आत्मसम्मान एक व्यक्ति के अपने मूल्यों का व्यक्तिपरक मूल्यांकन है। यह अपने बारे में अनेक विश्वासों को शामिल करता है। जैसे-मैं योग्य हूँ, मुझ में क्षमता है आदि। साथ ही इसमें भावनाओं का भी समावेश होता है। जैसे- निराशा, विजय, गर्व आदि।
आत्मसम्मान की परिभाषा
विलियम जेम्स ने आत्म सम्मान को परिभाषित करते हुए लिखा है कि सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण अभिवृत्ति जो एक व्यक्ति विकसित करता है वह है अपने सम्बन्ध में अभिवृत्ति। अपने स्वयं का यह मूल्यांकन आत्म सम्मान कहलाता है।”
बैरन एण्ड बाइरनी (2003) ने लिखा है कि ”प्रत्येक व्यक्ति के द्वारा किया जाने वाला आत्म मूल्यांकन जिसमें वह अपनी स्वयं के प्रति अभिवृत्तियों का मूल्यांकन करता है उसका यह मूल्यांकन धनात्मक और ऋणात्मक दो विमा वाला होता है।“
डी.एन. श्रीवास्तव (2004) ने लिखा है कि “व्यक्ति की अपनी स्वयं के सम्बन्ध में धनात्मक या ऋणात्मक अभिवृत्ति ही उसका आत्म-सम्मान है।” मूल्यांकन आत्मसम्मान कहलाता है।”
Tags:
आत्मसम्मान