शाब्दिक और अशाब्दिक बुद्धि परीक्षण में अंतर

बुद्धि का मापन करने के लिए अनेक मनोवैज्ञानिकों ने अनेक बुद्धि-परीक्षण बनाए हैं। बुद्धि-परीक्षण के इतिहास के अध्ययन से ज्ञात होता है कि बिने के पूर्व भी अनेक बुद्धि-परीक्षण तैयार किये गये थे जिनमें कैन्टल का बुद्धि-परीक्षण भी था। किन्तु बिने ने साइमन की सहायता से 1905 में एक बुद्धि-परीक्षण तैयार किया, जिसका एक वैज्ञानिक आधार था और जो सर्वप्रथम ख्याति प्राप्त बुद्धि-परीक्षण के रूप में विभिन्न देशों में प्रयोग में लाया गया। 

इसमें कई सुधर कर इसे नया रूप दिया गया, किन्तु इसकी तुलना में अनेक बुद्धि-परीक्षण तैयार किये जाने लगे। आज बुद्धि मापन के लिए अनेक बुद्धि-परीक्षण उपलब्ध है। यदि हम बुद्धि-परीक्षणों के प्रकारों पर दृष्टि डालें तो उन्हें दो वर्गों में विभक्त किया जा सकता है-
  1. वैयक्तिक तथा सामूहिक बुद्धि-परीक्षण
  2. शाब्दिक तथा अशाब्दिक बुद्धि-परीक्षण
बुद्धि-परीक्षणों के विभिन्न प्रकारों का उल्लेख करने से पहले उपर्युक्त दोनों वर्गीकरण के स्वरूपों तथा उनके अंतर को समझ लेना आवश्यक है-

वैयक्तिक तथा सामूहिक बुद्धि परीक्षण

वैयक्तिक बुद्धि-परीक्षण वे होते हैं जिसके द्वारा एक समय में एक व्यक्ति की बुद्धि की परीक्षा होती है। इसके विपरीत जब एक समय में कई व्यक्तियों की एक साथ बुद्धि-परीक्षा होती है, तो उसे सामूहिक बुद्धि-परीक्षण कहते हैं। वैयक्तिक तथा सामूहिक बुद्धि-परीक्षणों में अंतर होता है, जो निम्नलिखित हैं-

वैयक्तिक तथा सामूहिक बुद्धि-परीक्षण में अंतर

वैयक्तिक तथा सामूहिक बुद्धि परीक्षण में निम्नलिखित अंतर पाया जाता है-

सामूहिक बुद्धि परीक्षण वैयक्तिक बुद्धि परीक्षण
1. यह परीक्षा प्रायः 45 से 90 मिनट के भीतर पूरी हो जाती है।  1. इस परीक्षण में अधिक समय लगता है।
2. इस परीक्षा को सामान्य योग्यता का व्यक्ति भी ले सकता है।  2. इस परीक्षा को केवल प्रशिक्षित व्यक्ति ही ले सकता है।
3. यह बड़े बालकों और वयस्कों के लिए उपयुक्त है।  3. यह छोटे बालकों के लिए अधिक उपयुक्त है। 
4. इसमें प्रश्न सरल होते हैं।  4. इस परीक्षा में प्रश्न कठिन होते हैं।
5. इसमें प्रश्न सरलता से बन जाते हैं।  5. इस परीक्षा के प्रश्नों को बनाने में कठिनाई होती है। 
6. इसमें कम धन की आवश्यकता होती है। 6. इस परीक्षा में धन अधिक खर्च होता है।

उपर्युक्त विवेचन के उपरान्त हम कह सकते हैं कि व्यक्तिगत परीक्षण सामूहिक परीक्षण की तुलना में श्रेष्ठ है। व्यक्तिगत परीक्षण में अधिक धन, समय और प्रशिक्षित व्यक्ति की आवश्यकता होती है। इसीलिए सामूहिक परीक्षणों का अधिक प्रयोग किया जाता है। किन्तु जहाँ तक प्रामाणिकता और विश्वसनीयता का प्रश्न है, व्यक्तिगत परीक्षण अधिक उपयुक्त प्रतीत होते हैं।

