ह्यूरिस्टिक विधि क्या है? ह्यूरिस्टिक विधि के गुण और दोष

Hemsitic शब्द की उत्पत्ति ग्रीक भाषा के "Heurisko" शब्द से हुई हैं जिसका अर्थ है - ‘‘ मैं खोजता हूँ ’’ (I findout) ह्यूरिस्टिक विधि के जनक हेनरी एडवर्ड आर्मस्ट्रांग हैं। 

ह्यूरिस्टिक विधि के उद्देश्य

  1. छात्रों में वैज्ञानिक प्रवृत्तियों का विकास करना।
  2. छात्रों को अन्वेषण तथा अनुसंधानकर्ता के रूप में पहचानना।
  3. छात्रों को स्वयं ज्ञान, सत्य तथा तथ्यों को खोज करने के लिए उपयुक्त वातावरण एवं मौके प्रदान करना।
  4. छात्रों में जिज्ञासा वस्तुनिष्ठता साहस धैर्य।

ह्यूरिस्टिक विधि के सिद्धांत

इस विधि के प्रमुख सिद्धांत निम्नलिखित है:-

1. क्रियाशीलता का सिद्धांत -क्रियाशीलता इस विधि के मुख्य आधार है इसमें छात्र आदि से अंत तक शारीरिक एवं मानसिक दृष्टि से क्रिया शील रहते है क्योंकि इसमें करके सीखना पड़ता है।

2. स्वानुभव द्वारा सीखने का सिद्धांत -इसमें छात्र समस्या का हल स्वयं खोजते है। वे समस्या को स्वयं समझते हैं। स्वयं ही समस्या के हल की परिकल्पनाएं बनाते है। स्वयं निरीक्षक पर परीक्षण करते है तथा स्वयं निर्णय निकालते हैं। अध्यापक तो केवल पथ - प्रदर्शन का काम करता हैं अतः यह आधारभूत सिद्धांत हैं।

3. पूर्व अनुभवों के प्रयोग का सिद्धांत - इस विधि में छात्रों के समक्ष वे ही समस्याएं रखी जाती हैं जिनका समाधान वे पूर्व ज्ञान एवं कौशल के आधार पर खोज सकते है।

4. सत्यापन का सिद्धांत - इसके द्वारा खोजे गये ज्ञान को तब तक स्वीकार नहीं किया जाता है, जब तक कि उसी सत्यता का परीक्षण नहीं कर लिया जाता हैं इसमें छात्रों को नये ज्ञान की नयी परिस्थितियों में प्रयोग कर उसकी सत्यता भी प्रमाणित करनी होती है।

5. प्रेरणा का सिद्धांत - अध्यापक का काम छात्रों को प्रेरित करना है, जिससे छात्र अपने आपको विषम परिस्थितियों में न समझें। उन्हें विभिन्न प्रकार से प्रेरित किया जा सकता हैं वैज्ञानिकों की जीवनियाॅ सुनायी जा सकती है, जो उन्हें रोचक कार्यों से संबंधित हो सकता है।

6. रूचि का सिद्धांत -अध्यापक को इस विधि में इस प्रकार समस्या उत्पन्न करनी पड़ती है कि छात्र उसमें लेने लगते है और आसानी से बोझ न समझकर कार्य करते है।

7. स्वतंत्रता का सिद्धांत -छात्रों के समक्ष ऐसी परिस्थितियों उत्पन्न करनी है कि वे अपने को भारस्वरूप न समझें बल्कि स्वतंत्रतापूर्वक कार्य करने की प्रेरणा तथा अवसर प्रदान किया जायें।

ह्यूरिस्टिक विधि की कार्यप्रणाली

इस विधि की कार्य प्रणाली मनोवैज्ञानिक है। इसमें उसी प्रकार की क्रमबद्धता अपनायी जाती हैं जैसे - कोई अनुसंधानकर्ता वैज्ञानिक खोजों को अपनाता है। इसमें निम्नलिखित पद रखे जा सकते है:-

1. समस्या की उपस्थिति:- शिक्षक सर्वप्रथम छात्रों के समक्ष किसी समस्या को उत्पन्न करता है तथा छात्रों को उसका स्पष्ट ज्ञान कराता है।

2. तथ्यों की खोज:- समस्या का बोध होने के पश्चात छात्र उससे संबंधित तथ्यों की खोज करते हैं और उन्हें एकत्रित करते है इसके लिए शिक्षक, छात्रों को पुस्तकों के नाम अथवा अनुभव क्षेत्रों से अवगत कराता है। वह समय -समय पर छात्रों की शंकाओं का समाधान भी करता है।

