भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) का गठन, कार्य, अधिकारों व शक्तियों का वर्णन

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी)

स्टॉक एक्सचेंज में प्रतिभूतियों के क्रय विक्रय में पारदर्शिता लाने तथा सभी व्यवहारों को नियमानुसार संचालित करने के लिए जिस स्वतन्त्र इकाई का गठन 4 अप्रैल 1992 को किया गया। उसे सेबी कहते हैं। 

सन् 1992 में भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड अधिनियम के अन्तर्गत भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) का गठन किया गया। गैर संवैधानिक रूप से इसका गठन 12 अप्रैल, 1988 में ही कर दिया गया था, परन्तु इसे संवैधानिक स्वरूप 4 अप्रैल, 1992 में प्रदान किया गया। इसका मुख्यालय मुम्बई में है सेबी को यह अधिकार है कि अन्य स्थानों पर कार्यालय स्थापित कर सकता है। सेबी के दिल्ली, कोलकाता, चेन्नई आदि में क्षेत्रीय कार्यालय स्थापित किये गये हैं।

सेबी का प्रबन्ध- सेबी का प्रबन्ध नौ सदस्यीए बोर्ड द्वारा किया जाता है। जिसका स्वरूप इस प्रकार है-
  1. एक अध्यक्ष जिसकी नियुक्ति केन्द्र सरकार द्वारा की जाती हैं।
  2. केन्द्र सरकार द्वारा नामांकित दो सदस्य जो केन्द्रीय मंत्रालय के अधिकारी होते हैं जो वित्त और कानून के विशेषज्ञ होते हैं।
  3. रिजर्व बैंक आफ इण्डिया द्वारा नामांकित एक सदस्य होते है।
  4. पाँच अन्य सदस्य जिनकी नियुक्ति केन्द्रीय सरकार द्वारा की जाती है जिनमें से कम से कम तीन पूर्णकालीन सदस्य होंगे।

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के मुख्य उद्देश्य

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित है।
  1. शेयर बाजार तथा प्रतिभूति उद्योग को विनियमित करना ताकि क्रमबद्ध ढंग से उनकी क्रियाशीलता को बढ़ावा मिले
  2. निवेशकों को संरक्षण प्रदान करना तथा उनके अधिकारों एवं हितों की रक्षा करना।
  3. व्यापार दुराचारों को रोकना तथा पूँजी बाजार को अधिक प्रतिस्पर्द्धी एवं पेशेवर बनाना।
  4. मध्यस्यों जैसे दलालों, मर्चेन्ट बैकर्स आदि के लिए आयार संहिता विकसित तथा उन्हें विनियमित करना।

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड की स्थापना की आवश्यकता और उद्देश्य

नरसिम्हन समिति की सिफारिशों के आधार पर गठित भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड के गठन से पहले रिजर्व बैंक आफ इण्डिया इस कार्य को करता था, लेकिन रिजर्व बैंक का कार्यक्षेत्र बहुत विस्तृत होने के कारण प्रशासनिक स्तर पर यह अनुभव किया गया कि एक ऐसी संस्था का गठन बहुत आवश्यक है जो कि स्कन्ध बाजार की गतिविधियों को ही नियमित एवं नियंत्रित करने का कार्य करें। यही विचारधारा भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड के गठन का मूल कारण बनी।

सेबी की स्थापना का वास्तविक उद्देश्य स्कन्ध बाजार में व्याप्त अनियमिताओं पर नियन्त्रण तथा अंशधारियों के हितों की सुरक्षा करना है। इसके अलावा इसका उद्देश्य पूंजी बाजार, मर्चेंट बैंकों, म्यूचल फण्डों, विदेशी विनियोगों आदि को भी विनियमित एवं नियंत्रित करना है। सेबी के उद्देश्यों में स्टाॅक एक्सचेंज की सकारात्मक क्रियाओं को प्रोत्साहित करना और विनियोक्ताओं की शिकायतों एवं असन्तुष्टि का शीघ्र निस्तारण भी सम्मिलित है। 

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के कार्य

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड के कार्य सेबी के कार्य निम्नलिखित हैं-
  1. प्रतिभूति बाजार में निवेशकों को सुरक्षा प्रदान करना और प्रतिभूति बाजार को विकसित एवं नियमित करना।
  2. शेयर विपणन तथा किसी भी अन्य प्रतिभूति बाजार में व्यवसाय का नियमन करना।
  3. स्टाॅक दलाल, उप-दलाल, अंश हस्तान्तरण एजेन्ट, ट्रस्टी, मर्चेन्ट बैंकर्स, अंकेक्षक, पोर्टफोलियों प्रबन्धक आदि के कार्यों का नियमन करना एवं उन्हें पंजीकृत करना।
  4. मयूच्युल फण्ड को सम्मिलित करते हुए सामूहिक निवेश की योजनाओं को पंजीकृत करना तथा उसका नियमन करना।
  5. स्वयं नियमित संगठनों को प्रोत्साहित करना।
  6. शेयर बाजार से सम्बन्धित अनुचित व्यापार व्यवहारों को समाप्त करना।
  7. शेयर बाजार से जुड़े लोगों को प्रशिक्षित तथा निवेशकों की शिक्षा को प्रोत्साहित करना।
  8. प्रतिभूतियों के आन्तरिक व्यापार पर नियन्त्रण लगाना।
  9. शेयर बाजार में कार्यरत संगठनों के कार्यकलापों का निरीक्षण करना एवं सुव्यवस्था सुनिश्चित करना।
  10. कम्पनियों के अंशों के सारवान क्रय और आधिपत्य प्राप्त करने को विनियमित करना।
  11. प्रतिभूति प्रसंविदा (नियमन) अधिनियम 1956 के प्रावधानों के अन्तर्गत ऐसे कार्यो को सम्पादित करना एवं अधिकारों का अनुपालन करना जो केन्द्रीय सरकार द्वारा इसे भारित किये गये हों।
  12. ऐसे अन्य कार्य सम्पादित करना जो निर्धारित किये जाए।

