वह प्रक्रिया, जिसमें मानक विलयन के ज्ञात आयतन के साथ पूर्ण क्रिया करने वाले अज्ञात
विलयन का आयतन ज्ञात करते हैं और फिर गणना द्वारा अज्ञात विलयन की सान्द्रता ज्ञात
करते हैं, अनुमापन कहलाती है।
1. एकल अनुमापन - यहाँ अज्ञात व ज्ञात विलयन के मध्य सीधी रासायनिक क्रिया सम्भव है। अतः इनके मध्य सीधी क्रिया करवाकर अज्ञात विलयन की सान्द्रता ज्ञात करते हैं। जैसे - सोडियम कार्बोनेट विलयन की सान्द्रता आॅक्सेलिक अम्ल के विलयन की सहायता से ज्ञात करना।
2. द्विअनुमापन - जब अज्ञात व ज्ञात विलयन के मध्य सीधी रासायनिक क्रिया सम्भव नहीं हो तो माध्यमिक विलयन की सहायता ली जाती है। पहले ज्ञात विलयन से माध्यमिक विलयन की सान्द्रता ज्ञात की जाती है, फिर माध्यमिक विलयन की सहायता से अज्ञात विलयन की सान्द्रता ज्ञात की जाती है। जैसे - अज्ञात सोडियम कार्बोनेट की ज्ञात सोडियम कार्बोनेट विलयन की सहायता से सान्द्रता ज्ञात करने में माध्यमिक विलयन के रूप में आॅक्सेलिक अम्ल का विलयन प्रयोग में लाया जा सकता है।
(अ) अम्ल-क्षारक अनुमापन : इसमें एक विलयन की प्रकृति अम्लीय तथा दूसरे विलयन की प्रकृति क्षारकीय होती है। इनके मध्य
उदासीनीकरण अभिक्रिया होती है। जैसे - सोडियम हाइड्राक्साइड का आक्सेलिक अम्ल के साथ
अनुमापन।
1. एकल अनुमापन - यहाँ अज्ञात व ज्ञात विलयन के मध्य सीधी रासायनिक क्रिया सम्भव है। अतः इनके मध्य सीधी क्रिया करवाकर अज्ञात विलयन की सान्द्रता ज्ञात करते हैं। जैसे - सोडियम कार्बोनेट विलयन की सान्द्रता आॅक्सेलिक अम्ल के विलयन की सहायता से ज्ञात करना।
2. द्विअनुमापन - जब अज्ञात व ज्ञात विलयन के मध्य सीधी रासायनिक क्रिया सम्भव नहीं हो तो माध्यमिक विलयन की सहायता ली जाती है। पहले ज्ञात विलयन से माध्यमिक विलयन की सान्द्रता ज्ञात की जाती है, फिर माध्यमिक विलयन की सहायता से अज्ञात विलयन की सान्द्रता ज्ञात की जाती है। जैसे - अज्ञात सोडियम कार्बोनेट की ज्ञात सोडियम कार्बोनेट विलयन की सहायता से सान्द्रता ज्ञात करने में माध्यमिक विलयन के रूप में आॅक्सेलिक अम्ल का विलयन प्रयोग में लाया जा सकता है।
अनुमापन में प्रयुक्त कुछ पदों की परिभाषाएँ
(अ) अनुमाप्य - वह विलयन जिसमें उपस्थित पदार्थ की मात्रा (सान्द्रता) ज्ञात की जाती है, यह अज्ञात विलयन भी कहलाता है। इसे पीपेट द्वारा कोनिकल फ्लास्क में लिया जाता है।(ब) अनुमापक - वह विलयन जिसकी सान्द्रता ज्ञात होती है। इसे मानक या ज्ञात
विलयन भी कहते हैं, इसे ब्यूरेट में लिया जाता है।
(स) मानक विलयन या ज्ञात विलयन - वह विलयन जिसकी सान्द्रता ज्ञात होती है उसे मानक या ज्ञात विलयन कहते हैं।
(द) अज्ञात विलयन - वह विलयन जिसकी सान्द्रता ज्ञात की जाती है उसे अज्ञात विलयन कहते हैं।
(य) माध्यमिक विलयन - वह विलयन जो अज्ञात व ज्ञात दोनों विलयनों से अभिक्रिया कर सकता है। ज्ञात विलयन की सहायता से माध्यमिक विलयन की सान्द्रता ज्ञात करते हैं तथा माध्यमिक विलयन की सहायता से अज्ञात विलयन की सान्द्रता ज्ञात करते हैं।
(स) मानक विलयन या ज्ञात विलयन - वह विलयन जिसकी सान्द्रता ज्ञात होती है उसे मानक या ज्ञात विलयन कहते हैं।
