व्यावसायिक वातावरण की विशेषताएं, महत्व, आयाम/तत्व

व्यावसायिक वातावरण से अभिप्राय उन व्यक्तियों, संस्थानों तथा शक्तियों से होता है जो व्यावसायिक उद्यम के परिचालन को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं।

व्यावसायिक वातावरण की विशेषताएं

(1) बाह्य शक्तियों की समग्रता : व्यावसायिक वातावरण संस्था के बाहर की शक्तियों/घटकों का योग होता है जिनकी प्रकृति सामूहिक होती है।

(2) विशिष्ट एवं साधारण शक्तियाँ : व्यावसायिक पर्यावरण में विशिष्ट तथा साधारण दोनों शक्तियां सम्मिलित होती हैं। विशिष्ट शक्तियों में ग्राहक,प्रतियोगी, निवेशक आदि आते हैं जो उद्यमों को प्रत्यक्ष रूप में प्रभावित करते हैं तथा साधारण शक्तियों में सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक, कानूनी तकनीकी दशाएं आती है जो उद्यमों को अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करती हैं।

(3) आंतरिक संबंध : व्यावसायिक वातावरण के विभिन्न तत्व/भाग एक-दूसरे से घनिष्ट रूप से जुड़े होते हैं। अत: आतंरिक संबंध होता है। उदाहरणार्थ : स्वास्थ्य के प्रति जागरुकता बढ़ने से स्वास्थ्यवर्द्धक भोजन एवं उत्पादो जैसे वसारहित खाद्य पदार्थ, शूगर फ्री आदि की मांग बढ़ रही है।

(4) गतिशील : व्यावसायिक गतिशील होता है जो तकनीकी विकास, उपभोक्ताओं की रूचि तथा फैशन के अनुसार बदलता है।

(5) अनिश्चितता : व्यावसायिक पर्यावरण अनिश्चित होता है क्योंकि भविष्य में होने वाले पर्यावरणीय परिवर्तनों तथा उनके प्रभावों के पूर्वानुमान लगाना सम्भव नहीं है।

(6) जटिलता : व्यावसायिक पर्यावरण एक जटिल तथ्य है जिसको अलग-अलग हिस्सों में समझना सरल है, परन्तु समग्र रूप से समझना कठिन है।

(7) तुलनात्मकता : व्यावसायिक पर्यावरण एक तुलनात्मक अवधारणा है जिसका प्रभाव भिन्न-भिन्न देशों एवं क्षेत्रों में भिन्न-भिन्न होता है।

उदाहरणार्थ : पेय पदार्थों में लोग आजकल पेप्सी, कोक की जगह पौष्टिक फलों का रस पसंद करने लगे हैं, यह बदलाव पेप्सी, कोक आदि के निर्माताओं के लिए ‘खतरा’ है जबकि जूस बनाने वालों के लिए यह एक ‘अवसर’ है।

व्यावसायिक पर्यावरण का महत्व

(1) अवसरों की पहचान तथा पहल के लाभ : व्यावसायिक पर्यावरण के सही अध्ययन से एक उद्यम उपलब्ध लाभकारी अवसरों की पहचान कर सकता है तथा अपने प्रतियोगियों से पहले अवसरों से लाभ उठा सकता है।

(2) खतरों की पहचान : व्यावसायिक पर्यावरण की सही जानकारी, एक उद्यम को उन खतरों की पहचान में सहायता करता है जो इसके परिचालन में बाधक हो सकते हैं।

उदाहरणार्थ : ‘बजाज ऑटो’ ने ‘होन्डा’ और विदेशी कम्पनियों से खतरा भाँपते हुए अपने दो पहिया वाहनों में उचित परिवर्तन और सुधार किये।

(3) संसाधन का प्रयोग : व्यावसायिक पर्यावरण द्वारा उद्यम का विभिन्न संसाधनों जैसे पूंजी, मशीन, कच्चा माल आदि उपलब्ध कराये जाते हैं। संसाधनों की उपलब्धता का पता लगाने तथा उन्हे आवश्यकता अनुसार प्राप्त करने के लिए भी व्यावसायिक पर्यावरण की जानकारी अनिवार्य है।

