हिक्स के व्यापार चक्र सिद्धांत की व्याख्या, मान्यताएं, आलोचना

हिक्स ने व्यापार चक्र के सिद्धांत की व्याख्या 1950 में अपनी पुस्तक “Contribution to the Theory of theTrade Cycle”में की। हिक्स ने भी सैम्युअलसन की तरह गुणक तथा त्वरक की अन्तर्क्रिया द्वारा व्यापारिक चक्रों की घटने की व्याख्या की है। इन दोनों में अन्तर यह है कि हिक्स ने व्यापार चक्र को आर्थिक विकास से जोड़ दिया है। उन्होंने व्यापार चक्र की समस्या को एक बढ़ती अर्थव्यवस्था की समस्या माना है। अर्थात् एक ऐसी अर्थव्यवस्था जिसमें आर्थिक उतार-चढ़ाव एक बढ़ती प्रवृत्ति के इर्द-गिर्द होते हैं। इस प्रकार हिक्स का व्यापार चक्र मॉडल व्यापार चक्र सिद्धांत को आर्थिक विस्तार के साधनों से जोड़ने की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है।

हिक्स के व्यापार चक्र सिद्धांत का अर्थ

इस सिद्धांत में स्वतन्त्र निवेश को विकास का साधन माना गया है जो बढ़ती जनसंख्या तथा तकनीकी प्रगति के अन्तर्गत अति महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अत: हिक्स के मॉडल में जो धारणाएं महत्वपूर्ण हैं वे इस प्रकार हैं: सन्तुलित विकास दर अर्थात् वास्तविक बचत तथा वास्तविक निवेश में सन्तुलन, प्रेरित व स्वतन्त्र निवेश तथा गुणक-त्वरक अन्तर्क्रिया की प्रक्रियाएं पाई जाती है।

स्वतन्त्र निवेश तथा प्रेरित निवेश में अन्तर इस प्रकार किया गया है कि प्रेरित निवेश उत्पादन स्तर में परिवर्तन का तथा स्वतन्त्र निवेष वर्तमान उत्पादन स्तर का फलन है। हिक्स स्वतन्त्र निवेश में सार्वजनिक निवेष को सम्मिलित करता है जो आविश्कार होने के साथ-साथ बढ़ता है। हैरोड ने इसे दीर्घकालीन निवेषकहा है।

हिक्स के व्यापार चक्र सिद्धांत की मान्यताएं

अपने व्यापार चक्र सिद्धांत को विकसित करने के लिए हिक्स ने निम्न मान्यताओं को लिया है:
  1. हिक्स ने एक प्रगतिशील अर्थव्यवस्था की कल्पना की है जिसमें स्वतन्त्र निवेश नियमित दर से बढ़ रहा होता है ताकि व्यवस्था में सन्तुलन बना रहे।
  2. बचत तथा निवेश दरों में वृद्धि अर्थव्यवस्था को संतुलन पथ से दूर ले जाती है।
  3. हिक्स ने गुणक तथा त्वरक के मूल्यों को स्थिर माना है।
  4. उत्पादन को पूर्ण रोज़गार स्तर से ज्यादा नहीं बढ़ाया जा सकता है।
  5. त्वरक का मूल्य इकाई  से अधिक होता है तथा कुल निवेश कभी भी शून्य से नीचे नहीं गिरता है।
  6. गुणक तथा त्वरक पिछड़े सम्बन्ध के रुप में कार्य करते है।

