं शक्ति का विभाजन एवं केन्द्र का अस्तित्व बना रहेगा, केन्द्र यदि मजबूत रहता है ।

2. भारतीय संघीय व्यवस्था में संविधान द्वारा क्षेत्र के आधार पर शक्तियों के विभाजन या केन्द्रीयकरण के आधार पर दो प्रकार की शासन व्यवस्थाएं हैं-
  1. एकात्मक शासन
  2. संघात्मक शासन
भारत क्षेत्र और जनसंख्या की दृष्टि से विषाल एवं अधिक विविधताएं से परिपूर्ण हैं ऐसी स्थितियों में संघात्मक शासन व्यवस्था भारतीय संविधान द्वारा प्रदत्त की गई है। 

भारतीय संविधान के संघात्मक लक्षण

  1. संविधान की सर्वोच्चता
  2. संविधान के द्वारा केन्द्र सरकार और ईकाईयों की सरकारों में शक्तियों का विभाजन ।
  3. लिखित और कठोर संविधान ।
  4. स्वतंत्र उच्चतम न्यायालय ।
एकात्मक शासन एैसी शासन व्यवस्था है, जिसमें शासन की सम्पूर्ण सत्ता तक केन्द्रीय सरकार में निहित होती है, यदि स्थानीय सरकारों को कोई शक्ति दी गई होती तो वह केन्द्र सरकार द्वारा दी जाती।
  1. सम्पूर्ण शक्ति केन्द्रीय सरकार में ।
  2. संविधान द्वारा शक्ति विभाजन नहीं ।
  3. इकहरी नागरिकता का प्रावधान ।
  4. एक संविधान ।

एकात्मक सरकार के गुण

  1. सत्ता की सार्वभौमिकता । 
  2. शासन की कुशलता । 
  3. कम खर्चीली सरकार ।
  4. एकीकरण की भावना । 
  5. छोटे राज्यों के लिए उपयुक्त।

एकात्मक सरकार के दोष

  1. केन्द्रीय सरकार के निरंकुशता की संभावना 
  2. अकुशल शासन 
  3. स्थानीय चेतना का अभाव 
  4. बड़े राज्यों के लिए अनुपयुक्त
संघात्मक शासन वह शासन व्यवस्था जिसमें कई छोटे-छोटे राज्य एक समझौते के आधार पर एक संध में सम्मिलित होते हैं, तथा अपने लिए एक सम्मिलित संघ सरकार के अधिपत्य को स्वीकार करते हैं।

स्थानीय सरकार की जिम्मेदारीः-सरकारी व्यवस्था को बेहतर करना जिन विभागों में काम सही ढंग से नहीं चल रहा है उनकी समस्याएं और कमजोरियाॅ समझना और उन्हें हल करना नये नियम बनाना जिससे विभाग ठीक प्रकार से काम कर सके, एवं जनता को बेहतर सुविधाएं दे पायें। सरकारी कम्पनियों की समस्याएं हल करने के बजाय उन्हें निजी हाथों में सौपने की तैयारी की ओर बढ़ती जा रही है।

सरकार की मुख्य जिम्मेदारी है, तंत्र को बेहतर बनाना, उसका प्रबंध करने के लिए उसे चुना गया है, निजीकरण के लिए नहीं।

लोकतंत्र में सबसे बड़ी चिन्ता लोगों का अपना शासक चुनन े का अधिकार और शासकों पर नियंत्रण बरकरार रहे। एक व्यापक धरातल पर लोकतांत्रिक सरकारों से यह उम्मीद की जाती है कि वे लोगों की जरूरतों और माँगो का ध्यान रखने वाली हो, और भ्रष्टाचार मुक्त शासन दें। लोकतांत्रिक व्यवस्थाएं अक्सर लोगों को उनकी जरूरतों के लिए परेशान करने के साथ-साथ आबादी के एक बड़े हिस्से की माँगो की उपेक्षा करती है। कई मामलों में लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था निश्चित रूप से अन्य शासनों से बेहतर हो यह वैध शासन-व्यवस्था है। यह सुस्त हो सकती है, कम कार्यकुशल हो सकती है। इसमें भ्रष्टाचार हो सकता है। यह लोगों की जरूरतों को कुछ हद तक अनदेखी कर सकती है। लेकिन यह शासन व्यवस्था लोगों की अपनी व्यवस्था हो इसी कारण पूरी दुनिया में लोकतंत्र के विचार के प्रति जबरदस्त समर्थन का भाव है।

संघात्मक शासन के प्रमुख लाभ

  1. स्वतंत्र अस्तित्व तथा राष्ट्रीय एकता में तालमेल ।
  2. केन्द्र के निंकुषलता का भय नही ।
  3. संविधान की सर्वोच्यता
  4. न्यायपालिका की सर्वोच्यता।
  5. मौलिक अधिकारों की रक्षा।
  6. राजनैतिक चेतना ।
  7. कुषल शासन ।
  8. बडे़ राज्यों के अनुकुल ।

संघीय शासन व्यवस्था के दोष

  1. दुर्बल केन्द्रीय सरकार
  2. केन्द्र तथा ईकाईयों में मतभेद
  3. राष्ट्रीयता की भावना में कमी
  4. दोहरी नागरिकता
  5. धन तथा समय का व्यय
  6. विघटन का भय

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