शाब्दिक तथा अशाब्दिक बुद्धि परीक्षण

शाब्दिक बुद्धि परीक्षण में भाषा का प्रयोग अधिक होता है। इस परीक्षण में एक साथ बहुत से प्रश्न एक छोटी-सी पुस्तिका के रूप में संग्रहीत होते हैं। शाब्दिक परीक्षणों में शब्दों और संख्याओं का अधिक प्रयोग किया जाता है। इस परीक्षा में व्यक्ति को भाषा तथा अंक का ज्ञान होना आवश्यक है। अशाब्दिक बुद्धि परीक्षण में भाषा का प्रयोग नहीं किया जाता है। इस परीक्षण में कुछ कार्य करने के लिए निर्देश दिये जाते हैं। इसलिए इसे क्रियात्मक परीक्षण भी कहते हैं। क्रियात्मक बुद्धि-परीक्षणों का प्रयोग भाषा विशेष न जानने वाले लोगों या निरक्षर लोगों के लिए किया जाता है। अधिकांश अशाब्दिक अथवा क्रियात्मक बुद्धि परीक्षण वैयक्तिक रूप में है।

अशाब्दिक बुद्धि परीक्षण में भाषा का प्रयोग नहीं किया जाता है। कुछ कार्य करने के निर्देश दिए जाते हैं।, इसीलिए इसे क्रियात्मक परीक्षण भी कहते हैं।

शाब्दिक तथा अशाब्दिक बुद्धि परीक्षण में अंतर

शाब्दिक तथा अशाब्दिक बुद्धि-परीक्षण में निम्नलिखित अन्तर पाया जाता है-

शाब्दिक बुद्धि परीक्षण अशाब्दिक बुद्धि परीक्षण 
1. शाब्दिक परीक्षण में व्यक्ति को भाषा तथा संख्याओं का ज्ञान आवश्यक है।  1. अशाब्दिक परीक्षण में व्यक्ति को भाषा तथा गणित का ज्ञान आवश्यक नहीं है।
2. शाब्दिक बुद्धि-परीक्षण के अनुक्रिया का अंकन परीक्षण पुस्तिका में दिये गये निर्देशों को पढ़कर उसी पुस्तिका में करना होता है।  2. अशाब्दिक बुद्धि परीक्षण में परीक्षणकत्र्ता मौखिक निर्देश देता है और परीक्षार्थी मौखिक निर्देशानुसार कार्य करता है। निर्देश लिखित भी हो सकते हैं, किन्तु अनुक्रिया के लिए शब्दों या अंकों का प्रयोग नहीं होता।
 3. अनुक्रिया अंकित करने के लिए शाब्दिक परीक्षण में शब्द/वाक्य पर चिह्न लगाना, रिक्त स्थान की पूर्ति, मिलान करना, टिक लगाना आदि विधियों का प्रयोग होता है। 3. अशाब्दिक परीक्षण में चित्रों को पहचानना, अंग पूर्ति करना, आकृतियाँ बनाना, चित्र के अनुसार गुटकों को जोड़ना आदि विधियों का प्रयोग किया जाता है।
4. शाब्दिक परीक्षण में समय का बन्धन अधिक महत्त्वपूर्ण नहीं होता।  4. अशाब्दिक परीक्षण में बुद्धि का माप करने के समय सीमा का बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है।
5. भाषा के विकास का प्रभाव बुद्धि-परीक्षण के निष्कर्ष पर पड़ता है।  5. भाषा के ज्ञान के स्तर का प्रभाव बुद्धि-परीक्षण के निष्कर्ष पर नहीं पड़ता है। 
6. अधिकांश शाब्दिक बुद्धि-परीक्षाएँ सामूहिक रूप से ली जाती हैं।  6. अशाब्दिक बुद्धि-परीक्षाएँ प्रायः वैयक्तिक रूप से ली जाती हैं।