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड के अधिकार एवं शक्तियाँ

सेबी को अपने कार्यो को सलतापूर्वक निष्पादन करने के लिए कुछ अधिकार एवं शक्तियाँ प्राप्त हैं जो हैं-
  1. प्रतिभूति बाजार में निवेशकों के हितों की रक्षा करना।
  2. स्टॉक एक्सचेंज केंद्र एवं पारस्परिक कोष एवं इनसे जुड़े हुए व्यक्तियों से निरीक्षण करने, जाँच करने एवं अंकेक्षण करने के लिए सूचना माँगने का अधिकार।
  3. प्रतिभूति बाजारों में धोखा देनेवाला व अनुचित व्यापार व्यवहारों पर रोक लगाने का अधिकार।
  4. प्रतिभूतियों के आन्तरिक व्यापार सौदों को रोकने का अधिकार।
  5. शुल्क तथा खर्चे निर्धारित करने का अधिकार।
  6. स्टॉक एक्सचेंज केंद्र के नियमों एवं उपनियमों के अनुमति का अधिकार।
  7. स्टॉक एक्सचेंज केंद्र के अधिकार अपने हाथ में लेने की शक्ति।
  8. स्टॉक एक्सचेंज केंद्र को मान्यता प्रदान करने अथवा उससे निरस्त करने का अधिकार।
  9. स्टॉक एक्सचेंज केंद्र तथा इनकी क्रियाओं और पूँजी बाजार का आवश्यकतानुसार तथा परिस्थितियों के अनुसार विनिमयन करना।
  10. स्वयत्तशासी संगठनों को प्रोत्साहित करना व उनका नियमन करना।
  11. साहस पूंजी कोषों तथा पारस्परिक निधियों सहित अन्य सामूहिक निवेश योजनाओं का पंजीयन व नियमन।
  12. प्रतिभूति अनुबंध अधिनियम के तहत केंद्र सरकार द्वारा प्रदान किया गए अधिकार का उपयोग करना।
  13. प्रतिभूति बाजार के मध्यस्थों का पंजीयन व नियमन तथा इनके बारे में पर्याप्त सूचनाएँ रखने का अधिकार।
  14. ऐसी विनिर्दिष्ट संस्थाओं से सूचनाएँ माँगने का अधिकार जो बोर्ड के कार्यों के कुशलतम निष्पादन के लिए आवश्यक हैं।
  15. किसी भी मान्यता प्राप्त स्कन्ध विनिमय केन्द्र में किसी भी व्यवहार को उचित आधार पर निरस्त करने का अधिकार।
  16. प्रतिभूति बाजार के निवेशकों की शिक्षा तथा मध्यस्थों के प्रशिक्षण को प्रोत्साहित करना।
  17. निक्षेप निधियों व उसके भागीदारों, प्रतिभूतियों के संरक्षकों, विदेशी संस्थागत निवेशकों, क्रेडिट रेटिंग संस्थाओं तथा अन्य मध्यस्थों का पंजीयन व नियमन करना।
  18. कम्पनियों के प्रविवरणों में विशिष्ट बातों का उल्लेख करने के लिए उन्हें बाध्य करने का अधिकार।
  19. प्रविवरण की जाँच तथा निर्गमन कार्य जारी करने की शक्ति।
  20. बोर्ड के कार्य निष्पादन के लिए कार्यवाही करने का अधिकार।
  21. केन्द्र सरकार द्वारा समय-समय पर सौपे गये कार्यों, अधिकारों आदि का अनुपालन में प्रयुक्त शक्तियाँं।
  22. शेयर बाजार द्वारा अपने यहाँ प्रतिभूतियों का सूचीयन न करने के विरूद्ध अपील की सुनवाई का अधिकार।
  23. कम्पनियों के अंशों का अति सूक्ष्म स्तर पर क्रय करने तथा कम्पनियों की अधिग्रहण क्रियाओं का नियमन करना।
  24. सेबी अधिनियम का पालन न करने वालों पर अर्थदण्ड लगाने का अधिकार। वर्तमान में सेबी के अधिकारों में और वृद्धि कर दी गयी है। केन्द्र सरकार के पास जो अधिकार थे उन्हें भी सेबी को हस्तान्तरित कर दिये गये हैं।

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