भारत में मिट्टी परीक्षण सेवा 1956 में
24 प्रयोगशालाओं की स्थापना हुई। पूसा, नई दिल्ली में मिट्टी परीक्षण की प्रयोगशाला से संबंधित गतिविधियों का केंद्र रही है। मिट्टी
परीक्षण के द्वारा मिट्टी में उपस्थित पौधों के
पोषक तत्वों का उचित प्रबंधन संभव है। कई मृदा विकारों को दूर करने और उर्वरकों
का सही प्रयोग करने के लिए मिट्टी परीक्षण आवश्यक है।
2. औजारों का चयनः ऊपरी सतह से नमूना लेने के लिए खुर्पी या ट्यूब आगर, अधिक गहराई से या गीली मिट्टी से नमूना लेने के लिए पोस्ट होल आगर तथा सख्त मिट्टी से नमूना लेने के लिए बर्मे का प्रयोग करें। गड्ढे खोदने के लिए कस्सी, फावड़े अथवा लंबी छड़ वाले का प्रयोग करें।
3. नमूने की गहराईः अन्न, दलहन, तिलहन, गन्ना, कपास, चारा, सब्जियों तथा मौसमी फूलों, आदि के लिए ऊपरी सतह (0-15 सें.मी) से 15-20 निशानों से नमूना लें। बाग या अन्य वृक्षों के लिए 0-30, 30-60 तथा 60-90 सें.मी. तक के अलग-अलग नमूने लें। सतह से नमूने लेने के लिए खुर्पी की सहायता से ‘ट’ के आकार का गड्ढा 15 सें.मी. तक बनायें और एक किनारे से लगभग 2 सें.मी. मोटी परत लें।
3. नमूना तैयार करनाः एक खेत या भाग से लिये गये सभी नमूनों को एक बिल्कुल साफ सतह पर या कपड़े या पाॅलीथीन शीट पर रखकर खूब अच्छी तरह मिला लें। पूरी मात्रा को एक समान मोटाई में फैला लें तथा हाथ से चार बराबर भागों में बांट लें। आमने-सामने वाले दो भाग हटा दें तथा शेष दो को पिफर मिलाकर चार भागों में बांट दें। यह क्रिया तब तक दोहराते रहें जब तक लगभग आधा कि.ग्रा. मात्रा बच जाये।
4. नाम, पता आदि लिखनाः अंत में बची हुई लगभग आधा कि.ग्रा. मिट्टी को कपड़े, कागज या पाॅलीथीन के साथ (नई) थैली में रखकर उस पर किसान का नाम, पता, नमूना संख्या लिख दें।
अलग से एक कागज पर यही विवरण लिखकर थैली के अंदर भी रख दें। मिट्टी गीली हो तो छाया में सुखाकर थैली में रख दें तथा 2-3 दिन में ही प्रयोगशाला में भेज दें।
5. अन्य आवश्यक जानकारी भी देंः नमूनों पर पहचान चिन्ह, नमूने की गहराई, फसल प्रणाली, प्रयोग की गई खादों व उर्वरकों की मात्रा तथा समय, सिंचाई सुविधा, जल-निकास आदि की जानकारी के अतिरिक्त वांछित फसल का नाम भी लिखें।
6. मिट्टी परीक्षण का सही समयः फसल बोने या रोपाई करने के एक माह पूर्व, खाद व उर्वरकों के प्रयोग से पहले ही मिट्टी परीक्षण करायें। आवश्यकता हो तो खड़ी फसल में से भी कतारों के बीच से नमूना लेकर परीक्षण के लिये भेज सकते हैं ताकि खड़ी पफसल में पोषण सुधार किया जा सकें।
7. पुनः परीक्षण कब करायेंः साधारण पफसलों के लिए एक या दो वर्ष में एक बार मिट्टी परीक्षण अवश्य करा लेना चाहिए। फसल कमजोर होने पर बीच में तुरंत समाधान के लिए परीक्षण कराया जा सकता है। खेती आरंभ करने से पूर्व पूरे फार्म की मिट्टी (तथा सिंचाई जल) का परीक्षण करा लेना बहुत आवश्यक है।
मिट्टी परीक्षण के मुख्य उद्देश्य
- मृदा विकारों जैसे- अम्लीयता, लवणीयता, क्षारीयता, और प्रदूषण का पता लगाना और सुधार के के सुझाव देना