हिक्स के व्यापार चक्र सिद्धांत की व्याख्या

एक अर्थव्यवस्था सन्तुलन की स्थिति में है। इस अर्थव्यवस्था में स्वतन्त्र निवेश के कारण गुणक की कार्यषीलता से निवेश में कई गुना अधिक वृद्धि होगी, उपभोग बढ़ेगा, अधिक उत्पादन की आवश्यकता होगी, ज्यादा मात्रा में निवेष करना पडे़गा और आय में अधिक वृद्धि होगी। आय में तेजी से वृद्धि होने पर उपभोग की सीमान्त प्रवृति कम हो जाएगी और गुणक व त्वरक की विपरीत क्रियाषीलता के कारण उपभोग में होने वाली कमी के कारण निवेश में अधिक मात्रा में कमी तथा आय में और भी अधिक कमी होगी। इस प्रकार अर्थव्यवस्था तेजी की स्थिति से हटकर मन्दी की अवस्था में आ जाएगी।

चढ़ाव (upswing) के अन्तर्गत गुणक तथा त्वरक की मिली-जुली क्रिया से आय बढ़ती है। अर्थव्यवस्था में गुणक त्वरक की अन्तर्किया से आय प्रजनन तथा निवेष की एक निरन्तर बढ़ती प्रक्रिया प्राप्त होती है जिसको ‘leverage effects’ कहा जाता है। यह प्रक्रिया निरन्तर चलती रहती है जब तक पूर्ण रोज़गार का सीमा बिन्दु (full employments ceiling point) प्राप्त नहीं हो जाता। एक गतिशील अर्थव्यवस्था (dynamic economy) में यह पूर्ण रोज़गार सीमा बिन्दु ऊपर सरकता रहता है, इसलिए स्थैतिक अर्थव्यवस्था की तुलना में इसको प्राप्त करने में अधिक समय लग सकता है। परन्तु जब एक बार यह उच्चतम सीमता (Ceiling) छू ली जाती है तो चक्र नीचे की ओर रूझान कर देता है।

आय का ऊपर वाला मोड़ बिन्दु (turning point)कुछ साधनों जैसे जनसंख्या, तकनीकी, पूँजी स्टॉक आदि द्वारा निर्धारित होता है। विस्तार की प्रक्रिया उच्चतम सीमा से टकराता है तथा नीचे की ओर मुड़ जाता है या कुछ अवस्थाओं में जब गुणक-त्वरक की अन्तर्क्रिया इतनी मजबूत नहीं होती तो सीमा को छूने से पहले ही नीचे की ओर मोड़ शुरू हो जाता है। निवेश में कटौती निरन्तर होती जाती है परन्तु यह कटौती अनन्त तक नहीं होती क्योंकि अर्थव्यवस्था की निचली सीमा (Lower limit)भी होती है जो इस बात निर्भर करती है कि कुल निवेष शून्य से नीचे नहीं गिर सकता। इस निचली सीमा पर कुछ अनिवार्य मूल निवेश, जो मशीनों के रख-रखाव आदि पर खर्च अवश्य करना पड़ता है। इतना ही नहीं स्वतन्त्र निवेश इस अवस्था में अधिक महत्वपूर्ण सिद्ध होता है तथा यह अनिवेष (disinvestment)की मात्रा से अधिक होता है। इस प्रकार शुद्ध निवेश में वृद्धि राष्ट्रीय आय को ऊपर बढ़ाने का कारण बनता है। हिक्स का व्यापारिक चक्र सिद्धांत निम्न रेखाचित्र के द्वारा समझा जा सकता है :


हिक्स का व्यापार चक्र का सिद्धांत


उपरोक्त चित्र में यह दर्शाया गया है कि : AA रेखा स्वतन्त्र निवेश को दर्शाती है। स्वतन्त्र निवेश एक निश्चित दर ‘g’ से बढ़ रहा होता है।

LL रेखा निचली या निम्नत्तम रेखा (Floor line)है जो उत्पादन ने निचले सन्तुलित पथ को दर्षाती है।

EE रेखा उत्पादन के सन्तुलन पथ (Equilibrium Path)को दर्षाती है। यह गुणक-त्वरक अन्तर्क्रिया द्वारा प्राप्त होती है।

