पूंजी बाजार किसे कहते हैं?

यह दीर्घकालिक निधियों जैसे ऋणपत्रों तथा अंशपत्रों का बाजार है जो एक लम्बे समय के लिए जारी की जाती है। इसके अंतर्गत विकास बैंक, वाणिज्यिक बैंक तथा स्टॉक एक्सचेंज समाहित होते हैं। 

पूंजी बाजार को दो भागों में बांटा जा सकता है। (1) प्राथमिक बाजार (2) द्वितीयक बाजार।

1. प्राथमिक बाजार 

 इसे नए निगर्मन बाजार के रूप में भी जाना जाता है। यहाँ केवल नई  प्रतिभूतियों को निर्गमित किया जाता है जिन्हें पहली बार जारी किया जाता है। इस बाजार में निवेश करने वालों में बैंक, वित्तीय संस्थाएँ, बीमा कम्पनियाँ, म्युचुअल फण्ड एवं व्यक्ति होते हैं। इस बाजार का कोई  निर्धारित भौगोलिक स्थान नहीं होता है। 

प्राथमिक बाजार में प्रतिभूतियों को निर्गमित करने की विधियाँ :-

(1) विवरण पत्रिका के माध्यम से प्रस्ताव :- इसके अंतर्गत विवरण पत्रिका जारी करके जनता से अंशदान आमंत्रित किया जाता है। एक विवरण पत्रिका पूंजी उगाहने के लिए निवेशकों से प्रत्यक्ष अपील करती है जिसके लिए अखबारों एवं पत्रिकाओं के माध्यम से विज्ञापन जारी किए जाते हैं।

(2) विक्रय के लिए प्रस्ताव :- इस विधि के अन्तर्गत निर्गमन गृहों या ब्रोकर्स जैसे माध्यकों के द्वारा प्रतिभूतियों को बिक्री के लिए प्रस्तावित किया जाता है। कम्पनी द्वारा ब्रोकर्स को सहमति मूल्य पर प्रतिभूतियों को बेचा जाता है जिन्हें ो निवेशक जनता को अधिक मूल्य पर पुन: विक्रय करते हैं।

(3) निजी नियोजन :- एक कम्पनी द्वारा संस्थागत निवेशकों तथा कुछ चयनित वैयक्तिक निवेशकों को प्रतिभूतियों का आवंटन करने की प्रक्रिया को निजी नियोजन कहा जाता है।

(4) अधिकार निर्गम :- यह एक विशेषाधिकार है जो विद्यामन शेयर धारकों को पहले से क्रय किए हुए शेयरों के अनुपात में नए शेयरों को खरीदने का अधिकार देता है।

(5)ई - आरंभिक सार्वजनिक निर्गम :- यह स्टॉक एक्सचेन्ज की ऑन-लाइन प्रणाली के माध्यम से प्रतिभूतियाँ जारी करने की विधि है। स्टॉक एक्सचेंज की ऑन-लाइन प्रणाली के माध्यम से जनता को पूंजी को प्रस्तावित करने वाली कम्पनी को स्टॉक एक्सचेन्ज से एक ठहराव करना होता है जिसे ई-आरंभिक सार्वजनिक प्रस्ताव कहते हैं। इसके लिए सेबी के साथ पंजीयत दलालों को आवेदन स्वीकार करने हेतु नियुक्त किया जाता है।

2. द्वितीयक बाजार 

इसे स्टॉक एक्सचेंज या स्टॉक बाजार के नाम से भी जाना जाता है। जहाँ विद्यमान प्रतिभूतियों का क्रय एवं विक्रय किया जाता है। यह बाजार

निर्धारित स्थान पर स्थित होता है तथा यहाँ प्रतिभूतियों का क्रय एवं विक्रय किया जाता है। यह बाजार निर्धारित स्थान पर स्थित होता है तथा यहाँ प्रतिभूतियों की कीमत को उनकी मांग एवं पूर्ति के द्वारा तय किया जाता है।

प्राथमिक बाजार तथा द्वितीयक बाजार में अन्तर

क्र.सं.आधार प्राथमिक बाजारद्वितीयक बाजार
1.प्रतिभूतियां 
केवल नई   प्रतिभूतियों को निर्गमित किया जाता है।
विद्वमान प्रतिभूतियों को निर्गमित किया जाता है।
2.प्रतिभूतियों
की कीमत 
कम्पनी के प्रबन्ध के द्वारा प्रतिभूतियों की कीमत निर्धारित की जाती है। प्रतिभूतियों की कीमत उनकी मांग तथा पूर्ति के द्वारा निर्धारित की जाती है।
3.बाजार का स्थानइस बाजार का कोई 
 निर्धारित भौगोलिक स्थान नहीं होता है। 
ये बाजार निर्धारित स्थानों पर ही विद्यमान हैं।
4.क्रय व विक्रय यहाँ कवेल प्रतिभूतियों को क्रय किया जाता है। यहाँ प्रतिभूतियों का क्रय एवं विक्रय दोनों होते हैं।
5.माध्यम यहाँ कम्पनी द्वारा सीधे या मध्यस्थ के माध्यम प्रतिभूतियों को बेचा जाता है।यहाँ निवेशक प्रतिभूतियों का से स्वामित्व बदलते हैं।

Post a Comment

Previous Post Next Post