फलन से आप क्या समझते हैं इसके विभिन्न प्रकारों का उदाहरण सहित वर्णन

फलन एक तकनीकी धारणा है जो चरों में पाए जाने वाले संबंध को व्यक्त करती है। जब दो चरों x और y में इस प्रकार का संबंध पाया जाता है कि x के प्रत्येक मूल्य के लिए y का एक निश्चित मूल्य होता है तो हम कहेंगे कि y, x का फलन है। इसे हम निम्न ढंग से व्यक्त कर सकते हैं। 

        y=f(x) जहाँ x एक स्वतन्त्र चर है और y एक आश्रित चर है।

फलन के रूप या प्रकार

फलन के अनेक रूप या प्रकार होते हैं। यहाँ पर फलन के कुछ महत्त्वपूर्ण प्रकारों के बारे में बताया गया है जो कि निम्नलिखित है: -

1. रेखीय फलन

रेखीय फलन वह फलन होता है जिसमें स्वतन्त्र चर x की अधिकतम धात 1 होती है। जिसे निम्नलिखित प्रकार से लिखा जा सकता है।

        Y = ax + b, a ≠ 0 यहाँ a और b अचर हैं।

निम्नलिखित उदाहरण रेखीय फलन को व्यक्त करते हैं:-

        y = 5x + 9, y = 10x+5, y =  1/8 x 

2. बहुपद फलन

एक फलन बहुपद फलन कहलाता है यदिy = f(x) = a0+a1x+a2x2 + ……+ anxn,  यहाँ n एक ऋणेतर पूर्णांक है। an≠0

  1. यदि n = 0, तब हमारे पास  y = a एक स्थिर फलन है।
  2. यदि n = 1, तब हमारे  पास y = a0+a1x एक रेखीय फलन है।
  3. यदि n = 2,  तब हमारे पास  y = a0+a1x+a2x2  एक द्विघातीय फलन है।
  4. यदि a0=a1 ….an-1=0, तब हमारे पास y=axn (an=a लेने परएक n- घातीय फलन है।

3. परिमेय फलन

दो बहुपदों के भिन्नों को परिमेय फलन कहते हैं। उदाहरणत: y=  परिमेय फलन है जहां f(x) तथा g(x) बहुपद फलन है, जिसमें g(x) ≠ 0.

उदाहरणतया, f(x)=(x^2+2x+1)/(x-5),x≠5 परिमेय फलन है।

4. स्पष्ट फलन और अस्पष्ट फलन

एक फलन y = f (x), x का स्पष्ट फलन कहलाता है, यदि y का मान स्पष्ट रूप में x के संदर्भ में दिया गया है। जैसे y = f(x)

लेकिन यदि चर y और x मिश्रित है तब फलन को अस्पष्ट फलन कहा जाता है। जैसे f(x, y) = 0 उदाहरणतया, y = 9x2 + 3 एक स्पष्ट फलन है जबकि x2+y2=a2 एक अस्पष्ट फलन है।

5. घातीय फलन

घातीय फलन वह फलन है जिसमें स्वतन्त्र चर एक घात x के रूप में होता है जैसे कि y=ax जहां a>0, a¹1

6. लघुगणकीय फलन

लघुगणकीय फलन वह होता है जिसमें स्वतन्त्र चर x लघुगणक के रूप में होता है। इसे निम्न प्रकार से लिखा जा सकता है -

 y=loga X  a>0, a¹1 तथा x>1

7. एकल मान और बहुमान फलन -

एक फलन y = f(x), x का एकल-मान फलन तब कहलाता है जब x के एक निष्चित मान पर y का केवल एक ही मान हो। उदाहरणतया, y = x2+1, y = logx एकलमान फलन है। यदि एक फलन में x का मान y के अनेक मान देता है तो उसे बहुमान फलन कहते हैं।

उदाहरण के लिए, y2 = x एक बहुमान फलन कहलाता है।

8. सम और विषम फलन                                     

एक फलन y = f(x) को x का सम फलन तब कहेगें यदि f(-x) = f(x) है। उदाहरणतया, f(x) = x2 एक सम एक समफलन है। उसी प्रकार एक फलन f(x) को x का विषम फलन तब कहते हैं जब f(-x)= - f(x) है।उदाहरणतया f(x) = x3 एक विषम फलन है। यहाँ f(-x) = (-x)3 = - x3 = -f(x)

9. बढ़ते और घटते फलन

एक फलन y = f(x), x का बढ़ते क्रम का फलन कहलाता है जब x में वृद्धि के साथ y के मान में भी वृद्धि होती है। उसी प्रकार एक फलन f(x) का घटते क्रम का फलन कहलाता है जब x के मान में वृद्धि होने पर y के मान में कमी आती हो।

आर्थिक फलन

अर्थशास्त्र में प्रयोग होने वाले कुछ महत्त्वपूर्ण फलन निम्नलिखित हैं :-

1. मांग फलन : यदि वस्तु की कीमत (D) तथा वस्तु की मांगी गई मात्रा (P) दी गई है तो मांग फलन निम्न प्रकार से व्यक्त किया जा सकता है- 

        D = f(P), मांग (D) कीमत (P) का फलन है।

2. पूर्ति फलन : यदि वस्तु की कीमत (P) तथा वस्तु की पूर्ति (S) की मात्रा दी गई है तो पूर्ति फलन को निम्न प्रकार से व्यक्त किया जा सकता है - 

