मुंहासे क्यों निकलते हैं, इस
का ठीक-ठीक पता नहीं चला है। फिर भी यह प्रायः
वसा ग्रन्थियों के विकार तथा प्रणाली विहीन ग्रन्थियों के अनुजलन से उत्पन्न होता
है। पुरूषों के अन्डकोषों के अन्तःस्राव के विकार, अजीर्ण, रक्त में गर्मी की अधिकता
(रक्तदोष) गर्म स्वभाव के खाद्य एवं पेय पदार्थो का अति सेवन, अधिक व्यायाम, कार्बोहाइडेªट एवं वसा पदार्थो का अति सेवन
कारणों से ये उत्पन्न हो जाता है। चिकने चर्म वाले मनुष्यों को यह अधिक होता है।
वैसे जवान लड़का-लड़कियों को उनके चेहरों पर यह मुंहासे अक्सर निकल आते हैं
जो 25-26 वर्ष की आयु तक स्वयं दूर हो जाते हैं।
इनका स्वास्थ्य पर कोई बुरा
असर नहीं पड़ता है, केवल चेहरा भद्दा (बुरा) लगने लगता है।
यह विशेषतः युवावस्था में उत्पन्न होने वाला शोथयुक्त चर्म रोग है। चेहरों पर कीलें सी निकल आती हैं जो कुछ दिनों के बाद आगे
चलकर सख्त हो जाती है। इन कीलों को तोड़ने पर गाढ़ी लेसदार पीप निकलती
है, कीलों का मुॅह नुकीला होता है, इनमें दर्द भी होता है, कभी-कभी पीप निकलने
के बाद वहाॅ पर व्रण या धब्बे रह जाते हैं। जिनके फलस्वरूप चेहरा कड़ा तथा
कुरूप हो जाता है।
यह चेहरे के अतिरिक्त गर्दन एवं छाती पर भी निकल आते है,
जिनके पेंदे सख्त लाल होते हैं। पक जाने पर इन सभी में कील तथा थोड़ा सी
पीप निकलती है। यह बहुत अधिक दिनों तक चलने वाली बीमारी होती है।
चेहरे से कील मुंहासे हटाने के घरेलू उपाय
रोग पूर्णतः साध्य है। उचित आहार-विहार तथा चिकित्सा आवश्यक है
ताकि मुख-सौन्दर्य जो प्रकृति ने वरदान स्वरूप प्रदान किया है, वह कम न हो
जाये।
- रोगी को बार-बार ग्लीसरीन साबुन से मुह धोना चाहिए।
- किसी भी प्रकार का तैलीय पदार्थ अथवा क्रीम मुख (चेहरे) पर नहीं लगाना चाहिए।
- नीम की भाप जल से चेहरे को दिन में दो बार लेना करना चाहिए। इससे तैल ग्रन्थियों के मुख खुल जाते हैं।
- पीडि़काओं को किसी प्रकार से किसी भी स्थिति में दबाना नहीं चाहिए।
- रोगी के चेहरे पर बच, लोध्र, कूठ एवं टंकणभस्म का सहीमात्रा में मिला चूर्ण का लेप लगाना चाहिए, लेप चेहरे पर कम से कम दो घंटों तक अवश्य लगा रहना चाहिए। लेप दिन में दो बार लगाया जाना चाहिए तथा लेप लगाया जाना चाहिए।
- रोगी को सुबह शाम निम्वादि चूर्ण 2-2 ग्राम तथा रात्रि को पंचशकार चूर्ण 2 ग्राम गुनगुने जल के साथ खाने को देना चाहिए। दो से तीन सप्ताह में पीडि़कायें समाप्त हो जाती हैं।
- हरी साग-सब्जियाॅ उबाल कर खाने से या उनका रसपान करने से यह रोग घट जाता है।
- त्रिफला और मुलहठी मिलाकर 3-4 ग्राम नित्य खाते रहने से कब्ज दूर होने के साथ ही साथ कील (मुंहासे) भी दूर हो जाते है।
- स्त्री को यदि प्रदर-विकारके कारण मुहांसे का रोग हो तो उसके मासिक विकारों की चिकित्सा करें।
- काली मिर्चो को पानी में घिसकर मुंहासों पर लगाने से रोग दूर हो जाता है।
- कैस्टर आयल में चने का आटा मिलाकर चेहरे पर मालिश करने से रोग नष्ट हो जाता है।
- यदि रोग ज्यादा पुराना हो तो सारिवाद्यासव और खदिरारिष्ट का दस-दस मी0ली0 सम्भाग जल से भोजनोपरान्त भी प्रयोग करें।
- भुनी हुई फिटकरी को समभाग काली मिर्च मिलाकर बारीक घोटकर तथा पानी में घोलकर मुहांसों तथा मस्सों पर लगाने से वह मिट जाते है। जहाॅ कहीं भी रक्त बहता हो वहाॅ यदि इसे लगाया जाये तो रक्तस्राव बन्द हो जाता है।
- मसूर की दाल को बारीक पीसकर दूध में फेंट लें, तत्पश्चात् मुॅह पर लगाकर थोड़ी देर बाद रगड़कर धो-पोंछकर साफ कर लें। मात्र 5-7 दिनों के प्रातः एवं सांय के नित्य प्रयोग से ही मुंहासे सदैव के लिए नष्ट हो जायेगें तथा पुनः निकलेंगे भी नहीं।
- जायफल एवं काली मिर्च (दोनों) को दूध में घिसकर मुंहासों पर लगाने से आराम हो जाता है।
- सफेद प्याज का अर्क 10 ग्राम, शहद 5 ग्राम, सेंधा नमक 1 ग्राम तीनों को मिलाकर छानकर रखें, मुहासों पर इसे लगाने से वे मिट जाते हैं तथा इसे यदि नेत्रों (आंखों) में डाला जाये तो नेत्र संबंधी अनेक विकार दूर होकर नेत्रों की सफेदी मिट जाती है तथा पानी बहना बन्द हो जाता है।
- छुहारा की गुठली सिरके में घिसकर मुहासों पर लगायें तथा एक घन्टे के बाद मुख को साबुन से धो डालें। मात्र 4-6 दिनों के प्रयोग से मुहासों से निजात मिल जायेगी।
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