3. परिकल्पनाओं का निर्माण:- इन तथ्यों के आधार पर छात्र समस्या के हल के विषय में अनेक अनुमान लगाते है उन्हें परिकल्पनाएं कहा जाता है।

4. परिकल्पनाओं का परीक्षण:- छात्र अनेक अन्य तथ्यों के आधार पर इन परिकल्पनाओं की सत्यता की परख करते है।

5. नियम अथवा निष्कर्ष निकालना:- अंत में छात्र उन अनुभवों अथवा परिकल्पनाओं का त्याग कर देते है, जो सत्य साबित नहीं होती है और उस अनुमान अथवा परिकल्पना को स्वीकार करते है, जो सत्य होती है यही उनकी खोज का निष्कर्ष होता है।

ह्यूरिस्टिक विधि का प्रयोग

इस प्रक्रिया का केन्द्र बिन्दु विद्यार्थी होता हैं वह पूर्व ज्ञान, निरीक्षण, परीक्षण ,चिन्तन, एवं तर्क -वितर्क आदि द्वारा खोज करता है। तथा स्वयं को शिक्षित करने का प्रयास करता हैं। इस विधि में शिक्षक विद्यार्थियों के सम्मुख समस्याएं प्रस्तुत करता हैं तथा छात्र स्वयं अपने प्रयासों द्वारा इनका हल ज्ञात करते है। इन समस्याओं को विद्यार्थियों के समक्ष पाठ्य पुस्तकों या अन्य साधनों द्वारा भी प्रस्तुत किया जा सकता हैं इस विधि में अध्यापक का कार्य विद्यार्थियों के लिए उपयुक्त वातावरण तैयार करना है तथा उनको सामग्री उपकरण आदि साधनों को उपलब्ध कराना है, जिनका उपयोग छात्र समस्याओं को हल करने में करते है। अध्यापक छात्र को मार्गदर्शन करता है। जिससे वह नवीन नियमों, हलों तथा संबंधों की स्वयं अपने प्रयत्नों द्वारा खोज कर सकें। इस विधि की पूरी उपयोगिता तभी दृष्टिगत होती है। योग्यता तथा क्षमता का पूर्ण रूप से ध्यान रखें। गणित के क्षेत्र में अनेक ऐसे उपविषय है, जिनसे संबंधित सिद्धांतों

की खोज छात्रों द्वारा करायी जा सकती है। निम्नांकित बातों को विद्यार्थी स्वयं ज्ञात कर पाठ्य पुस्तक को समझ सकते है।

ह्यूरिस्टिक विधि के गुण

  1. यह विधि मनोवैज्ञानिक तथ्यों पर आधारित है।
  2. वैज्ञानिकता के दृष्टिकोण का विकास करना।
  3. मानसिक शक्तियों का विकास करना।
  4. शारीरिक एवं मानसिक क्रियाओं में समन्वय ।
  5. अनुसंधान की प्रवृत्ति का विकास करना।
  6. आत्म निर्भरता का विकास करना।
  7. इस विधि में छात्र सक्रिय रहता हैं अतः क्रियाशीलता का सिद्धांत लागू होता है।
  8. यह विधि अन्य विधियों की अपेक्षा सरल एवं कम समय लेने वाली होती है।
  9. इस विधि में छात्रों की रूचि तथा कार्य करने की इच्छा अन्य विधियों की अपेक्षा अधिक होती है।
  10. इस विधि का प्रयोग करने से छात्र को विषय का वास्तविक ज्ञान होता है। समस्या का चयन एवं उसका हल भी आसानी से किया जा सकता है।

ह्यूरिस्टिक विधि के दोष

  1. यह विधि छोटे छात्रों के लिए अनुपयुक्त है।
  2. यह विधि सामान्य बुद्धि के छात्रों के लिए अनुपयुक्त है।
  3. समूह शिक्षण हेतु यह विधि अनुपयुक्त है।
  4. पाठ्यक्रम के सभी विषयों का शिक्षण इस विधि से असंभव है।
  5. इस विधि द्वारा पाठ्यक्रम को पूरा नहीं किया जा सकता है।
  6. इस विधि में समय एवं शक्ति का दुरूपयोग होता है।
  7. ये धीमी और लम्बी प्रक्रिया है।
  8. इस विधि हेतु विशेष पाठ्य- पुस्तकों की आवश्यकता होती है।
  9. इस विधि द्वारा गलत निष्कर्ष निकालने की संभावना रहती है।
  10. इससे अध्यापक का उत्तरदायित्व अधिक हो जाता है।
  11. इसके लिए योग्य एवं सुप्रशिक्षित अध्यापकों की आवश्यकता होती है।

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