अभिक्षमता : अर्थ, परिभाषा, विशेषताएं, प्रकार व मापन

दैनिक जीवन में हम यह देखते है कि उसे किसी विशिष्ट कार्य में रूचि है, हर बच्चें की हर छात्र की रूचियाँ भिन्न-भिन्न होती है, किसी बच्चे संबंध में हम कह सकते है कि इस बच्चे का बडा होकर डाॅक्टर बनना चाहिए अथवा यह लडकी बडी होकर जरूर एक शिक्षिका बन सकती है। इस प्रकार के कथनों का तात्पर्य यह होता है कि उस बालक या छात्र में विशिष्ट प्रतिमा या योग्यता होती है जो उसके व्यवहार से दृष्टिगोचर होती है तथा किसी विशिष्ट क्षेत्र में सफलता प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है। इस तरह की योग्यता जन्मजात होती है तथा व्यक्ति के कार्यों द्वारा प्रकट होती है तथा मनोविज्ञान की भाषा में इसे अभिक्षमता (Apptitude) कहते है।

अभिक्षमता की परिभाषा

फ्रिमन के शब्दों मेंः- ‘‘अभिक्षमता ऐसी विशेषताओं के समूह का दयोतक है, जो (प्रशिक्षण के उपरांत) किसी विशिष्ट ज्ञान, कौशल या संगठित प्रतिक्रियाओं के समुच्चय को अर्जित करने की व्यक्ति की योग्यता की सूचक होती है, जैसे भाषा बोलने, संगीतकार बनने, यांत्रिक कार्य करने की योग्यता’’

ट्रेक्सलर के अनुसार- ‘‘अभिक्षमता व्यक्ति में विद्यमान कोई दषा, गुण अथवा गुणों का समुच्चय है जो किसी ज्ञान, बोध, कौशल के समूहन की उस सीमा का दयोतक है जिसे वह व्यक्ति उपयुक्त प्रशिक्षण में प्राप्त करने योग्य हो सकेगा।’’

अभिक्षमता की प्रकृति

अभिक्षमता से हम व्यक्ति के रूचि योग्यता, रूझान के संबंध में जान सकते हैः
  1. अभिक्षमता मूर्त या वस्तु नही है अपितु यह एक अमूर्त संज्ञा है जो एक गुण को व्यक्त करती है। जो व्यक्ति के व्यवहार से दृष्टिगत होती है।
  2. अभिक्षमता व्यक्ति के गुण को व्यक्त करती हैं
  3. अभिक्षमता व्यक्ति के किसी कार्य करने की योग्यता को व्यक्त करती हैं।
  4. अभिक्षमता पर योग्यता, रूचि का गहरा प्रभाव पड़ता है।
  5. अभिक्षमता से व्यक्ति के वर्तमान की योग्यता के आधार पर भविष्यवाणी करती है।

अभिक्षमता का मापन

अभिक्षमता परीक्षण वह होता है जिसकी रचना किसी विशेष प्रकार की तथा सीमित क्षेत्र की क्रिया करने की योग्यता को मापने के लिए की जाती है, अभिक्षमता मापन हेतु अभिक्षमता परीक्षणों का उपयोग किया जाता है। प्रकृति के आधार पर अभिक्षमता परीक्षण तीन प्रकार के होते है।

1. सामान्य अभिक्षमता परीक्षण

सामान्य कार्यक्षमता का मापन करने हेतु सामान्य अभिक्षमता परीक्षण का उपयोग किया जाता है। यह परीक्षण व्यक्ति की सामान्य बुद्धि, मानसिक योग्यता को मापन करते है। सामान्य बुद्धि द्वारा उपलब्धि या विद्यालयी सफलता, का सफलतापूर्वक कथन किया जा सकता है। कुछ विद्वान इन्हें शैक्षिणिक अभिक्षमता परीक्षण भी कहते है।

2. भेदक अभिक्षमता परीक्षण

मेदक अभिक्षमता परीक्षण इसमें श्रृखंला प्रकार के परीक्षण होते है। या अनेक परीक्षण का समूह या श्रृखंला होती है। अथवा इस प्रकार के परीक्षणों में अनेक उपपरीक्षण होते है। ये विभिन्न परीक्षण या उपपरीक्षण व्यक्ति को भिन्न क्षेत्रों की अभिक्षमताओं को इंगित करते है तथा जिन पर व्यक्ति के द्वारा प्राप्त अंकों को तुलनात्मक विवेचन करके व्यक्ति की अभिक्षमता क्षेत्रों को ज्ञात कर लिया जाता है।

इन परीक्षण की संरचना के अंतगर्त शब्दबोध, आंकिक बोध, स्थानगत बोध, यांत्रिक बोध लिपिकिय क्षमता, स्वभावगत झुकाव आदि से संबंधित उपपरीक्षण होते है।