        S = f(P), पूर्ति (S) कीमत (P) का फलन है।

3. कुल लागत फलन : कुल लागत फलन उत्पादन तथा लागत में परस्पर संबंध को व्यक्त करता है। लागत उत्पादन का फलन है, इसे निम्न प्रकार से व्यक्त किया जा सकता हैं :-

          C = f (Q)

C =  कुल लागत

          Q उत्पादन का स्तर


अर्थशास्त्र में हम लागत फलन को निम्न रूप से भी व्यक्त करते हैं -

        1. C= a+b Q (Linear)
         2. C= a+bQ+cQ2 (Quadratic)
         3. C = a+bQ – cQ2 + dQ3 (Cubic) ंa= स्थिर लागत, b = सीमांत लागत


उत्पादन फलन : उत्पादन फलन का संबंध उत्पादन एवं उत्पादन में प्रयोग होने वाले साधनों जैसे: भूमि, श्रम और पूंजी से है। अल्पकाल में उत्पादन का संबंध केवल श्रम के साथ दर्शाया जाता है क्योंकि अल्पकाल में पूंजी को स्थिर माना जाता है। उत्पादन फलन को निम्नलिखित प्रकार से दर्शाया जाता है-

P = f (L, K) ; यहां L श्रम एवं K स्थिर पूंजी है।

(i) कॉब डगलस उत्पादन फलन- कॉब डगलस उत्पादन फलन का उपयोग श्रम एवं पूंजी को उत्पादन के साथ संबधों को दर्शाने के लिए प्रयोग किया जाता है। जिसके कुछ महत्वपूर्ण उदाहरण निम्नलिखित हैं:-

        Y = ALa Kb
        Y = कुल उत्पादन
        L = श्रम की इकाइयां
        K = पूंजी की इकाई
        A, a , b = स्थिरांक एवं उत्पादन प्राचाल

कॉब डगलस उत्पादन फलन में Y, L तथा K तीन चर तथा तीन प्राचल A, a, b  हैं। A कुशलता प्राचाल है जो उत्पादन के पैमाने को दर्शाता है। A का मूल्य अधिक होने पर उत्पादन भी अधिक होगा। जबकि a तथा b  उत्पादन की लोच को प्रकट करते हैं जोकि श्रम तथा पूँजी से संबंधित है।

(ii) स्थिर प्रतिस्थापन लोच का उत्पादन फलन (CES Production Function):- CES उत्पादन फलन को निम्न प्रकार से व्यक्त किया जाता है। 

        
        K = पूंजी उत्पाद
        L = श्रम उत्पाद
        Ƴ = कुशलता प्राचाल
        ઠ = वितरण प्राचाल
        p = प्रतिस्थापन प्राचाल
        जहां   0≤  ઠ  ≤1
                    p≥1

5. आय फलन : आय फलन किसी फर्म की आय एवं बिक्री की गई वस्तुओं की मात्रा के मध्य संबधों को दर्षाता है, आय फलन को निम्न प्रकार से लिया जा सकता है।

R = f(Q)   कुल आय (R) वस्तु की बिक्री की गई मात्रा (Q) पर निर्भर करती है।

6. लाभ फलन : लाभ फलन किसी वस्तु की बिक्री के फलस्वरूप होने वाली आय एवं उत्पादन की लागत के संबधों को दर्षाता है। यदि x वस्तु की उत्पादित मात्रा, R फर्म के कुल आय तथा C कुल लागत है तो लाभ फलन को निम्न प्रकार से व्यक्त किया जाता है-

P  = R(x) – C(x) P  = कुल लाभ

7. उपभोग फलन : उपभेाग आय का फलन है। उपभोग फलन को निम्न ढंग से लिखा जा सकता है-

C = f(Y)   उपभोग (C) आय स्तर (Y) का फलन है। 

फलन की सीमा

यदि एक फलन एक पूर्व निश्चित संख्या पर पहुँचता है तो उसे फलन की सीमा कहा जाता है। इसे निम्न प्रकार से लिखा जा सकता है।

   

    यहाँ x ⟶ a का अर्थ है x, a  के बहुत अधिक नजदीक है परंतु यह ंa के बराबर नहीं है।

1. बाएं पक्ष की सीमा

पर f(x) का अपेक्षित मान हैं। इस मान को a पर f(x) की बाएं पक्ष की सीमा कहते हैं।

2. दाएं पक्ष की सीमा

  पर f(x) का अपेक्षिक मान हैं। इस मान को a पर f(x) की दाएं पक्ष की सीमा कहते हैं।
  • यदि दांए व बाएं पक्ष की सीमाएं संपाती हो तो हम इस उपयनिष्ट मान को x=a पर f(x) की सीमा कहते हैं और इसे सेनिरूपित करते हैं।
  • यदि दाएं और बाएं पक्ष की सीमाएं सपांती नहीं हो तो यह कहा जाता है कि x=a पर f(x) की सीमा अस्तित्वहीन है।

फलन की सीमा ज्ञात करने की विधियाँ

किसी फलन की सीमा ज्ञात करने की मुख्य विधियाँ निम्नलिखित है -
  1. गुणनखंड विधि
  2. प्रतिस्थापन विधि
  3. युक्तिकरण विधि
फलन की सीमा ज्ञात करने की विधियाँ
फलन की सीमा ज्ञात करने की विधियाँ

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