प्राकृतिक आहार क्या है ?

प्राकृतिक आहार ही मनुष्य शरीर के लिए सबसे अच्छा है। जब तक मनुष्य प्राकृतिक आहार को नहीं अपनाता उसका निरोग रहना असम्भ्व है। फल, दूध, तरकारिया, अनाज मनुष्य के प्राकृतिक आहार है।

यदि आहार में कोई मूलभूत परिवर्तन न किया जाये तथा प्रकृति ने पदार्थ को जिस रूप में दिया है उसको न बिगाड़ कर प्रयोग करे तो यह हमारा प्राकृतिक आहार होगा। 

डाॅ0 ई राट जर्मनी के अनुसार कि सौ प्रतिशत में से 99.9 प्रतिशत रोग आहार खराब से उत्पन्न होते है यदि अपने स्वास्थ्य को रोग से सुरक्षित रखना चाहते है और लम्बी आयु के इच्छुक है तो प्राकृतिक आहार और सन्तुलित आहार को ग्रहण करना चाहिए।

मानव शरीर के स्वास्थ्य और दीर्घ आयु के लिए यह आवश्यक है कि क्या खायें और क्या न खाये और आहार कैसा हो । यदि आहार हो तो मनुष्य किसी भी रोग से ग्रस्त नहीं हो सकता और उसकी शक्ति बुढ़ापे तक स्थिर रह सकती है। दांत और आंखों की रोशनी अन्तिम सांस तक ठीक रह सकती है। मानव शरीर पर आहार का बहुत प्रभाव पड़ता हे।

आहार प्रत्येक प्राणी का जीवन है तथा आहार का सीधा सम्बंध उसके शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य से होता है । प्रत्येक भोजन में भिन्न -भिन्न पोषक तत्व उपस्थित होते है तथा प्रत्येक पोषक तत्व शरीर में अलग अलग रूप से कार्य करता है । यदि प्रत्येक व्यक्ति कुछ पोषक तत्वो को कम या इसके विपरीत कुछ पोषक तत्वो को अधिक परिणाम में लेने लगे तो भी शरीर के उपर उसका विपरीत प्रभाव दिखाई देने लगता है। 

आहार के प्रकार

उपयुक्त पोषक तत्वो को उचित परिणाम भोजन द्वारा ग्रहण करना पूर्ण रूप से स्वस्थ रहने के लिए आवश्यक है । इन आहारो को साधाारणः तीन भागों में बांटा गया है।

1. शुद्धिकरण आहार-यह आहार है जो रस नीबू खाए, रस कच्चा नारियल पानी, सब्जियों के सूप छाछ आदि।

2. शान्तिकारण आहार-फज, सलाद, उबली भाप में बनायी गयी सब्जियां, अंकुरित अन्न सब्जियों की चटनी आदि।

3. पुष्टिकारक आहार-सम्पूर्ण आटा बिना पालिश किया हुआ, चावल कम दालें, अंकुरित अन्न, दही आदि। यह आहार क्षारीय होने के कारण स्वस्थ शरीर का शुद्धिकरण, रोग मुक्त करने तथा रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सहायक होते है। 

गीता में तीन प्रकार के आहारों का वर्णन किया गया है सतोगुणी, रजोगुणी और तमोगुणी।

1. सात्विक आहार-आयु, उत्साह, बल आरोग्य, सुख, प्रीति बढ़ाने वाले रसदार चिलने चिरस्थायी सात्विक आहार है।

2. राजसिक आहार-कड़वे, खट्टे, नमकीन, अति गर्म, नीक्ष्ण, रूखे रजोगुणी आहार है तथा दुःख व शोक प्रदान करने वाले है।

3. तामसिक आहार-बासी, नीरस, अति गरम, तीक्ष्ण तमोगुणी आहार है। 

प्राकृतिक आहार के गुण

प्राकृतिक आहार स्वास्थ्य को ठीक रखते है। यदि स्वास्थ बिगड़ जाये तो प्रकृति के आहार औषधि का काम करती है। इन में कई प्रकार के नमक और विटामिन पाये जाते है जो रोगों को दूर करते है और बेकार तत्व के शरीर से बाहर निकालते है। प्राकृतिक आहार दो श्रेणियों में विभक्त किये जा सकते है। एक बेकार तत्व को विहर्गत करने वाले और दूसरे शरीर की शक्ति को कायम रखने वाली तरकारियाँ और फल शरीर से बेकार तत्व को दूर करने में सर्वश्रेष्ठ आहार है । इन से दूसरे दर्जे पर दूध ऐसा प्राकृतिक आहार है जो शरीर को बेकार तत्व से शुद्ध करता है और शक्ति देता है। अनाज या बीज शरीर से बेकार तत्व को बाहर निकालने के गुण नहीं रखते। ये शरीर को बलवान और सुदृढ़ बनाते है। इसलिये रोगों को दूर करने के लिये अनाज और बीज के लिये कोई स्थान नहीं। सब्जी और फलों में से सब्जियाँ को सबसे अधिक महत्व प्राप्त है। दूसरा दर्जा फलों को और तीसरा दूध को प्राप्त हैं। तरकारियाँ प्रकृति की औषधि है। इन में कीटाणुओं को दूर करने वाले तत्व रक्त को शुद्ध करने वाले गुण तथा विटामिन प्रचुर मात्रा में पाये जाते है। जो प्रत्येक प्रकार के रोगों के निवारण की क्षमता रखते है।

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