मसालों के औषधीय गुण
मसाले अपने
औषधीय गुणों स्वास्थ्यवर्धक गुणों के लिए अति महत्वपूर्ण है। कुछ
मसालों के नाम तथा उनके गुण है।
1. कालीमिर्च- यह पाचन शक्ति
बढ़ाती है तथा पित्त की वृद्धि करती है। वात को चलायमान तथा कफ का
छेदन (शरीर से निकालना) करती है।
2. इलायची- यह शरीर में ऊष्णता
प्रदान करती है तथा पाचन शक्ति को बढ़ाती है। यह हृदय के लिए उत्तम है
तथा सांस की दुर्गन्ध को दूर करती है। अधिक मात्रा में लेने पर यह पित्त
को बढ़ाती है। यह वात एवं कफ को शान्त करती है।
3. लौंग- लौंग पाचन में वृद्धि करती है।
विभिन्न भोजन द्रव्यों में इसे स्वाद बढ़ाने एवं सुगंध बढ़ाने के लिए प्रयोग
करते हैं। यह पित्त को बढ़ाता है तथा वात, कफ को कम करता है।
4. धनियाॅ- यह शीतलता प्रदान करता है। यह
मधुर, तैलीय, शुष्क एवं लघु है। यह मूत्रदाह तथा कष्ट से मूत्र उतरने के
लक्षण को कम करता है। भोजन के आचूषण की शक्ति को बढ़ाता है। वात
एवं कफ का वृद्धि करता है तथा पित्त को शान्त करता है।
5. जीरा- यह अतिसार को दूर करता है एवं
पाचन शक्ति बढ़ाता है। यह पित्त को बढ़ाता है तथा एवं कफ का शमन
करता है।
6. मेथी- यह ज्वर तथा वात रोगों को दूर करती है। अधिक
मात्रा में लेने से यह वात तथा पित्त को बढ़ाती है तथा कफ को घटाती है।
जोड़ों के दर्द तथा मधुमेह में लाभदायक है।
7. लहसुन- यह वात रोग की अच्छी औषधि है।
खाॅंसी को दूर करती है। यह पित्त को बढ़ाती है तथा वात कफ शामक है।
रक्तगत कोलेस्टेराॅल को घटाता है।
8. अदरक- यह भूख एवं पाचन शक्ति को बढ़ाता है। अधिक मात्रा में
खाने से पित्त वर्धक है। यह वात एवं कफ का शमन करता है। कच्ची
अदरक को सेंधा नमक के साथ भोजन के प्रारम्भ में लेना चाहिए।
9. सरसों के बीज- यह यह माॅसपेशियों की पीड़ा को दूर करता है। इसके बीज पित्तवर्धक है तथा
वात एवं कफ को कम करते हैं।
10 केसर- यह यह वात कफ वर्धक तथा पित्त नाशक है एवं बलकारक है।
11. नमक- यह पाचन शक्ति
वर्धक है। यह अधिक मात्रा में खाने पर उच्च रक्तचाप करता है तथा पानी
का शरीर से उत्सर्जन कम कर देता है।
12. हल्दी- यह बहुमूत्रता, मधुमेह तथा त्वचा रोग में लाभकारी है। यह
पाचन शक्ति को बढ़ाती है।
13. ताजे हरे पत्तेदार मसाले - भोजन को सुगंधित करने, रूचि पैदा करने उनकी स्वास्थ्यवर्धक शक्ति को बढ़ाने तथा उनके औषधीय
गुण को बढ़ाने का कार्य करती है। उदाहरणार्थ- धनियाॅ के हरे पत्ते, पोदीना
पत्र, मूलीपत्र, हरा प्याज आदि। ये गर्मी से कम प्रभाव व कम सुगंध वाले हो
जाते है इसलिए इनको कच्चा ही ऊपर से भोजन के पकने के बाद डाला
जाता है।
मसालों का प्रमुख कार्य
- दालचीनी- यह पेड़ की छाल है। इसमें कार्बनिक गंधयुक्त तेल रहता है। यह भोजन में सुगन्ध प्रदान करता है।
- लौंग- इसमें यूगेनन तथा कैरियोफाइलिन युक्त महक प्रदान करने वाले पदार्थ हैं।
- अजवाइन- यह भोजन में सुगन्ध देता है तथा दवाइयों में भी इसका प्रयोग होता हैं पाचन की खराबी में अजवाइन का प्रयोग होता है।
- तेजपात- इसका प्रयोग गरम मसाले में होता है। इसमें एल्डीहाइड नामक गन्धयुक्त कार्बनिक तेल होता है, जो भोजन को सुगन्ध देता है।
- जीरा- यह सब्जियाँ बनाने में प्रयोग होता है। इसकी सुगन्ध अच्छी होती है। जीरा भोजन के पाचन में सहायता करता है।
- धनियाँ- धनियाँ पाउडर सब्जी बनाने में प्रयोग होता है। इसकी सुगन्ध मोहक होती है।
- सोंफ- इसका प्रयोग कुछ सब्जी बनाने मे किया जाता हैं यह भोजन के पाचन के लिए अधिक लाभकारी होता है। कुछ लोग इसे ऐसे ही खाते हैं।
- राई- अनेक प्रकार के आचारों व सब्जियों के छोक में राई का प्रयोग किया जाता है। राई खाद्य पदार्थों को सड़ने से रोकता है। इसका उपयोग तेल उत्पादन में किया जाता है।
- काली मिर्च- गरम मसाले व पुलाव आदि मे इसका उपयोग किया जाता है। इसमें गंधयुक्त तेल, नाइट्रोजन के कुछ तत्व तथा हाइड्रोकार्बन उपस्थित रहते हैं।
- हल्दी- हल्दी रक्त को षुद्ध करती है तथा इसमें आयोडीन की कुछ मात्रा होने से यह एंटिसेप्टिक का काम भी करती है। अन्दरूनी चोट में इसे दूध में डालकर पिलाया जाता है। इसका प्रयोग रंग लाने के लिए भी किया जाता है।
- लाल मिर्च- यह तीखी होती है एवं सब्जियों को लाल रंग प्रदान करती है। इसमें विटामिन तथा वसा की कुछ मात्रा ओती है। हरी मिर्च में विटामिन ‘सी’ भी होती है, किन्तु इसका अत्यधिक प्रयोग आंतों को नुकसान देता है।
- सिरका- कुछ भोजन में सिरके का प्रयोग होता है। इसके उपयोग से पाचन क्रिया का कार्य सुचारू रूप से होता है। यह भूख भी बढ़ाता है।
- नमक- यह भोजन को स्वाद प्रदान करता है। शरीर में पानी की मात्रा को संतुलित करता है।
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