अवसर लागत क्या है?

आधुनिक अर्थशास्त्री अवसर लागत की धारण को बहुत महत्व देते हैं। इस धारणा का प्रतिपादन सबसे पहले डी.आई.ग्रीन ने अपने लेख 'Pain Cost and Opportunity Cost' में 1894 में किया था। परन्तु इस धारणा को प्रसिद्ध करने का श्रेय प्रो. नाइट (Prof. Knight) को जाता है। यह धारणा इस मान्यता पर आधारित है कि अर्थव्यवस्था में उत्पादन के साधन सीमित होते हैं और जितनी वस्तुएँ हम चाहते हैं उन सबका निर्माण नहीं किया जा सकता। अतः हमें चुनाव करना पड़ता है। यदि किसी एक वस्तु का उत्पादन किया जाता है तो किसी दूसरी वस्तु का त्याग करना पड़ेगा। उदाहरण के लिए महिला को यदि लिपिस्टिक और पैन के बीच चुनाव करना है और इस चुनाव में यदि पेन खरीदने का निर्णय लेती है तो उसे लिपिस्टिक के बिना रहना पड़ेगा। अतः उसके लिए पैन की लागत वह लिपिस्टिक है जो पैन खरीदने के लिए त्यागनी पड़ी है।

अवसर लागत का अर्थ

किसी भी वस्तु की अवसर लागत एक सर्वश्रेष्ठ विकल्प का बलिदान है। (Opportunity cost is the cost of the next best alternative foregone) अर्थात् एक वस्तु को पैदा करने के लिए दूसरी जिस वस्तु का त्याग करना पड़ता है वह पैदा की गई वस्तु की अवसर लागत कहलाती है। ”‘X’ वस्तु की एक इकाई पैदा करने की अवसर लागत ‘Y’ वस्तु की यह मात्रा होगी जिसका त्याग करना पड़ेगा।“ मान लो एक विशेष प्रकार के श्रमिकों का प्रयोग टी.वी. और फ्रिज बनाने में कर सकते हैं। यदि उनका प्रयोग टी.वी. बनाने में किया जाए तो फ्रिजों के उत्पादन का त्याग करना पड़ेगा अतः टी.वी. की अवसर लागत त्यागे गए फ्रिज होंगे। अवसर लागत को वैकल्पिक लागत, हस्तांतरण आय आदि भी कहा जाता है।

अवसर लागत की परिभाषा

1. फर्गुसन के अनुसार, “  X- वस्तु की एक इकाई उत्पन्न करने की अवसर लागत Y वस्तु की वह मात्रा है जिसका कि त्याग करना पड़ता है। 

 2. प्रो. लिप्सी के अनुसार, “किसी साधन के प्रयोग करने की अवसर लागत दूसरी वस्तु की वह मात्रा है जिसका कि स्पष्टतः त्याग करना पड़ता है।” 

संक्षेप में किसी एक वस्तु की अवसर लागत किसी दूसरी वस्तु के सर्वश्रेष्ठ विकल्प का त्याग होती है। उदाहरण के लिये मान लीजिए एक खेत में उतना ही व्यय करके 500 रू. का गेहूँ, 400 रू. का चावल तथा 300 रू. का आलू उत्पन्न किया जा सकता है तो उत्पादक गेहूँ का उत्पादन करेगा। इस खेत में गेहूँ के स्थान पर चावल अथवा आलू भी उत्पन्न किये जा सकते हैं। अतः गेहूँ के विकल्प चावल व आलू दोनों हैं। किन्तु गेहूँ का सर्वश्रेष्ठ विकल्प चावल है न कि आलू। अतः गेहूँ की अवसर लागत 400 रू. के चावल होंगे 300 रू. के आलू नहीं। इसलिए किसी वस्तु की अवसर लागत उसके सर्वश्रेष्ठ विकल्प के बराबर होती है। अवसर लागत में सुनिश्चित और अंतर्निहत दोनो प्रकार की लागते शामिल होती हैं। सुनिश्चित लागतें वे सीधे खर्चे हैं जो एक फर्म को वस्तुएं एवं सेवाएं खरीदने के लिए किए जाते हैं। उसमें मजदूरी और वेतन, कच्चे माल, बिजली, ईंधन, विज्ञापन, परिवहन और कर के खर्च शामिल हैं। अंतनिर्हित लागतें उद्यमी द्वारा अपने संसाधनों और सेवाओं का आरोपित मूल्य हैं।

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