भारत में बुद्धि-परीक्षा 

भारत में बुद्धि-परीक्षा का विकास अभी कुछ दिनों पूर्व ही हुआ है। उपर्युक्त वर्णित बुद्धि-परीक्षा में ‘बिने-परीक्षा’ को भारतीय परिस्थितियों में प्रयोग करने का प्रयास किया गया। बुद्धि-परीक्षा सम्बन्धी कार्य देश के विभिन्न राज्यों के विश्वविद्यालय में उनके ‘शिक्षा विभाग’ तथा मनोविज्ञानशाला में किये जो रहे हैं। सन् 1922 ई. में डाॅ. सी. एच. राइस ने ‘हिन्दुस्तानी बिने कार्यात्मक परख’ का प्रकाशन किया। यह परीक्षा बिने की परीक्षाओं का संशोध्ति रूप है। इसके बाद जो क्रियात्मक बुद्धि-परीक्षण बनाये गये, उनमें डाॅ. भाटिया का ‘क्रिया परीक्षण समूह’ उल्लेखनीय है। 

भाटिया क्रियात्मक परीक्षण समूह- अलेक्जेण्डर द्वारा बनाये गये क्रियात्मक परीक्षण समूह के आधर पर बालकों के लिए डाॅ. भाटिया ने क्रियात्मक परीक्षण का निर्माण किया। निम्नलिखित पाँच परीक्षण सम्मिलित किये गये हैं- टास्क आपके विचार में भारत में बुद्धि परीक्षण देर से शुरू होने के क्या-क्या कारण हो सकते हैं? 
  1. कोहज ब्लाक डिजाइन टेस्ट। 
  2. अलेक्जेण्डर्स पास एलांग टेस्ट। 
  3. पैटर्न ड्राइंग टेस्ट 
  4. इमिडिएट मेमोरी टेस्ट फार डिजिट्स 
  5. पिक्चर कान्सट्रक्शन टेस्ट 

पैटर्न ड्राइंग टेस्ट में अलग-अलग कार्ड पर आठ रेखाचित्र बने हैं। इन्हें सामने रखकर उसी प्रकार का चित्र बनाने के लिए कहा जाता है। 

इमिडिएट मेमोरी टेस्ट फार डिजिट्स में कुछ संख्या जैसे 7, 5, 11, 4 कहकर या दिखाकर तुरन्त उसे दोहराने के लिए कहा जाता है। 

पिक्चर कन्सट्रक्शन टेस्ट में भारतीय जीवन को दिखाने वाले पाँच दृश्य हैं, इन्हें अलग-अलग टुकड़ों पर रखकर फिर से मिलाने के लिए कहा जाता है। इस क्रिया से पूरा चित्र बन जाता है। 

इन बुद्धि परीक्षाओं के अलावा हिन्दी में बुद्धि परीक्षाएँ बनाई गयी हैं। 
  1. शाब्दिक बौद्धिक परीक्षा- इसका निर्माण मनोविज्ञानशाला, उत्तर प्रदेश में हुआ है। यह परीक्षा दस साल के बालकों से लेकर प्रौढ़ों तक के लिए है। 
  2. शाब्दिक बौद्धिक परीक्षा- यह भी मनोविज्ञानशाला, उत्तर प्रदेश में बनाई हैं, यह आठवीं, दसवीं और बारहवीं कक्षा के बालकों के लिए है। 
  3. शाब्दिक बौद्धिक परीक्षा- यह 10 साल से लेकर 16 साल तक के बालकों के लिए है। इसे डाॅ. एस.ए. मोहसिन ने बनाया है। 
  4. साधारण मानसिक योग्यता परीक्षा- इसका निर्माण डाॅ. एस. जलोटा ने किया है। यह 12 से 16 साल के बालकों के लिए है। 
इनके अतिरिक्त अन्य बहुत से बुद्धि-परीक्षण बनाए गये हैं जिनका प्रयोग आवश्यकतानुसार विभिन्न क्षेत्रों में किया जाता है।

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