नेटवर्क टोपोलॉजी क्या है इसके प्रकार (Network Topology in Hindi)

नेटवर्क टोपोलाॅजी (Network topology) नेटवर्क की आकृति या संरचना या संगठन है जिसमें कई Nodes या Terminals को आपस में जोड़ने के तरीके की जानकारी मिलती है। नेटवर्क से जुडे़ कम्प्यूटर या उपकरण को Nodes कहा जाता है। नेटवर्क के कई Nodes किस प्रकार एक दूसरे से जुड़े होते हैं तथा कैसे एक दूसरे के साथ डाटा एवं सूचना का लेन-देन करते हैं, यह नेटवर्क टोपोलाॅजी ही निर्धारित करता है। किसी भी जगह में स्थापित नेटवर्क की टोपोलाॅजी इस बात पर निर्भर करती है कि संस्था किस-किस स्थान के कितने कम्प्यूटर्स को नेटवर्क से जोड़ना चाहती है। अन्य शब्दों में कम्प्यूटर्स का आपस में भौतिक रूप से जुड़ने का ढंग ही नेटवर्क टोपोलाॅजी कहलाता है। 

दूसरे शब्दों में, जिस तरह से कंप्यूटर एक-दूसरे से भौतिक रूप से जुड़े होते हैं, उसे नेटवर्क टोपोलॉजी ( Network topology) कहा जाता है।

नेटवर्क टोपोलाॅजी के प्रकार

नेटवर्क टोपोलाॅजी (Network topology) निम्नलिखित प्रकार का होता है।
  1. स्टार टोपोलाॅजी (Star topology)
  2. रिंग टोपोलाॅजी (Ring topology)
  3. बस टोपोलॉजी (Bus topology)
  4. मेष टोपोलॉजी (Mesh topology)
  5. ट्री टोपोलाॅजी (Tree topology)

1. स्टार टोपोलाॅजी  (Star topology)

स्टार टोपोलाॅजी में एक Host या सर्वर कम्प्यूटर होता है। जिससे सभी कम्प्यूटर तार के माध्यम से सीधे जुड़े होते हैं। होस्ट या सर्वर कम्प्यूटर सभी कम्प्यूटरों के केन्द्र में स्थित होता है इसे केन्द्रीय कम्प्यूटर भी कहा जाता है। इस प्रकार के नेटवर्क के कम्प्यूटर आपस में सीधे डाटा का आदान-प्रदान नहीं कर पाते। किसी भी कम्प्यूटर द्वारा भेजा गया संदेश होस्ट कम्प्यूटर से होकर ही दूसरे कम्प्यूटर तक पहुँचता है। होस्ट कम्प्यूटर द्वारा ही पूरे नेटवर्क को नियंत्रित किया जाता है। होस्ट कम्प्यूटर के खराब होने पर पूरा नेटवर्क ही बंद हो जाता है।

स्टार टोपोलाॅजी के लाभ
  1. इस नेटवर्क टोपोलाॅजी में कार्य करने की स्पीड तेज होती है क्योंकि जब एक कम्पयूटर द्वारा दूसरे कम्पयूटर को संदेश भेजा जाता है तब बीच में सिर्फ होस्ट कम्पयूटर ही होता है।
  2. इसमें कम्पयूटर की संख्या बढ़ाये जाने पर एक कम्पयूटर पर दूसरे कम्पयूटर की सूचनाओं के आदान-प्रदान की स्पीड प्रभावित नहीं होती।
  3. जब कंप्यूटरों की संख्या अधिक होती है तो होस्ट कंप्यूटर को अधिक क्षमता के साथ स्थापित किया जाता है, जिससे नेटवर्क की गति बढ़ जाती है।
  4. इस नेटवर्क टोपोलॉजी में होस्ट कंप्यूटर को कंप्यूटर से जोड़ने की लागत कम हो जाती है।
  5. यदि नेटवर्क से जुड़ा कंप्यूटर खराब हो जाता है, तो नेटवर्क प्रभावित नहीं होता है।
स्टार टोपोलाॅजी की हानि
  1. यह पूरा सिस्टम होस्ट कंप्यूटर पर निर्भर है। यदि होस्ट कंप्यूटर खराब हो जाता है, तो पूरा नेटवर्क बंद हो जाता है।
  2.  होस्ट कंप्यूटर पर लोड अधिक होने पर नेटवर्क स्पीड कम हो जाती है।
  3. यदि नेटवर्क से जुड़े कंप्यूटरों की दूरी अधिक हो तो वहां नेटवर्क की गति कम हो जाती है।
  4. होस्ट कंप्यूटर से दूर स्थित कंप्यूटरों को जोड़ने के लिए बहुत अधिक तार की आवश्यकता होती है।