(4) परिवर्तनों का सामना करना : लगातार व्यावसायिक पर्यावरण के अध्ययन से होने वाले परिवर्तनों का पता चलता है जिससे उनका सामना किया जो सके।

(5) नियोजन एवं नीति निर्धारण में सहायता : व्यावसायिक पर्यावरण की समझ एवं विश्लेषण नियोजन एवं नीति निर्धारण में सहायता करते हैं। 

(6) निष्पादन में सुधार : व्यावसायिक पर्यावरण का सही अध्ययन एक उद्यम के निष्पादन में सुधार कर सकता है तथा उसे दीर्घकाल तक सफल बना सकता है।

व्यावसायिक पर्यावरण के आयाम/तत्व

(1) आर्थिक पर्यावरण : आर्थिक वातावरण का व्यवसाय पर प्रत्यक्ष आर्थिक प्रभाव होता है। ब्याज की दर, मोट्रिक नीति, मूल्य वृद्धि दर, लोगों की आय मे परिवर्तन आदि कुछ आर्थिक तत्व है जो व्यवसायिक उद्यमों को प्रभावित कर सकते हैं। आर्थिक वातावरण जहाँ अवसर उपलब्ध कराता है, वहीं इसके द्वारा अनेक बाधाएं भी खड़ी की जा सकती हैं।

(2) सामाजिक पर्यावरण : सामाजिक पर्यावरण में सामाजिक शक्तियां जैसे रीति-रिवाज, मूल्य, सामाजिक बदलाव, जीवन-शैली आदि सम्मिलित होती हैं। सामाजिक पर्यावरण में होने वाले बदलाव व्यवसाय को शीघ्र प्रभावित करते हैं। इसके कारण जहाँ व्यवसाय को विभिन्न अवसर मिलते हैं, वही खतरे भी होते हैं। उदाहरण आज लोगों द्वारा अपने स्वास्थ्य पर अधिक ध्यानदिया जा रहा है जिसके कारण कुछ वस्तुओं जैसे डायट पेय पदार्थ, मिनरल वाटर आदि की मांग बढ़ गर्इ है, परन्तु कुछ अन्य वस्तुओं जैसे तंबाकू, वशा युक्त भोजन की मांग कम हो गर्इ है।

(3) प्रौद्योगिकीय/तकनीकी पर्यावरण : तकनीकी पर्यावरण द्वारा उत्पादन की नर्इ तकनीकी एवं पद्धतियां उपलब्ध करार्इ जाती है। व्यवसायी को उद्योग में होने वाले तकनीकों परिवर्तनों पर गहरी दृष्टि रखनी चाहिए क्योंकि ये परिवर्तन प्रतियोगियों का सामना करने तथा उत्पाद की गुणवत्ता सुधारने के लिए अनिवार्य होते हैं।

उदाहरणार्थ : डिजीटल घड़ियाँ, कृित्राम रेशे, इन्टरनेट से घर बैठे रेलवे टिकट को बुक कराना आदि।

(4) राजनीति/राजनैतिक पर्यावरण : राजनैतिक स्थितियों में बदलाव के कारण भी व्यवसायिक संस्थाएँ प्रभावित होती हैं। राजनैतिक स्थिरता व्यवसायिकाओं में आत्मविश्वास पैदा करती है जबकि राजनैतिक अशांति एवं खराब कानून व्यवस्था, व्यावसायिक क्रियाओं में अनिश्चिता ला सकती है।

राजनैतिक दलों के मूल्य और विचारधारा, व्यवसाय के प्रति सोच आदि।

उदाहरणार्थ : बैंगलोर तथा हैदराबाद राजनीतिक समर्थन के कारण सूचना प्रौद्योगिकी हेतु लोकप्रिय स्थान बन गया है।

(5) विधिक/कानूनी पर्यावरण : विधिक पर्यावरण में सरकार द्वारा पारित विभिन्न विधेयक, प्रशासनिक आदेश, न्यायालयों के फैसले तथा विभिन्न सरकारी कमीशन एवं एजेंसियों के निर्णय सम्मिलित होते हैं। व्यवसायों को इनका पालन करना होता है। अत: कानून की जानकारी आवश्यक होती है। 

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