- मिट्टी की उपजाऊ शक्ति का पता लगाना और उसी के अनुसार खादों व उर्वरकों की मात्रा की सिफारिश करना
- उर्वरकों के प्रयोग से होने वाले लाभ का अंदाज़ करना और संबंधित भावी योजना में सहायता करना
नमूने लेने की सही विधि
1. खेत का सर्वेक्षणः खेत का सर्वेक्षण करके उसे ढलान, रंग, फसलो का उत्पादन और आकार के अनुसार उचित भागों में बांट लें। इसके बाद प्रत्येक भाग में टेढ़े-मेढ़े चलते हुए 15-20 निशान लगा लें। खेत का आकार एक एकड़ से अधिक न रखें। यदि पूरा खेत बहुत अधिक समानता वाला हो तो एक हैक्टर से केवल एक नमूना भी लिया जा सकता है।2. औजारों का चयनः ऊपरी सतह से नमूना लेने के लिए खुर्पी या ट्यूब आगर, अधिक गहराई से या गीली मिट्टी से नमूना लेने के लिए पोस्ट होल आगर तथा सख्त मिट्टी से नमूना लेने के लिए बर्मे का प्रयोग करें। गड्ढे खोदने के लिए कस्सी, फावड़े अथवा लंबी छड़ वाले का प्रयोग करें।
3. नमूने की गहराईः अन्न, दलहन, तिलहन, गन्ना, कपास, चारा, सब्जियों तथा मौसमी फूलों, आदि के लिए ऊपरी सतह (0-15 सें.मी) से 15-20 निशानों से नमूना लें। बाग या अन्य वृक्षों के लिए 0-30, 30-60 तथा 60-90 सें.मी. तक के अलग-अलग नमूने लें। सतह से नमूने लेने के लिए खुर्पी की सहायता से ‘ट’ के आकार का गड्ढा 15 सें.मी. तक बनायें और एक किनारे से लगभग 2 सें.मी. मोटी परत लें।
3. नमूना तैयार करनाः एक खेत या भाग से लिये गये सभी नमूनों को एक बिल्कुल साफ सतह पर या कपड़े या पाॅलीथीन शीट पर रखकर खूब अच्छी तरह मिला लें। पूरी मात्रा को एक समान मोटाई में फैला लें तथा हाथ से चार बराबर भागों में बांट लें। आमने-सामने वाले दो भाग हटा दें तथा शेष दो को पिफर मिलाकर चार भागों में बांट दें। यह क्रिया तब तक दोहराते रहें जब तक लगभग आधा कि.ग्रा. मात्रा बच जाये।
4. नाम, पता आदि लिखनाः अंत में बची हुई लगभग आधा कि.ग्रा. मिट्टी को कपड़े, कागज या पाॅलीथीन के साथ (नई) थैली में रखकर उस पर किसान का नाम, पता, नमूना संख्या लिख दें।
अलग से एक कागज पर यही विवरण लिखकर थैली के अंदर भी रख दें। मिट्टी गीली हो तो छाया में सुखाकर थैली में रख दें तथा 2-3 दिन में ही प्रयोगशाला में भेज दें।
5. अन्य आवश्यक जानकारी भी देंः नमूनों पर पहचान चिन्ह, नमूने की गहराई, फसल प्रणाली, प्रयोग की गई खादों व उर्वरकों की मात्रा तथा समय, सिंचाई सुविधा, जल-निकास आदि की जानकारी के अतिरिक्त वांछित फसल का नाम भी लिखें।
6. मिट्टी परीक्षण का सही समयः फसल बोने या रोपाई करने के एक माह पूर्व, खाद व उर्वरकों के प्रयोग से पहले ही मिट्टी परीक्षण करायें। आवश्यकता हो तो खड़ी फसल में से भी कतारों के बीच से नमूना लेकर परीक्षण के लिये भेज सकते हैं ताकि खड़ी पफसल में पोषण सुधार किया जा सकें।
7. पुनः परीक्षण कब करायेंः साधारण पफसलों के लिए एक या दो वर्ष में एक बार मिट्टी परीक्षण अवश्य करा लेना चाहिए। फसल कमजोर होने पर बीच में तुरंत समाधान के लिए परीक्षण कराया जा सकता है। खेती आरंभ करने से पूर्व पूरे फार्म की मिट्टी (तथा सिंचाई जल) का परीक्षण करा लेना बहुत आवश्यक है।