2. रिंग टोपोलाॅजी (Ring topology)

इस प्रकार के नेटवर्क टोपोलॉजी में सभी कंप्यूटर और पेरिफेरल डिवाइस एक गोलाकार आकार में जुड़े होते हैं। इस तरह प्रत्येक कंप्यूटर अपने दाएं और बाएं दोनों तरफ के कंप्यूटरों से जुड़कर नेटवर्क स्थापित करता है। इन कम्प्यूटरों में कोई होस्ट या मुख्य कम्प्यूटर नहीं होता है। उसमें सूचना या संदेश दोनों तरफ से जा सकते है। परन्तु एक समय में सिर्फ एक तरफ से जाता है। 

एक कम्प्यूटर से दूसरे कम्प्यूटर को संदेश प्राप्त होने पर उसके बीच के अन्य कम्प्यूटरों को यह निर्धारित करना होता है कि उक्त डाटा उनके लिए है या नहीं। यदि यह संदेश उसके लिए नहीं है तो उसको अन्य कम्प्यूटर में आगे भेज दिया जाता है। इस प्रकार संदेश या सूचना तब तक संचारित होता रहता है जब तक कि वह संबोधित किए गए विशिष्ट कम्प्यूटर या नोड तक नहीं पहुँच जाता।

रिंग टोपोलाॅजी के लाभ
  1. यह टोपोलॉजी स्टार की तुलना में अधिक विश्वसनीय है क्योंकि यह किसी एक कंप्यूटर पर निर्भर नहीं है।
  2. किसी एक नोड या लाइन के फेल होने की स्थिति में दूसरी दिषा की लाईन से करके कार्य किया जा सकता है।
  3. यह नेटवर्क अधिक कुशलता से काम करता है क्योंकि यह किसी एकल होस्ट कंप्यूटर पर निर्भर नहीं होता।
  4. नेटवर्क से नए कम्प्यूटर को जोड़ना आसान होता है।
रिंग टोपोलाॅजी के हानि
  1. इसकी स्पीड नेटवर्क में लगे कम्प्यूटर्स पर निर्भर करती है। कम्प्यूटर्स की संख्या ज़्यादा होने पर स्पीड कम हो जाती है।
  2. नेटवर्क से जुडे़ कम्प्यूटर्स को हमेशा आन रखना पड़ता है। कम्प्यूटर बन्द करने में उस तरफ से सूचना का प्रवाह न होकर दूसरी तरफ से होता है। यदि दूसरे तरफ का कम्प्यूटर भी बंद हो तो सूचना भेज पाना संभव नहीं होता ।
  3. इस प्रकार के नेटवर्क को सही से संचारित करने के लिए साॅफ्टवेयर की जरूरत पड़ती है।

3. बस टोपोलाॅजी (Bus topology)

बस टोपोलाॅजी में सभी कम्प्यूटर्स एक ही तार से क्रम में जुडे़ होते हैं। तार के शुरू तथा अंत में एक उपकरण का उपयोग किया जाता है, जिसे Terminator कहते हैं। Terminator का काम होता है संकेतों को नियंत्रित करना। जब कोई नोड बस को डाटा संप्रेषित करता है, तो वह सभी उपकरणों द्वारा प्राप्त किया जाता है, लेकिन जिस नोड के लिए इसे संप्रेषित किया गया है वह इसे स्वीकार करता है तथा अन्य नोड उसकी अनदेखी करते है। इस टोपोलाॅजी में किसी एक कम्प्यूटर या नोड के खराब होने से नेटवर्क बाधित नहीं होता है।  प्रमुख ट्रांसमिशन लाइन में कठिनाई आने पर सारा नेटवर्क ही खराब हो जाता है। जरूरत पड़ने पर मुख्य Cable के समानांतर अन्य के बल लगाया जा सकता है जिससे नेटवर्क पहले की तरह काम  करने लगता है। इथरनेट पर आधारित लोकल एरिया नेटवर्क को स्थापित करने में इस टोपोलाॅजी का उपयोग किया जाता है।

बस टोपोलाॅजी के लाभ
  1. बस टोपोलाॅजी द्वारा नेटवर्क स्थापित करने पर बहुत कम खर्च आता है। 
  2. बस टोपोलाॅजी को स्थापित करना बहुत आसान होता है। 
  3. इसमें स्टार व ट्री टोपोलाॅजी की तुलना में कम केबिल का उपयोग होता है। 
  4. मुख्य केबिल में खराबी आने पर दूसरा केबिल आसानी से लगाया जा सकता है। 
  5. इसमें नेटवर्क की स्पीड तेज होती है। 
  6. कम्प्यूटरों की संख्या ज्यादा होने पर Managed switch का use करके नेटवर्क की स्पीड को बढ़ाया जा सकता है।
बस टोपोलाॅजी की हानि
  1. मेन केबल में खराबी आने पर पूरा नेटवर्क ठप हो जाता है।
  2. बाद में कंप्यूटर को कनेक्ट करना अपेक्षाकृत कठिन होता है।
  3. जब एक ही समय में कई नोड्स द्वारा डेटा प्रसारित किया जाता है तो नेटवर्क की स्पीड कम हो जाती है।

