स्वस्थ शरीर के लक्षण या स्वस्थ शरीर की पहचान कैसे करें?

सामान्य रूप से शरीर के बाहरी तथा आन्तरिक अंग कार्य करते रहते हैं, तो शारीरिक स्वास्थ्य अच्छा माना जाता है। सामान्य रूप से शारीरिक स्वास्थ्य के लक्षण हैं। स्वस्थ शरीर उसे कहा जायेगा जिसे किसी भी प्रकार का कष्ट नहीं है वह प्रसन्न होकर अपना हर कार्य सरलता पूर्वक कर लेता है। 

डाॅ. लूई कूने के अनुसार- पूर्ण स्वस्थ मनुष्य वह है, जिसके सम्पूर्ण अंग-प्रत्यंग साम्यावस्था में हो और बिना किसी कष्ट, भार या प्रयास के अपना-अपना कार्य करते हों तथा अवयवों का रंग-रूप अपने कार्य संचालन के योग्य और सुन्दर हो। स्वस्थ मनुष्य के नेत्रों में निर्मलता और शान्ति विराजमान रहती और उसकी मुखाकृति की रेखाओं में तोड़-मरोड़ नहीं होती। उत्तम पाचन, स्वास्थ्य का मुख्य लक्षण है। मल त्याग सरल ढंग से बिना जोर लगाये न अधिक पतला न अधिक कड़ा हो न ही चिपचिपा हो। निरोग मनुष्य सदैव ही प्रसन्न चित्त रहता है। 

स्वस्थ शरीर के लक्षण या स्वस्थ शरीर की पहचान कैसे करें?

स्वस्थ स्वास्थ्य की पहचान व्यक्ति स्वतः ही जाँच कर देख सकता है, जो है- 
  1. अच्छा चेहरा, भरा चेहरा, चेहरे पर सामान्य चमक तथा लालिमा।
  2. चमकीली आँखों में लावण्य।
  3. साफ सुथरा त्वचा तथा त्वचा में चमक। 
  4. सुगठित शरीर, न अधिक मोटा न अधिक पतला। 
  5. सामान्य मल मूत्र का निष्कासन बिना किसी कष्ट के।
  6. विश्राम से नयी ताजगी तथा उत्साह। 
  7. सामान्य भार, लम्बाई एवं मोटाई। 
  8. किसी प्रकार को कोई शारीरिक कष्ट नहीं।
  9. सोकर उठने पर शरीर में स्फूर्ति, उल्लास, और ताजगी का अनुभव होनी चाहिए। 
  10. शरीर में किसी कष्ट या व्याधि के सम्बन्ध में कोई वेदना या जानकारी का अनुभव नहीं हो। 
  11. जिसकी त्वचा मुलायम चिकनी, लचीली स्वच्छ और गर्म हो गीलीन हो तथा खुजलाने से लकीरें न बने।
  12. पसीने में बदबू न आती हो। 
  13. सभी ऋतुओं जैसे जाड़ा, गर्मी एवं बरसाते आदि को सहन करने की सहज क्षमता रखता है। 
  14. मुख पर झुर्रियाँ, शुष्कता और होंठों पर पपडि़याँ न हो। 
  15. आँखें चमकीली, स्वच्छ हो। आँखें पीली डबडबायी और लाल न हों। 
  16. जीभ चिकनी, गुलाबी, समतल, साफ और आर्द्र हो। 
  17. दाँत मोती के समान साफ, चमकदार और मजबूत हों। 
  18. मुँह से बदबू न आती हो और न दाँत मैले पीले हो। 
  19. मुँह का स्वाद अच्छा रहे। बार-बार थूकना या खाँस-खखार का गला साफ करना न पड़े।
  20. शरीर की नसें उभरी हुई न हों। 
  21. शरीर का प्रत्येक अंग सुडौल और अपना कार्य सुचारू रूप से करने वाले हों। 
  22. नाखून गुलाबी हों। 
  23. कमर पतली हो, छाती चौड़ी हो तथा छाती पेट से 5-7 इंच ऊँची हो। 
  24. सिर पर घने व मुलायम बाल हो। 
  25. गर्दन गोल सीधी न बहुत लम्बी और न धड़ में घुसी हुई हो। 
  26. साँस की गति साधारण और बिना किसी स्पष्ट शब्द के निर्गन्ध हो। 
  27. सोते समय मुँह खुला न हो। 
  28. गहरी निद्रा, लम्बी, अटूट और बिना किसी स्वप्न के हो। 
  29. भोजनोपरान्त पेट में गुड़गुड़हाट न होती हो और पेट भारी होकर आलस्य का अनुभव न करता हो पाचन क्रिया ठीक हो। 
  30. हृदय स्वयं ही गवाही दे कि शरीर में कोई रोग नहीं है और वह शत-प्रतिशत निरोग है। 
  31. जो व्यक्ति काम के समय काम और विश्राम के समय विश्राम का आनन्द ले सकता है।
  32. जो सहनशील हो, सख्त काम से घबराता न हो। जो स्वतंत्र विचार वाला, अध्यवसायी, निर्भीक दृढ़ प्रतिज्ञ आत्म विश्वासी, हँसमुख, सुन्दर दयावान, आत्मोल्लास से परिपूर्ण मेधावी बलवान, दीर्घजीवी और विनयी हो। 
  33. मूत्रत्याग में कष्ट न हो। मूत्र हल्की गर्मी लिये हुए, हल्के पीले रंग का निर्गन्ध हो तथा धार बाँधकर प्रेशर से निकले। 
  34. मलत्याग 24 घण्टों में 2 बार साफ, दुर्गन्ध रहित व गेहूँवा, जो गुदा में न चिपके तथा न बहुत कड़ा हो और न ही पतला हो। 
  35. प्यास न अधिक लगती हो और न कम लगती हो। शुद्ध जल के पीने से प्यास बुझ जाती हो और शान्ति प्राप्त होती हो। 
  36. निश्चित समय पर सच्ची और खुलकर भूख लगे जो प्राकृतिक आहार से शान्त हो जाए और संतोष प्राप्त हो। 
  37. धैर्यवान व आशावादी हो, विपत्ति पड़ने पर घबराने वाला न हो। 
  38. प्राकृतिक जीवन में अभिरूचि हो। 
  39. संकल्पवान, आत्मविश्वासी व ईश्वर विश्वासी हो तथा विधेयात्मक (सकारात्मक) सोच रखने वाला हो।

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