कुप्पुस्वामी के अनुसार, ‘पूर्वांग्रह को एक सामाजिक रूप से सुनिश्चित समूह के प्रति नकारात्मक मनोवृत्ति के रूप में परिभाषित किया जा सकता है।’
पूर्वाग्रह निर्माण पर किम्बाॅल यंग ने लिखा है कि, ‘पूर्वाग्रह रूढि़युक्तियों, लोक गाथाओं एवं पौराणिक कथाओं के संगठन से बनता है, जिसमें एक व्यक्ति या समग्र रूप में एक समूह का वर्गीकरण करने, उसकी विशेषता स्थापित करने तथा परिभाषित करने के लिए समूह-संज्ञा या प्रतीक का प्रयोग किया जाता है।’
बेटलहाइम का कहना है कि, आर्थिक और सामाजिक प्रणालियों के कष्टप्रद पहलुओं में सुधार होने से भी पूर्वाग्रह के सक्रिय कारण को दूर किया जा सकता है। लक्षण सम्बन्धी सिद्धान्तकारों की यह मान्यता है कि मनश्चिकित्सा, अन्तर्दृष्टि का प्रशिक्षण, शिशु पालन सम्बन्धी तरीकों में परिवर्तन और व्यक्तित्व के आन्तरिक द्वन्दों को कम करने वाली प्रविधियों के प्रयोग द्वारा ‘पूर्वाग्रह को कम किया जा सकता है। पूर्वाग्रह के सामाजिक-सांस्कृतिक दृष्टिकोण के अन्तर्गत प्रचार एवं शिक्षा को महत्वपूर्ण माना गया है, जिससे पूर्वाग्रह को कम करने में मदद मिलती है।