कराघात क्या है कराघात व करापात में अन्तर

जब सरकार किसी व्यक्ति पर कर लगाती है और उस राशि को उसी से वसूला जाता है इसे उस व्यक्ति पर कराघात कहेगें। उदाहरण के लिए उत्पादक पर कराघात होता है। 

कराघात से अभिप्राय कर के तत्काल भार से है। अत: कराघात कर का तत्काल परिणाम है जो उस व्यक्ति पर पड़ता है जिससे सरकार कर एकत्रित करती हैं अर्थात् जो सर्वप्रथम कर का भुगतान करता है। यह आवश्यक नहीं है कि कर का कराघात और करापात एक ही व्यक्ति पर पड़े। कराघात उत्पादक पर पड़ता है जबकि करापात उपभोक्ता पर। जिस व्यक्ति को कर तुरंत भुगतान करना पड़ता है उस पर कराघात होता है। उदाहरणत: आयात कर सरकार को आयातकर्ता देगा उत्पादन कर उस व्यक्ति को देना पड़ता है जो उस वस्तु का उत्पादन करता है। कराघात उत्पादक की आय को कम नहीं करता, यद्यपि यह उस पर कुछ समय के लिए दबाव डालता है जबकि करापात स्थायी होता है। इसका अर्थ है कि करापात की अपेक्षा कराघात का अध्ययन कम महत्वपूर्ण है।

प्रो. जे.के. मेहता के अनुसार, “कराघात को तत्काल मुद्रा भार कहा जा सकता है। जो व्यक्ति सरकार को कर का भुगतान करता है वह कराघात सहन करता है।” कपड़े का उत्पादक सरकार को कर देता है। अत: वह कराधान वहन करता है। उत्पादक अपने कपड़े की कीमत में वृद्धि करता है ताकि कर का भार खरीदने वाले पर पड़े। अगर वह कीमत बढ़ाने में सफल रहता है तो इसका अर्थ है कि पूर्ण या आंशिक रूप से कर का विवर्तन हुआ है। यदि कीमत पूरी सीमा तक नहीं बढ़ पाती तो इसका अर्थ है कि करापात का कुछ भाग कपड़ा उत्पादक पर शेष रह गया है। लेकिन कराघात केवल उत्पादक पर ही पड़ेगा। क्योंकि सबसे पहले वही करके बोझ को सहन करता है।

कराघात व करापात क्या है 

प्रत्येक कर का एक भार होता है। सरकार जब कर लगाती है तो उसका वास्तविक भार जिस व्यक्ति पर पड़ता है उसे कराघात कहते हैं। कर के भार के कारण प्रत्येक करदाता जिस पर कर लगाया जाता है, वह चाहता है कि यह दूसरे व्यक्ति पर टाल दिया जाए, यह टालने की प्रक्रिया तब तक चलती रहती है जब तक कि इसे ओर टालना सम्भव नहीं होता, उस दशा में जिस व्यक्ति पर इसका अधिक भार पड़ता है उस पर कर का करापात हुआ माना जाता है।

कराघात व करापात में अन्तर

कराघात व करापात में अन्तर को निम्न प्रकार से स्पष्ट किया जा सकता है:
  1. कराघात किसी कर के प्रारम्भिक भार को प्रकट करता है जबकि करापात अन्तिम भार को प्रकट करता है।
  2. कराघात का भार वह व्यक्ति अनुभव करता है जिससे सरकार कर वसूल करती है। इसके विपरीत करापात का भार उस व्यक्ति द्वारा अनुभव किया जाता है जो कि वास्तव मे उस भार को वहन करता है।
  3. कराघात के भार को एक व्यक्ति किसी दूसरे पर विवर्तित कर सकता है लेकिन करापात के भार को विवर्तित करना सम्भव नहीं होता।
  4. कराघात उस समय महसूस होता है जब कर लगाया जाता है और करापात कर के ठहराव के समय महसूस होता है।
इस प्रकार, कराघात का सम्बन्ध मौद्रिक भार से है वास्तविक भार से नहीं है।

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