बैनेट  सीषोर तथा बेजमेन के द्वारा तैयार किया गया विभेदक अभिक्षमता परीक्षण बहुतायात से प्रयुक्त किया जाने वाला परीक्षण है। कक्षा 8 से 12 तक के लिए है तथा इसके दो प्रारूप उपलब्ध है। प्रत्येक प्रारूप में आठ-आठ उपपरीक्षण है एक परीक्षण पुस्तिका में (i) शाब्दिक तर्क (ii) आंकिक योग्यता (iii) अमूर्त तर्क या AR तथा लिपिकीय गति तथा परिषुद्धता या CSA नामक चार उपपरीक्षण होते है। जिनके लिये क्रमशः 30, 30, 25 व 6 मिनट (कुल 91 मिनिट) का समय निर्धारित करता है। दूसरी परीक्षण पुस्तिका में यांत्रिक तर्क  या तथा भाषा प्रयोग नामक चार उपपरीक्षण होते है जिनके लिए क्रमशः 30, 25, 10 और 25 मिनिट कुल 90 मिनट का समय होता है।

आठों परीक्षण पर अलग-अलग प्राप्तांक होते है। उपरोक्त परीक्षण में लिपिकीय परीक्षण गति परीक्षण है तथा बाकी शक्ति परीक्षण है।

3. विषिष्ट अभिक्षमता परीक्षण

विशिष्ट अभिक्षमता परीक्षण इस प्रकार के अभिक्षमता परीक्षण वे परीक्षण है जो किसी विशिष्ट क्षेत्र में अभिक्षमता का मापन करने के लिए प्रयुक्त किये जाते है, जैसे अभिक्षमता का मापन करने के लिए संगीत अभिक्षमता परीक्षण, चिकित्सीय अभिक्षमता परीक्षणों का उपयोग किया जाता है। विशिष्ट अभिक्षमता परीक्षण के उदाहरण निम्नवत है-
  1. होर्न कला अभिक्षमता
  2. पियर कला परीक्षण
  3. संगीत अभिक्षमता प्रोफाईल
  4. शाषोर का संगीत प्रतिभा परीक्षण
  5. विंग का संगीत बुद्धि प्रमापीकृत परीक्षण
  6. मिनीसोटा लिपिकीय परीक्षण
  7. चिकित्सा महाविद्यालय प्रवेश परीक्षण 
  8. पूर्व-अभियांत्रिकी योग्यता परीक्षण
उदाहरणः- संगीतात्मक अभिरूचि परीक्षाएं संगीतात्मक प्रतिभा की खोज के लिए इन परीक्षाओं का निर्माण किया गया है एक संगीतात्मक अभिरूचि परीक्षा का उदाहरण निम्नलिखित है। इसमें निम्नलिखित संगीतात्मक योग्यताओं की ओर ध्यान दिया जाता है।
  1. स्वर की तीव्रता का भेद करना।
  2. स्वर के भारीपन में भेद करना।
  3. समय अंतराल का निश्चय करना।
  4. स्वर कंपन
  5. लय का निर्णय करना।
  6. स्वरात्मक प्रकृति
इस बैटरी की ये पंक्तियों फोनोग्राफ रिकार्डो पर प्रस्तुत की गई है परीक्षार्थी इनकों सुनता है और इनमें भेद करने का प्रयत्न करता है उसे परीक्षक द्वारा दिये गये निश्चित फार्म पर उत्तर देने होते है। इन परीक्षाओं में दिये गये आदेश निम्नलिखित प्रकृति के होते है। ‘‘आप ध्वनियां सुनेगें जो ध्वनि की तीव्रता की दृष्टि से भिन्न होगी आपकों निर्णय करना होगा कि दूसरी ध्वनि की अपेक्षा अधिक तीव्र है या कम यदि वह अधिक है तो ‘एच’ लिखिए और यदि कम है तो ‘एल’ लिखिए। अभियोग्यता परीक्षणों की सहायता से विभिन्न पाठयक्रम में प्रवेश हेतु प्रषिक्षणार्थीयों को चुनाव में बहुत सहायता मिलती है। अभिक्षमता परीक्षण में उचित स्थान पर उचित व्यक्ति का चुनाव किया जा सकता है।

Reference -
1. Aggarwal, J.C. Essential of Educational Pyshcology, Delhi, 1998
2. Chauhan, S.S. Advanced Educational Pyschology, Vikash Publishing New Delhi, 1996.
3. Dandapani, S., Advanced Educational Psychology, New Delhi, Anmol Publication Pvt. Ltd., 2000.
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5. Mathur, S.S., Educational Psychology, Vinod Pustak Mandir, Agra.
6. Gupta, S.P., Uchchatar Siksha Manovigyan Sharda Publishers, Allahabad.

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