जनसंख्या नीति 2000 के उद्देश्य
सरकार ने 15 फरवरी, 2000 को नई राष्ट्रीय जनसंख्या नीति की घोषणा की। इस नीति में जनसंख्या के जीवन-स्तर में गुणात्मक सुधार लाने के लिए तीन उद्देश्य निश्चित किये गये:
- तात्कालिक उद्देश्य: पर्याप्त मात्रा में गर्भ निरोधक उपायों का विस्तार करने के लिए स्वास्थ्य के बुनियादी ढ़ांचे का विकास करना।
- मध्यमकालीन उद्देश्य: कुल प्रजनन दर को सन् 2010 तक 2.1 के प्रतिस्थापन स्तर तक लाना।
- दीर्घकालीन उद्देश्य: सन् 2045(अब 2070) तक जनसंख्या ऐसे स्तर पर स्थिर करना जो आर्थिक वृद्धि, सामाजिक विस्तार तथा पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से अनुकूल हो।
इस नीति में छोटे परिवार के प्रोत्साहन के विभिन्न प्रेरक उपायों की घोषणा की गई, जिनमें प्रमुख हैं: छोटे परिवार को बढ़ावा देने वाली पंचायतों एवं जिला परिषदों को केन्द्र सरकार द्वारा पुरष्कृत करना, गरीबी रेखा से नीचे के उन परिवारों को 5000 रूपये की स्वास्थ्य बीमा की सुविधा देना जिनके केवल दो बच्चे हैं और उन्होने बन्ध्याकरण करवा लिया है, बाल-विवाह निरोधक अधिनियम तथा प्रसव पूर्व लिंग परीक्षण तकनीकी निरोधक अधिनियम को कड़ाई से लागू किया जाना, गर्भपात सुविधा योजना को मजबूत करना, ग्रामीण क्षेत्रों में बन्ध्याकरण की सुविधा हेतु सहायता देना आदि।
इसके साथ ही देश में राष्ट्रीय जनसंख्या आयोग, राज्य जनसंख्या आयोग एवं योजना आयोग में समन्वय प्रकोष्ठ का गठन भी किया गया है।