प्रबंध के सिद्धांत की प्रकृति एवं महत्व

प्रबंध के सिद्धांत प्रबंध के सिद्धांत आधारभूत सत्य का कथन होते हैं जो प्रबंधकीय निर्णय एवं कार्यों हेतु मार्गदर्शन करते हैं। ये उन घटनाओं के अवलोकन एवं विश्लेषण के आधार पर बनाये जाते हैं निका प्रबंधकों द्वारा वास्तविक कार्य व्यवहार में सामना किया जाता है। ये मानवीय व्यवहारों से सम्बन्धित होते हैं अत: ये विज्ञान के सिद्धान्तों से भिन्न होते हैं। ये प्रबंध की तकनीकों से भी भिन्न होते हैं। जहाँ तकनीकें कार्य करने के तरीकों से सम्बन्धित होती हैं, वहीं सिद्धांत कार्यों हेतु मार्गदर्शन करते हैं तथा निर्णयों में सहायक होते हैं। प्रबंध के सिद्धान्तों का विकास गहन अवलोकन बार-बार प्रयोग एवं प्रबंधकों के व्यक्तिगत अनुभवों के आधार पर हुआ है। 

प्रबंध के सिद्धांत की प्रकृति

1) सर्व प्रयुक्त : ये सार्वभौमिक होते हैं क्योंकि इन्हें सभी प्रकार क संगठनों में प्रयोग किया जाता है।

2) सामान्य मार्गदर्शन : ये कार्य करने के लिए दिशा निर्देश होते हैं, परन्तु ये पूर्वनिर्मित समाधान नहीं बताते हैं क्योंकि वास्तविक व्यावसायिक स्थितियाँ जटिल एवं गत्यात्मक होती हैं।

3) व्यवहार एवं शोध द्वारा निर्मित : ये सिद्धांत अनुभवों एवं तथ्यों के अवलोकन के आधार पर विकसित किए जाते हैं।

4) लोचशील: ये लोचशील होते हैं जिन्हें परिस्थितियों के अनुरूप संशोधित करके प्रयोग किया जा सकता है।

5) मुख्यत: व्यवहारिक : इनकी प्रकृति मुख्य रूप से व्यावहारिक होती है क्योंकि इनका उद्देश्य प्राणियों के जटिल व्यवहार को प्रभावित करना होता है।

6) कारण एवं परिणाम का संबंध : इनके द्वारा कारण एवं प्रभाव में सम्बन्ध स्थापित किया जाता है तथा ये निर्णयों के परिणामों को बताते हैं।

7) आकस्मिक : ये आकस्मिक होते हैं जिनका प्रयोग विद्यमान परिस्थिति के अनुसार किया जाता है।

प्रबंध के सिद्धांत का महत्व 

1) प्रबंधकों को वास्तविकता का उपयोगी सूक्ष्म ज्ञान प्रदान करना: प्रबंधक के सिद्धांत विवेकपूर्ण तरीके से प्रबन्ध्कीय निर्णय लेने एवं इनका क्रियान्वयन करने में मार्गदर्शन करते हैं, यह प्रबंधकों को अन्तर्दृष्टि प्रदान कर, समस्याओं को समझने म सहायत करते हैं तथा प्रबंधकीय कार्यक्षमता को बढ़ाते हैं।

2) संसाधनों का अनुकूलतम उपयोग : प्रबंध के सिद्धांत मानवीय एवं भौतिक संसाधनों में समन्वय प्रदान करते हुए इनका अनुकूलतम उपयोग संभव बनाते हैं।

3) वैज्ञानिक निर्णय : प्रबंधकीय सिद्धान्तों पर आधारित निर्णय वास्तविक संतुलित एवं समुचित होते हैं।

4) परिवर्तनशील वातावरण की आवश्यकताओं को संतुष्ट करना प्रबंधकीय सिद्धांत प्रभावपूर्ण नेतृत्व द्वारा तकनीकी परिवर्तनों को अपनाने में सहायक होते हैं।

5) सामाजिक उत्तरदायित्वों को पूरा करना : प्रबंध क सिद्धान्तों व्यावसायिक उद्देय के साथ-साथ सामाजिक उत्तरदायित्वों को पूरा करने मार्गदर्शन करते हें। उदाहरण के लिए, समानता एवं कर्मचारियों के पारिश्रमिक का सिद्धांत।

6) प्रबंधकीय प्रशिक्षण, शिक्षा, शोध : प्रबंध के सिद्धांत प्रबंधकीय अध्ययन में अनुसंधान और विकास करने के लिए आधार के रूप में कार्य करते हैं।

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