कहानी कथन विधि क्या है? कहानी कथन विधि में क्या सावधानियां आवश्यक है?

कहानी कथन विधि सामाजिक अध्ययन शिक्षण की एक महत्वपूर्ण विधि है। इसके माध्यम से शिक्षक छात्रों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करता है। इस विधि द्वारा छात्रों के मन में कल्पना एवं कौतूहल जागृत होता है। यह विधि मनावैज्ञानिक विधि है, इसके द्वारा बालकों में नैसर्गिक शक्तियों का विकास किया जाता है। इसके द्वारा शिक्षक छात्रों के लिए पाठ्य वस्तु को सरल एवं रोचक बनाने में समर्थ होता है, अतः छात्रों को महापुरुषों, समाज सुधारकों, लेखकों, सन्तों, अन्वेषकों एवं वैज्ञानिकों की कहानियाॅं सुनानी चाहिए।

कहानी कथन विधि के गुण

  1. इस विधि द्वारा छात्रों को सरलता से ज्ञान प्रदान किया जा सकता है, क्योंकि बालकों में कौतूहल तथा कल्पनाप्रियता अधिक होती है।
  2. इस विधि में छात्र अपने आंतरिक भावों को प्रकाशित करने का अवसर प्राप्त करते हैं।
  3. इस विधि द्वारा छात्रों में कल्पना, स्मरण एवं चिन्तन शक्तियों का विकास किया जाता है।
  4. इसके द्वारा छात्रों में उत्तम नागरिक एवं सामाजिक गुणों का विकास होता है।
  5. कहानी को क्रमानुसार सुनाना चाहिए।
  6. कहानी की विषयवस्तु को छात्रों के सामाजिक जीवन की वास्तविकता से संबंधित होना चाहिए।
  7. कहानी को उद्देश्यपूर्ण होना चाहिए।
  8. कहानी मौखिक रूप से सुनानी चाहिए। बीच-बीच में प्रश्न भी करते रहना चाहिए ताकि छात्र रुचि एवं ध्यान से सुनें एवं ज्ञान प्राप्त करें।
  9. शांत वातावरण में छात्रों की मानसिक स्थिति के अनुसार कहानी सुनानी चाहिए।
  10. शिक्षक को स्पष्ट और प्रभावशाली शैली में कहानी को सुनाना चाहिए।
  11. कहानी अर्थपूर्ण तथा वास्तविक होनी चाहिए।
  12. शिक्षक को अभिनय कला का भी ज्ञान होना चाहिए।
  13. शिक्षक को छात्रों का सहयोग लेकर कहानी सुनाना चाहिए।
  14. शिक्षक को कहानी सुनाने के उद्देश्य को ध्यान में रखना चाहिए।
  15. कहानी सुनाते समय विषयवस्तु को बोधगम्य बनाने के लिए सहायक सामग्री का प्रयोग करना चाहिए।
  16. कहानी अधिक लम्बी नहीं होना चाहिए और विषय से संबंधित होना चाहिए।

कहानी कथन विधि के दोष

  1. यह विधि बड़ी कक्षाओं के लिए उपयोगी नहीं है।
  2. कहानी कथन शैली से रहित शिक्षक द्वारा इसका प्रयोग इसको अप्रभावी एवं हास्यपद बनाने में सहायक है।
  3. कहानी की निष्क्रियता छात्रों को निष्क्रिय श्रोता बनाती है।
  4. कहानी में कल्पना की अधिकता रहती है, इससे बच्चों में अविश्वसनीयता का भाव उत्पन्न करती है।

कहानी कथन विधि में सावधानियां

👉 कहानी सुनाते समय निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए -

  1. छात्रों की आयु के अनुसार कहानी का चयन करना चाहिए।
  2. कहानी संक्षिप्त एवं सरल होनी चाहिए।
  3. कहानी की विषयवस्तु पर उसका अधिकार होना चाहिए।
  4. कहानी की भाषा शैली एवं विषयवस्तु छात्रों के मानसिक स्तर एवं रूचि के अनुसार होनी चाहिए।
  5. कहानी कहने का ढंग रूचिकर, स्वाभाविक तथा भावपूर्ण होना चाहिए।
  6. कहानी रोचक एवं प्रभावपूर्ण होना चाहिए। कहानी उद्देश्यपूर्ण होना चाहिए।

कहानी कथन प्रविधि प्रारंभिक कक्षाओं के लिए बहुत उपयोगी होती है। प्रारंभिक कक्षाओं के छात्रों का मानसिक स्तर इतना कम विकसित होता है कि उन्हें शिक्षण की जो दूसरी प्रविधियाॅं उसकी इतनी समझ विकसित नहीं करती जितनी कि कहानी के द्वारा होती है। यदि कहानियाॅं उद्देश्यपूर्ण होती है और शिक्षक उनके द्वारा संबंधित तथ्यों को स्पष्ट करता है, तो यह बहुत लाभकारी होता है।

किसी विषय के सूक्ष्म एवं जटिल अंशो को कहानी के माध्यम से सुबोध बनाया जाता है। बालक जो ज्ञान कहानी के द्वारा प्राप्त करता है, उसे आत्मसात करने में सहजता एवं सरलता होती है। सामाजिक विज्ञानों में यह विधि बहुत अधिक प्रयोग की जाती है। ऊॅंची कक्षाओं में भी इस विधि का प्रयोग कर सकते हैं। जो शिक्षक अपने विषय के अच्छे ज्ञाता होते हैं, वह कहानी के रूप में विषयवस्तु को प्रस्तुत करने में समर्थ होते हैं। कहानी के माध्यम से जटिल अंशो को सरल रूप में प्रस्तुत करके छात्रों को विषयवस्तु आसानी से समझ में आ सकती है।

सन्दर्भ -

  1. Sharma, Rameshwarlal, and Verma Rampal Singh (2001), Teaching of social studies, Vinod Pustak Mandir, Agra-2
  2. Saxena, N.R. and Mishra B.K., Mohanty. The teaching of social studies, Surya Publication, Meerut

Post a Comment

Previous Post Next Post