पंडित शिवकुमार शर्मा संतूर वादन की जीवनी, कार्य, सम्मान व पुरस्कार

पं0 शिवकुमार शर्मा का जन्म 13 जनवरी 1938 को जम्मू कश्मीर के डोगरा में हुआ। पं0 शिवकुमार शर्मा के पिता का नाम पं0 उमा दत्त शर्मा था। पं0 उमा दत्त शर्मा वाद्यकार व गायक थे। पं0 उमा दत्त शर्मा को इस वाद्य यंत्र की क्षमताओं का पता था। उन्होने इस वाद्य पर शोध कर इसको एक संगत वाद्य से एक स्वतंत्र वाद्य के रूप में पेश किया। पं0 शिवकुमार शर्मा ने इसमें सुधार कर इसे झाला, जोड़, गतकारी के योग्य बनाया। 

पं0 शिवकुमार शर्मा ने 5 वर्ष की उम्र से गायन की शिक्षा अपने पिता पं0 उमा दत्त शर्मा से लेनी शुरु की। बाद में कंठसंगीत छोड़कर कुछ समय तक आपने तबलावादन की शिक्षा भी ली। 13 वर्ष की उम्र से संतूर वाद्य वादन सीखना प्रारम्भ किया। आप कड़ी मेहनत व लगन से शीघ्र ही उच्च कोटि के संगीतज्ञों में शामिल हो गए। संतूर को भारत में ही नही विदेशों में भी लोकप्रिय कर दिया ।

पं0 शिवकुमार शर्मा के कार्य

पं0 शिवकुमार शर्मा ने संतूर में अनेक प्रयोग किए। आपने संतूर की रेंज को पूरे तीन सप्तक तक बढ़ाया पं0 शिवकुमार शर्मा ने संतूर बजाने की नई तकनीक का आविष्कार किया जिससे लम्बे समय तक स्वर व आवाज को बरकरार रखा जा सके। 

शास्त्रीय संगीत के कार्यक्रम के अलावा आप फिल्म संगीत में भी अपनी सेवाएँ देते रहें। बाँसुरी वादक पं0 हरिप्रसाद चैरसिया के साथ मिलकर आपने ‘शिव हरि’ के नाम से संगीत निर्देशक के रूप में ख्याति प्राप्त की। पं0 शिवकुमार शर्मा ने डर, सिलसिला, लम्हें आदि फिल्मों के लिए संगीत भी बनाया। पं0 शिवकुमार शर्मा ने एक राग का निर्माण भी किया जिसका नाम है ‘अन्र्तध्वनि’।

पं0 शिवकुमार शर्मा के सम्मान व पुरस्कार

पं0 शिवकुमार शर्मा ने कई राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त किए है:
  1. संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार (1986)
  2. महाराष्ट्र गौरव पुरस्कार (1990)
  3. पद्म श्री (1991)
  4. उ0 हाजिफ अली खाँ अवार्ड (1998)
  5. पद्म विभूषण (2001)
  6. जम्मू विश्वविद्यालय से मानद डाक्टरेट (1991)
  7. बैलटीमेरि (यू0 एस0 ए0) की नागरिकता (1985)
पं0 शिवकुमार शर्मा के पुत्र राहुल आजकल उभरते हुए संतूर वादक है। विश्व के अलग-अलग देशों से इनके पास शिष्य आते हैं जो संगीत शिक्षा प्राप्त करने।

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