स्वस्थ रहने के लिए क्या और कब खाना चाहिए?

स्वस्थ जीवन जीने के लिए अनिवार्य है कि हम अच्छी चीजे करें और एक स्वस्थ जीवन शैली अपनाएं। आधुनिक दुनिया जीवन शैली की व्यापक विकृतियों की विडंबना का सामना कर रही है, जिसमें परिवर्तन लाने की आवश्यकता है और जिसे व्यक्ति स्वयं ला सकते हैं। 

यह बहुत महत्त्वपूर्ण है कि कार्य, भोजन, व्यायाम और सोने के समय का ध्यान रखा जाए। 

जीवन के प्रति उचित विचार और उचित दृष्टिकोण (अभिवृत्ति) होना हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण है। 

स्वस्थ, पोषक तत्वों से भरपूर आहार की आवश्यकता पर जोर दिया गया है, जिसमें संतुलित ताजे आहार के साथ ताजा पानी, हरा सलाद, अंकुरित अन्न आदि, अशोधित अनाज और ताजे फल शामिल हैं। सात्त्विक आहार की आवश्यकता के प्रति सजग रहना बड़ी बात है, और यह प्रेम और स्नेह से बनाया हुआ होना चाहिए, और भोजन परोसने में भी वही भाव होना आवश्यक है।

स्वस्थ रहने के लिए कब खाना चाहिए? 

  1. सूर्यास्त के समय अंतिम भोजन कर लेना चाहिए।
  2. जो कुछ भी हम सुबह के समय खाते हैं, उसका अवशोषण और संचय अधिकतम होता है। इसलिए सुबह का भोजन पूर्ण रूप से पौष्टिक होना चाहिए।
  3. दोपहर का भोजन ऐसा होना चाहिए जो आसानी से पच जाए।
  4. शाम को अपनी-अपनी पसंद के अनुसार किसी भी तरह के स्वाद का नाश्ता लिया जा सकता है।
  5. रात का खाना पूरे दिन के भोजन से सबसे हल्का होना चाहिए।

स्वस्थ रहने के लिए क्या खाना चाहिए?

‘‘जैसा खाओ अन्न, वैसा होता मन‘‘, और जैसा मन होता है, वैसा ही आदमी होता है। 
  1. सात्त्विक भोजन - सात्विक भोजन वह है जो शारीरिक रूप से स्वस्थ रखने के साथ-साथ मानसिक व आध्यात्मिक रूप से भी स्वस्थ बनाए जिसमें पवित्रता हो जैसे - रोटी, भात, मूंगदाल, दूध, मक्खन, घी, बादाम, लौकी, तुरई, परवल, केला, खरबूजा ये सभी ऋतु फल ये सब सात्विक भोजन है।
  2. राजसिक भोजन - इस भोजन से बड़ी मात्रा में ऊर्जा मिलती है, यह आसानी से नहीं पचता तथा इससे मन विचलित होता है, इसलिए इससे बचना चाहिए।
  3. तामसिक भोजन - तामसिक भोजन में वे खाद्य पदार्थ आते हैं जो मन तथा आत्मा को कलुषित करते है, उग्रता बढ़ाते हैं जैसे- तीक्ष्ण मसालेदार आहार, मांसाहार, मद्य आदि। इसे पचाने में काफी समय लगता है इसको खाने से व्यक्ति सुस्त, निष्क्रिय, आलसी हो जाता है इससे तो अवश्य बचना चाहिए।
अच्छे स्वास्थ्य के लिए उचित मनोरंजक कार्य होने चाहिए जिससे शरीर और मन को आराम मिले। इसमें पूर्ण विश्रान्ति की अवस्था रहती है। वाणी तथा विचार भी शांत हो। साधारण खेल वाले कार्य जैसे आपस में गेदं /रिंग खेलना या फेंकना या डफ बाॅल खेलना, ऐसे खेल नियमित रूप से हंसते हुए खुशी से खेलने से शरीर, मन एवं आत्मा तरोताजा हो जाते है। बच्चों के साथ खेलने या बच्चों के कार्यकलाप के साथ घुलमिल जाने से भी आराम और ताजगी प्राप्त होती है। 

Bandey

I am full time blogger and social worker from Chitrakoot India.

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