फलन के रूप या प्रकार
फलन के अनेक रूप या प्रकार होते हैं। यहाँ पर फलन के कुछ महत्त्वपूर्ण प्रकारों के बारे में बताया गया है जो कि निम्नलिखित है: -1. रेखीय फलन
रेखीय फलन वह फलन होता है जिसमें स्वतन्त्र चर x की अधिकतम धात 1 होती है। जिसे निम्नलिखित प्रकार से लिखा जा सकता है।2. बहुपद फलन
एक फलन बहुपद फलन कहलाता है यदिy = f(x) = a0+a1x+a2x2 + ……+ anxn, यहाँ n एक ऋणेतर पूर्णांक है। an≠0
- यदि n = 0, तब हमारे पास y = a एक स्थिर फलन है।
- यदि n = 1, तब हमारे पास y = a0+a1x एक रेखीय फलन है।
- यदि n = 2, तब हमारे पास y = a0+a1x+a2x2 एक द्विघातीय फलन है।
- यदि a0=a1 ….an-1=0, , तब हमारे पास y=axn (an=a लेने पर) एक n- घातीय फलन है।
3. परिमेय फलन
दो बहुपदों के भिन्नों को परिमेय फलन कहते हैं। उदाहरणत: y=उदाहरणतया, f(x)=(x^2+2x+1)/(x-5),x≠5 परिमेय फलन है।
4. स्पष्ट फलन और अस्पष्ट फलन
एक फलन y = f (x), x का स्पष्ट फलन कहलाता है, यदि y का मान स्पष्ट रूप में x के संदर्भ में दिया गया है। जैसे y = f(x)
लेकिन यदि चर y और x मिश्रित है तब फलन को अस्पष्ट फलन कहा जाता है। जैसे f(x, y) = 0 उदाहरणतया, y = 9x2 + 3 एक स्पष्ट फलन है जबकि x2+y2=a2 एक अस्पष्ट फलन है।5. घातीय फलन
घातीय फलन वह फलन है जिसमें स्वतन्त्र चर एक घात x के रूप में होता है जैसे कि y=ax जहां a>0, a¹16. लघुगणकीय फलन
लघुगणकीय फलन वह होता है जिसमें स्वतन्त्र चर x लघुगणक के रूप में होता है। इसे निम्न प्रकार से लिखा जा सकता है -y=loga X a>0, a¹1 तथा x>1
7. एकल मान और बहुमान फलन -
एक फलन y = f(x), x का एकल-मान फलन तब कहलाता है जब x के एक निष्चित मान पर y का केवल एक ही मान हो। उदाहरणतया, y = x2+1, y = logx एकलमान फलन है। यदि एक फलन में x का मान y के अनेक मान देता है तो उसे बहुमान फलन कहते हैं।उदाहरण के लिए, y2 = x एक बहुमान फलन कहलाता है।
8. सम और विषम फलन
एक फलन y = f(x) को x का सम फलन तब कहेगें यदि f(-x) = f(x) है। उदाहरणतया, f(x) = x2 एक सम एक समफलन है। उसी प्रकार एक फलन f(x) को x का विषम फलन तब कहते हैं जब f(-x)= - f(x) है।उदाहरणतया f(x) = x3 एक विषम फलन है। यहाँ f(-x) = (-x)3 = - x3 = -f(x)9. बढ़ते और घटते फलन
एक फलन y = f(x), x का बढ़ते क्रम का फलन कहलाता है जब x में वृद्धि के साथ y के मान में भी वृद्धि होती है। उसी प्रकार एक फलन f(x) का घटते क्रम का फलन कहलाता है जब x के मान में वृद्धि होने पर y के मान में कमी आती हो।आर्थिक फलन
अर्थशास्त्र में प्रयोग होने वाले कुछ महत्त्वपूर्ण फलन निम्नलिखित हैं :-2. पूर्ति फलन : यदि वस्तु की कीमत (P) तथा वस्तु की पूर्ति (S) की मात्रा दी गई है तो पूर्ति फलन को निम्न प्रकार से व्यक्त किया जा सकता है -
C
= f (Q)
C = कुल लागत
Q = उत्पादन का स्तर
1. C= a+b Q (Linear)
2. C= a+bQ+cQ2 (Quadratic)
3. C = a+bQ – cQ2 + dQ3 (Cubic) ंa= स्थिर लागत, b = सीमांत लागत
P = f (L, K) ; यहां L श्रम एवं K स्थिर पूंजी है।
(i) कॉब डगलस उत्पादन फलन- कॉब डगलस उत्पादन फलन का उपयोग श्रम एवं पूंजी को उत्पादन के साथ संबधों को दर्शाने के लिए प्रयोग किया जाता है। जिसके कुछ महत्वपूर्ण उदाहरण निम्नलिखित हैं:-Y = ALa Kb
Y = कुल उत्पादन
L = श्रम की इकाइयां
K = पूंजी की इकाई
A, a , b = स्थिरांक एवं उत्पादन प्राचाल
(ii) स्थिर प्रतिस्थापन लोच का उत्पादन फलन (CES Production Function):- CES उत्पादन फलन को निम्न प्रकार से व्यक्त किया जाता है।
K = पूंजी उत्पाद
R = f(Q) कुल आय (R) वस्तु की बिक्री की गई मात्रा (Q) पर निर्भर करती है।
6. लाभ फलन : लाभ फलन किसी वस्तु की बिक्री के फलस्वरूप होने वाली आय एवं उत्पादन की लागत के संबधों को दर्षाता है। यदि x वस्तु की उत्पादित मात्रा, R फर्म के कुल आय तथा C कुल लागत है तो लाभ फलन को निम्न प्रकार से व्यक्त किया जाता है-P = R(x) – C(x) P = कुल लाभ
7. उपभोग फलन : उपभेाग आय का फलन है। उपभोग फलन को निम्न ढंग से लिखा जा सकता है-C = f(Y) उपभोग (C) आय स्तर (Y) का फलन है।
फलन की सीमा
यदि एक फलन एक पूर्व निश्चित संख्या पर पहुँचता है तो उसे फलन की सीमा कहा जाता है। इसे निम्न प्रकार से लिखा जा सकता है।1. बाएं पक्ष की सीमा
2. दाएं पक्ष की सीमा
- यदि दांए व बाएं पक्ष की सीमाएं संपाती हो तो हम इस उपयनिष्ट मान को x=a पर f(x) की सीमा कहते हैं और इसे से
निरूपित करते हैं।
- यदि दाएं और बाएं पक्ष की सीमाएं सपांती नहीं हो तो यह कहा जाता है कि x=a पर f(x) की सीमा अस्तित्वहीन है।
फलन की सीमा ज्ञात करने की विधियाँ
किसी फलन की सीमा ज्ञात करने की मुख्य विधियाँ निम्नलिखित है -- गुणनखंड विधि
- प्रतिस्थापन विधि
- युक्तिकरण विधि
RS Ilov
ReplyDeleteThanks you ❤️❤️❤️
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