FF रेखा पूर्ण-रोजगार सीमा को प्रकट करती है जो साधनों की दुर्लभता होने के कारण अधिकतम उत्पादन या विस्तार को प्रकट करती है। मान्यता यह है कि यह रेखा EE सन्तुलित पथ से ऊपर होती है तथा यह उसी दर से बढ़ रही होती है जिस दर से A A में वृद्धि हो रही होती है।

उपरोक्त चित्र में यह भी दर्शाया गया है कि AA रेखा स्वतन्त्र निवेष में एक स्थिर दर, जिसको हिक्स ने ‘g’ कहा है, से हो रही वृद्धि को प्रकट करती है। स्वतन्त्र निवेश में यह वृद्धि कुल आय में वृद्धि करेगी जो प्रेरित निवेश को त्वरक के अनुसार बढ़ायेगी। स्वतन्त्र निवेष तथा प्रेरित निवेश मिलकर राष्ट्रीय आय को EE रेखा के अनुसार बढ़ायेंगे। अत: EE रेखा आय में सन्तुलित वृद्धि को प्रकट करती है तथा दर्शाती है कि अर्थव्यवस्था में आय समय के साथ EE रेखा के अनुसार बढ़ती जाती है।

जब राष्ट्रीय आय P0 बिन्दु पर होती है तो मान लो अर्थव्यवस्था में नये आविष्कार या युद्ध आदि के कारण स्वतन्त्र निवेष में आकस्मिक बहुत बड़ी वृद्धि हो जाती है। इससे गुणक के द्वारा आय में तेजी में वृद्धि होती है तथा यह EE रेखा के ऊपर चढ़ने लगेगी। राश्ट्रीय आय में तेजी से वृद्धि प्रेरित निवेश को भी अधिक तीव्र गति से बढ़ा देगी। इससे आगे गुणक प्रभाव अपना कार्य करेगा। इसके परिणामस्वरूप गुणक व त्वरक के कारण राश्ट्रीय आय P0 P1के पथ पर बढ़ती जायेगी। परन्तु यह पूर्ण रोज़गार रेखा FF के ऊपर नहीं जा सकती क्योंकि साधनों की सीमितता के कारण इससे आगे राष्ट्रीय आय नहीं बढ़ सकती है। आय जब P1 बिन्दु पर पहुंचती है तो इसका अधिक गति से बढ़ना रूक जाता है क्योंकि अतिरिक्त मानवीय व भौतिक साधन उपलब्ध नहीं होते हैं। सामान्य स्वतन्त्र निवेष में AA के अनुसार वृद्धि होते रहने के कारण पूर्ण रोज़गार के उच्चत्तम स्तर (Ceiling)में भी वृद्धि हो रही होती है क्योंकि इससे पूँजी पदार्थों अर्थात् भौतिक उत्पादक साधनों में वृद्धि हो रही होती है। हिक्स के अनुसार पूर्ण रोज़गार स्तर की रेखा FF उस गति से बढ़ती है जिस गति से स्वतन्त्र निवेष (AA) बढ़ रहा होता है। इससे राष्ट्रीय आय FF रेखा पर P1 से P2 तक बढ़ती जाती है। कुछ समय बाद प्रेरित निवेश की कमी के कारण आय घटना आरम्भ कर देती है। तथा यह P2 से नीचे को गिरने लगती है। नीचे गिरती हुई  आय EE रेखा तक पहुंच जायेगी तथा EE रेखा को भी पार कर जायेगी।

