जन्तु ऊतक के प्रकार
जंतुओं के शरीर में पाए जाने वाले ऊतकों को को चार प्रकार में बांट सकते हैं -- उपकला ऊतक
- संयोजी ऊतक
- पेशीय ऊतक
- तंत्रिका ऊतक
1. उपकला ऊतक
यह ऊतक जंतु की बाहरी, भीतरी या स्वतंत्र जगहों पर पाए जाते हैं। यह शरीर के कई महत्वपूर्ण अंगों में पाया है।
जैसे - त्वचा की बाहरी सतह, हृदय, फेफडे़, वृक्क,यकृत एवं जनन ग्रंथियों की भीतरी सतह आदि।
2. संयोजी उत्तक
यह ऊतक शरीर के सभी अन्य ऊतकों तथा अंगों को आपस में जोड़ने का कार्य करता हैं । तरल संयोजी ऊतक (रक्त) संवहन के कार्य में भी सहायक होता है तथा यह शरीर के तापमान को नियंत्रित करता है।
3. पेशीय ऊतक
इसे संकुचनशील या ब्वदजतंबजपसम जपेेनम कहते हैं। शरीर की सभी पेशियां इसी ऊतक से मिलकर बनी होती है। इसके प्रकार निम्न है
- अरेरखीय →यह पेशी ऊतक उन अंगों की दीवार पर पाया जाता है जो अनैच्छिक रूप से कार्य करते हैं। जैसे: आहार नली, रक्त वाहिनी
- रेखीय →ये पेशियां शरीर के उन भागों में पाई जाती हैं जो इच्छा अनुसार कार्य करती हैं। उदाहरणः आँखों की पलकें, जीभ।
- हृदयक पेशी →ये पेशियां केवल हृदय की दीवारों में पाई जाती हैं। ह्रदय की गति इन्हीं पेशियों के कारण होती हैं जो बिना रुके पूरे जीवन भर कार्य करती हैं।
4. तंत्रिका ऊतक
जीवों का तंत्रिका तंत्र इन्हीं ऊतकों का बना होता है जिसे चेतना ऊतक भी कहते हैं। ये दो कोशिकाओं का बना होता है
- Neuron
- Neuroglia