अभिवृत्ति की परिभाषा
अभिवृत्ति का निर्माण कैसे होता है?
अभिवृत्ति के निर्माण का प्रमुख स्रोत सामाजिक सीख है। परिवार, समूह, विद्यालय, कार्य स्थल तथा व्यक्तिगत अनुभव से अभिवृत्तियाँ विकसित होती है। सामाजिक सीख की तीन प्रक्रियाएँ होती हैं- साहचर्य आधारित, सही मत धारणा करने सम्बन्धी और उदाहरण द्वारा। अभिवृत्ति और व्यवहार में अन्तर होता है। अभिवृत्तियाँ परिवर्तनशील भी होती हैं।
- साहचर्य पर आधारित सीख
- सही मत धारण करने के लिए सीख
- उदाहरण से सीखना
तीनों प्रक्रियाओं के विवरण से हम अभिवृत्ति निर्माण को आसानी से समझ सकते हैं।
साहचर्य पर आधारित सीख में यह बताया गया है कि जब एक उद्दीपक लगातार दूसरे के पहले आता है, तो पहले वाला शीघ्र दूसरे के लिए संकेतक बन जाता है। एक उदाहरण के द्वारा इसे समझा जा सकता है। एक बच्चा अपने पिता को एक खास जाति के व्यक्ति या धार्मिक व्यक्ति को देखकर नाक भौं सिकोड़ते या बड़बड़ाते हुए देखता है तो धीरे-धीरे वो बच्चा भी जो पहले उस जाति या धर्म के व्यक्ति के प्रति निराश था, प्रतिकूल मनोवृत्ति निर्मित कर लेता है। स्पष्ट है कि लगातार प्रतिकूल या अनुकूल संवेगात्मक प्रतिक्रियाओं से सामना होते रहने का बच्चे पर तद्नुरूप प्रभाव पड़ता है। इस तरह अनुबंधित अनुक्रिया सीखने का एक आधारभूत रूप है, जिसमें एक उद्दीपन, प्रारम्भ में उदासीन, किसी अन्य उद्दीपन के साथ बार-बार दुहराये जाने पर प्रतिक्रिया पैदा करने की क्षमता ग्रहण कर लेता है। एक तरह से एक उद्दीपन दूसरे के घटित होने या प्रस्तुत होने के लिए संकेत हो जाता है।
सामाजिक सीख की दूसरी प्रक्रिया ‘साधन अनुकूलन’ होती है, इसके अन्तर्गत सही मत धारण करने के लिए सीख को रखा जाता है और भी स्पष्ट करने के लिए यह कहा जा सकता है कि साधन अनुकूलन सीख का वह मूलभूत रूप है, जिसमें सकारात्मक परिणाम पैदा करने वाली या नकारात्मक परिणाम को नकारने वाली प्रतिक्रियाओं को मजबूत बनाया जाता है, इसे सक्रिय सम्बद्ध अनुक्रिया भी कहा जाता है। इस प्रक्रिया में पुरस्कार, प्रशंसा, प्यार के द्वारा एक बच्चे की अभिवृत्तियों को निर्मित किया जाता है।
सीख की तीसरी प्रक्रिया, जिसके द्वारा अभिवृत्तियों का निर्माण होता है, उसे निरीक्षणात्मक सीख कहा जाता है। इसमें व्यक्ति दूसरों को देखकर नये प्रकार के व्यवहार या विचार ग्रहण करता है। बच्चों के द्वारा धूम्रपान करना और उनके प्रति अनुकूल विचार रखना निरीक्षणात्मक सीख का एक सरलतम उदाहरण है।
अभिवृत्तियाँ जन्मजात नहीं होतीं अपितु सीखी या निर्मित की जाती हैं। कई विद्वानों के अध्ययनों से यह प्रमाणित होता है कि अभिवृत्ति निर्माण में आनुवंशिक योगदान होता है। इसकी पुष्टि समरूप जुड़वा बच्चों की अभिवृत्तियों में समानता द्वारा की गयी है। ऐसा पाया गया है कि समरूप जुड़वो की मनोवृत्ति भिन्न जुड़वों की अपेक्षा अधिक सह-सम्बन्धित थी साथ ही परिणामों ने यह भी प्रमाणित किया कि कुछ मनोवृत्तियों का निर्माण आनुवांशिक कारकों द्वारा भी होता है।