4. मेष टोपोलाॅजी (Mesh topology) 

इस प्रकार के नेटवर्क टोपोलॉजी में कई नोड और सर्वर एक दूसरे से सीधे जुड़े होते हैं, जिससे दो नोड आपस में कई मार्ग से सम्पर्क कर सकते हैं, क्योंकि इसमें कोई होस्ट कम्प्यूटर नहीं होता जो मार्ग निर्धारित करे। यह विश्वसनीयता बढ़ाता है और संभावित व्यवधानों को कम करता है, लेकिन रूटिंग को और अधिक जटिल बना देता है, क्योंकि किन्हीं दो नोड्स के बीच कई मार्ग उपलब्ध हैं। इस टोपोलाॅजी को बहु संयोजन नेटवर्क टोपोलाॅजी भी कहा जाता है। इसमें नोडों को बीच कई अन्तः सम्बन्ध होने के कारण नेटवर्क में अवरोध की संभावना न्यूनतम होती है। 

मेष टोपोलाॅजी के लाभ
  1. इस प्रकार के नेटवर्क टोपोलॉजी में उच्चतम विश्वसनीयता होती है, क्योंकि डेटा उच्च सुरक्षा अनुप्रयोगों में प्रसारित होता है। 
  2. नेटवर्क कभी भी ठप नहीं होता क्योंकि नोड़ो के बीच कई मार्ग उपलब्ध होते हैं। 
  3. इस नेटवर्क टोपोलॉजी में डेटा ट्रांसमिशन सबसे तेज है। 
  4. यह हाइब्रिड प्रकृति की टोपोलाॅजी है, जिससे रिंग, स्टार तथा अन्य टोपोलाॅजी के गुण विद्यमान है। 
मेष टोपोलाॅजी की हानि  
  1. यह नेटवर्क अधिक महंगा है, क्योंकि लगभग सभी कम्प्यूटर या नोड एक दूसरे से केबिल द्वारा जुडे होते हैं। 
  2. नोडो में इंटेलिजेंस की आवश्यकता होती है, क्योंकि कई मार्ग उपलब्ध होने के कारण राउटिंग जटिल हो जाता है।
  3. इस प्रकार की नेटवर्क टोपोलाॅजी का उपयोग कम नोडो या कम्प्यूटरों का नेटवर्क स्थापित करने के लिए किया जाता है।

5. ट्री टोपोलाॅजी (Tree topology)

ट्री टोपोलाॅजी को Hierarchical नेटवर्क टोपोलाॅजी भी कहा जाता है। इसमें कई नोड या कम्प्यूटर्स आपस में Hierarchical क्रम में जुड़े होते हैं। ट्री टोपोलाॅजी में स्टार तथा बस टोपोलाॅजी दोनों के गुण होते हैं। जिसमें स्टार टोपोलाॅजी की तरह एक होस्ट कम्प्यूटर होता है और बस टोपोलाॅजी की तरह सभी कम्प्यूटर एक ही नेटवर्क तार से जुड़े रहते हैं। यह नेटवर्क एक पेड़ के जैसा दिखाई देता है जिसमें सबसे ऊपर होस्ट कम्प्यूटर स्थित होता है।

ट्री टोपोलाॅजी के लाभ
  1. नेटवर्क से जुड़ा कोई कम्प्यूटर खराब हो जाए तो बस उसी सोपान या खण्ड का नेटवर्क ठप होता है, बाकि सभी कम्प्यूटर्स के बीच नेटवर्क चलता रहता है।
ट्री टोपोलाॅजी की हानि 
  1. सर्वर एवं मेन लाइन के पास के कम्प्यूटर्स पर नेटवर्क की तेज स्पीड रहती है, जबकि दूर के कम्प्यूटर्स पर स्पीड कम रहती है। 
  2. इस प्रकार की नेटवर्क टोपोलाॅजी में सबसे बड़ी कमी यह है कि पदसोपान में ऊपर के कम्प्यूटर्स के खराब होने पर नीचे कड़ी के कम्प्यूटर्स का नेटवर्क भी ठप हो जाता है। 
  3. प्रत्येक खण्ड की कुल लम्बाई प्रयोग में लाए गए तार के द्वारा ही सीमित होती है। 

1 Comments

  1. मुझे आपका यह पोस्ट पढ़कर काफी अच्छा लगा

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