(द) अज्ञात विलयन - वह विलयन जिसकी सान्द्रता ज्ञात की जाती है उसे अज्ञात विलयन कहते हैं।
(य) माध्यमिक विलयन - वह विलयन जो अज्ञात व ज्ञात दोनों विलयनों से अभिक्रिया कर सकता है। ज्ञात विलयन की सहायता से माध्यमिक विलयन की सान्द्रता ज्ञात करते हैं तथा माध्यमिक विलयन की सहायता से अज्ञात विलयन की सान्द्रता ज्ञात करते हैं।
(र) सूचक - वह विलयन जो रंग परिवर्तन द्वारा अन्तिम बिन्दु की जानकारी देता है
उसे सूचक कहते हैं।
(ल) अन्तिम बिन्दु - वह बिन्दु (ब्यूरेट का पाठ्यांक) जिस पर सूचक के रंग परिवर्तन द्वारा अभिक्रिया की पूर्णता का पता चलता है, अन्तिम बिन्दु कहलाता है।
(व) तुल्य बिन्दु - वह बिन्दु जिस पर अनुमापक एवं अनुमाप्य की अभिक्रिया पूर्ण हो जाती है तुल्य बिन्दु अथवा रससमीकरणमितीय बिन्दु कहलाता है। यह अन्तिम बिन्दु से एक बूंद पूर्व की स्थिति होती है, इस पर रंग नहीं दिखाई देता है।
(ल) अन्तिम बिन्दु - वह बिन्दु (ब्यूरेट का पाठ्यांक) जिस पर सूचक के रंग परिवर्तन द्वारा अभिक्रिया की पूर्णता का पता चलता है, अन्तिम बिन्दु कहलाता है।
(व) तुल्य बिन्दु - वह बिन्दु जिस पर अनुमापक एवं अनुमाप्य की अभिक्रिया पूर्ण हो जाती है तुल्य बिन्दु अथवा रससमीकरणमितीय बिन्दु कहलाता है। यह अन्तिम बिन्दु से एक बूंद पूर्व की स्थिति होती है, इस पर रंग नहीं दिखाई देता है।
मानक पदार्थ
अनुमापन में मानक विलयन बनने की दृष्टि से पदार्थों को दो समूह में बाँटा गया है -(i) प्राथमिक मानक - वे पदार्थ जिनकी सही मात्रा त¨लकर आसुत जल में विलेय करके मानक
विलयन बनाया जा सकता है, प्राथमिक मानक कहलाते हैं। उदाहरण के लिए काॅपर सल्फेट, फेरस
अमोनियम सल्फेट, सिल्वर नाइट्रेट, आक्सेलिक अम्ल, सोडियम कार्बोनेट आदि पदार्थ प्राथमिक मानक
है। प्राथमिक मानक पदार्थ में निम्नखित गुण होने चाहिए-
- पदार्थ उच्च स्तर की शुद्धता में सुगमता से उपलब्ध होना चाहिए।
- पदार्थ आर्द्रताग्राही एवं उत्फुल्ल नहीं होना चाहिए।
- पदार्थ का तुल्यांकी भार उच्च होना चाहिए जिससे तोलने में थोड़ी त्रुटि रह जाने पर भी परिणाम में अधिक अन्तर नहीं पडे।
- पदार्थ आसुत जल में पूर्णतः विलेय होना चाहिए तथा विलयन को रखने पर उसका विघटन नहीं होना चाहिए।
- किसी एक मानक विलयन के साथ पदार्थ की क्रिया तात्क्षणिक एवं रससमीकरणमितिक होनी चाहिए।
अभिक्रियाओं के आधार पर अनुमापन के प्रकार
चार प्रकार के होते है। ये हैं-
- अम्ल - क्षारक अनुमापन
- उपापचयन अनुमापन
- अवक्षेपीय अनुमापन
- संकुलमितीय अनुमापन
(ब) आक्सीकरण-अपचयन अनुमापन:
इसमें क्रियाकारक अवयव एक दूसरे का आक्सीकरण व अपचयन करते हैं अर्थात् अनुमापन में
रेडाॅक्स अभिक्रिया होती है जैसे - फेरस सल्फेट का पोटेशियम परमैंगनेट के साथ अनुमापन।
(स) संकुलमितीय अनुमापन :
इसमें क्रियाकारक अवयव क्रिया करके उत्पाद में संकुल यौगिक का निर्माण करते हैं जैसे EDTA द्वारा पानी की कठोरता का मापन करना।
(द) अवक्षेपण अनुमापन :
इसमें क्रियाकारक क्रिया करके उत्पाद बनाते हैं। यहाँ एक उत्पाद अवक्षेप के रूप में प्राप्त होता है।
जैसे- बेरियम क्लोराइड का सल्फ्यूरिक अम्ल के साथ अनुमापन से बेरियम सल्फेट का अवक्षेप बनता है।