डिस्लेक्सिया किसे कहते हैं? डिसलेक्सिक बालक की पहचान

डिसलेक्सया (Dyslexia) ग्रीक भाषा से निकाला गया है। Dys से तात्पर्य निर्धन या अपर्याप्त और Lexis का अर्थ है शब्द। विद्यार्थी जिन्हें डिसलेक्सया है वह पठन स्पेलिंग भाषा को समझने में जो वह सुनते हैं या बोलने तथा लिखने में कठिनाई अनुभव करते हैं।

डिसलेक्सया की परिभाषा वल्र्ड फेडरेशन आफ न्युरोलाॅजी ने दी है। वह है ’’एक विकार जो स्पष्ट होता है पठन को सीखने में कठिनाई से परम्परागत शिक्षण देने के पश्चात भी पर्याप्त बुद्धि होने पर भी तथा सामाजिक-सांस्कृतिक अवसरों के मिलने पर भी’’ यह मूल ज्ञानात्मक अयोग्यताओं पर निर्भर है जो बहुदा शारीरिक वनावट के कारण होती है।

बालको में डिसलेक्सया जन्म के समय से ही हो जाता है। यह भी देखा गया है कि डिसलेक्सया बालक के परिवार के अन्य सदस्य भी डिसलेक्सिक होते हैं। एक अभिभावक भाई या वहिन, चाचा या बाबा दादी को पढने और स्पेलिंग सीखने में कठिनाई हुई होगी। डिसलेक्सया मस्तिष्क की संरचना तथा कृत्यों में विविध का परिणाम होता है।

डिसलेक्सिक बालक की पहचान

डिसलेक्सिक की पहचान उसका वाचन, लेखन तथा गणित में निष्पादन का पता करके की जा सकती है। फिर भी शिक्षकों को इनकी पहचान करने के लिए विशेष प्रशिक्षण देना चाहिए तथा इसके लिए भी कि वह सुधारात्मक विधियों को उनके साथ प्रयोग कर सकें।

एक विधि जो डिसलेक्सिया बालक की पहचान के लिए है वह उसके वर्तनी सम्बन्धी निष्पादन का निरीक्षण है। वह डिसलेक्तिक ऐसी त्रुटियाॅ कर सकता है जैसे tran लिखना train के स्थान पर, shot लिखना shout के स्थान पर, Crit लिखना Correct के स्थान पर srcl लिखना circle के स्थान पर।

डिसलेक्सिया बालक की पहचान उसका गणित में निष्पादन का निदान करके भी किया जा सकता है। वह सीखने में कठिनाई प्रदर्शित कर सकता है। इसका कारण यह है कि गणित भी एक भाषा है। इसके नम्बरों को याद करने में अक्षरों की भांति बहुत ध्यान देना पड़ता है।

डिसलेक्सिक की पहचान सदैव सरल नहीं होती, किन्तु ऊपर हमने डिसलेक्सिक बालक की कुछ सामान्य विशेषताओं का वर्णन किया है। उनमें से कोई भी कमी शिक्षक को विद्यार्थी के डिसलेक्सिक होने के संबंध में सावधान कर देगी, किन्तु उसे याद रखना चाहिए कि यह कठिनाइयों का एक पेर्टन हो जो वह तलाश कर रहा है और उसे विद्यार्थी के सीखने का निरीक्षण कुछ समय तक करना चाहिए इससे प्रथम कि वह उसे डिसलेक्सिक समझे।

उपचारात्मक उपाय  - यह समझना आवश्यक है कि डिसलेक्सिया एक रोग नहीं है वरन एक विशिष्ट प्रकार का मस्तिष्क है। डिसलेक्सिक एक क्षतिग्रस्त व्यक्ति नहीं है। अनेक मशहूर डिसलेक्सिक हुए है। जैसे ऐनसटाईन, ऐडिसन, ल्यूनार्डो डाॅ0 विन्सी हन्स क्रिश्चियन ऐडरसन, बुडरो विलसन इत्यादि। आज भी अनेक प्रसिद्ध व्यक्ति चिकित्सा, मनोविज्ञान शिक्षा, बैंकिंग तथा इंजीनियरिंग के क्षेत्र में हैं जो डिसलेक्सिक हैं। हजारों साधारण व्यक्ति हैं जिन्होंने अपने समस्या समझकर अपनी योग्यताओं को दृढ कर लिया है। उन्होंने भाषा पर प्रभुत्व प्राप्त कर लिया है और जीवन में सफलता प्राप्त की है।

हमारी समस्या अज्ञान की है। हम डिसलेक्सिक की समस्या ो समझने में असफल हो जाते है। यदि उचित सहायता दी जाये तो डिसलेक्सिक को अपनी समस्या सुलझाने के सुनहरे अवसर मिल जायेंगे। वह अपनी बुद्धि और विशिष्ट योग्यताओं का समाज की सेवा के लिए उपयोग कर सकता है।

संदर्भ -
  1. पाठक, पीडी शिक्षा मनोविज्ञान एडीशन 2011 अग्रवाल पब्लिकेशन
  2. माथुर एस एस शिक्षा मनोविज्ञान अठ्ठाईसा संस्करण 7-8, आगरा पब्लिकेशन, आगरा-7
  3. शर्मा, श्रीमती आर के दुबे, श्रीकृष्ण नवी संस्करण राधा प्रकाशन मंदिर आगरा

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