बाघ की गुफाएं अजन्ता की तरह ही 500-700 ई. समय की है। इन गुफाओं की दीवारों पर बौद्धकला के प्रमुख पहलुओं के चित्र अंकित हैं। कुल 9 गुफाएं थीं। अब केवल 4 मौजूद हैं। इस युग के रंगों में ऐसे तत्वों का प्रयोग हुआ, कि उससे न केवल चित्रांकन का जीवन बढ़ गया, बल्कि चित्रों में भी सजीवता आ गई है। नारियों के वस्त्र तथा आभूषण सुंदरता के साथ बनाये गए हैं।
बाघ की गुफा की खोज
1818 में लेफ्टीनेन्ट डगरलफिल्ड ने सर्वप्रथम बाघ की गुफाओं का विवरण ‘‘साहित्यिक विनिमय संघ’’ की एक पत्रिका के द्वितीय अंक में प्रकाशित करवाया था। बाद में एरिक्सन और डाॅ. इम्प े ने बाघ के गुफा चित्रों पर विस्तृत जानकारियाॅ प्रकाशित की। सन् 1929 में कर्नल सी.ई.ल्युवर्ड ने रायल एषियाटिक सोसायटी की पत्रिका में एक गवेषणात्मक लेख लिखा। सन् 1910 में असीत कुमार हलदार और 1925 में मुकुल चन्द्र डे ने भी बाघ के चित्रांे पर अपने- अपने विस्तृत लेख प्रकाशित किए।बाघ की गुफाओं की संख्या और इनके नाम
बाघ में कुल नौ गुफाएं थीं, जो सभी विहार गृह थे। इन
गुफाओं के कई नाम प्रचलित थे। पहली गुफा का नाम ‘‘गृह
गुफा’’, दूसरी गुफा गुसाई अथवा ‘‘पचं पाण्ड’ू ’ की गुफा कहलाती
है। तीसरी गुफा को ‘‘हाथीखाना’’, चैथी गुफा को ‘‘रगं महल’’,
पाॅचवी को ‘‘पाठशाला’’ कहा जाता है। छठी, सातवीं, आठवीं व
नवीं गुफाएं आवागमन की दृष्टि से अवरुद्ध सी हैं, फलतः इनके
नाम भी प्रचलन में नहीं रहे हैं।
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