नीचे गिरती हुई  आय (Downswing) के अन्तर्गत त्वरक प्रक्रिया विपरीत दिषा (Inverse direction) में कार्य करती है। इसके अन्तर्गत गिरता निवेश आय को कम करता जायेगा, कम आय निवेश को कम करती जायेगी तथा यह बढ़ चढ़ कर होता रहेगा। आय में यह गिरावट बहुत तेज गति की हो सकती है जैसा कि चित्र में P2P3Q द्वारा दर्शाया गया है। परन्तु उतार के अन्तर्गत त्वरक इतनी शीघ्रता से कार्य नहीं करता जितनी शीघ्रता से यह चढ़ाव के दौरान कार्य करता है। यदि मांग में भारी कमी है तो प्रेरित निवेश शीघ्र ही शून्य को प्राप्त कर लेता है तथा त्वरक का मूल्य शून्य हो जाता है। परन्तु निवेश की दर में गिरावट को टूट-फूट की दर रोक देती है। प्रेरित निवेश के शून्य होने पर अर्थव्यवस्था में निवेश की कुल मात्रा स्वतन्त्र निवेश में गिरावट धीमी दर से होती है तथा उतार चढ़ाव की अपेक्षा लम्बी समयावधि वाला होता है। जैसा कि P3P4द्वारा दर्षाया गया है जो और अधिक लम्बा हो सकता है। आय गिर कर निम्नत्तम बिन्दु (Floor) P4 पर पहुंच जाती है जैसा कि यह बिन्दु LL रेखा पर पड़ता है। अब अर्थव्यवस्था एक दम से ऊपर की ओर नहीं मुड़ जाती है परन्तु कुछ समय यह LL रेखा पर चलती है जिसमें आय की वृद्धि AA रेखा की वृद्धि के समान होती है तथा यहP5 तक पहुंच जाती है। इस आय में वृद्धि के कारण तथा अतिरिक्त उत्पादन क्षमता समाप्त होने, कुछ मषीनें बेकार हो जाती हैं, के कारण प्रेरित निवेष बढ़ेगा जो आय को तेजी से बढ़ायेगा तथा चढ़ाव की अवस्था प्राप्त होगी। गुणक त्वरक की क्रिया आय को EE रेखा के पार तक ले जाती है। इस प्रकार व्यापारिक चक्र निर्धारित होते हैं।

हिक्स के व्यापार चक्र सिद्धांत की आलोचनाएं

हिक्स के व्यापार चक्र सिद्धांत की निम्न आलोचना की जा सकती है :

हिक्स ने व्यापार चक्र की व्याख्या करते समय गुणक तथा त्वरक को स्थिर माना है।

हिक्स का सिद्धांत यह मान कर चलता है कि साधनों को पूर्ण रोज़गार प्राप्त होता है। परन्तु काल्डोर के अनुसार उद्योगों में अतिरिक्त उत्पादन क्षमता हमेषा विद्यमान रहती है।

हिक्स का सिद्धांत अत्यधिक गणितीय तथा यांत्रिक है। परन्तु वास्तविक अर्थव्यवस्थाओं में परिवर्तन इतने यान्त्रिक नहीं पाये जाते हैं।

इस सिद्धांत की उच्चतम सीमा कैसे मोड़ उत्पन्न करती है इस तथ्य पर भी अनेक अर्थशास्त्रियों ने सन्देह व्यक्त किया है।

अर्थव्यवस्था का निम्नत्तम सीमा पर पहुंचने का कारण यह होता है कि यहां अनिवेष की दर अधिकत्तम होती है। अर्थात अनिवेष के कारण आय पर नीचे गिरने के दबाव की अपेक्षा स्वतन्त्र निवेश का आय पर उपर चढ़ने का दबाव अधिक होता है।

कुछ अर्थशास्त्रियों ने स्वतन्त्र निवेश तथा प्रेरित निवेश में अन्तर करना निरर्थक माना है क्योंकि दोनों का प्रभाव उत्पादन व आय पर समान हो सकता है। अल्पकाल में प्रत्येक निवेश स्वतन्त्र निवेश होता है। इसी प्रकार दीर्घकाल में प्रत्येक निवेश प्रेरित निवेश होता है।

यह सिद्धांत व्यापार चक्र की शक्तियों को आर्थिक विकास की शक्तियों के साथ पूर्ण रूप से समावेश करने में असफल रहा है।

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