पेटेंट क्या होता है जानें पेटेंट से संबंधित कानून

Patents पेटेन्ट अथवा एकस्व एक ऐसा सरकारी प्राधिकार है जो किसी शोधकर्ता अथवा संस्था के आर्थिक हितों की सुरक्षा से सम्बन्धित है। यह शोधकर्ता अथवा संस्था को निश्चित समय तक उसके आविष्कार या  कार्य को बेचने अथवा उपयोग करने का अधिकार देता करता है। पेटेन्ट अथवा एकस्व राज्य एवं शोधकर्ता के बीच एक समझौता होता है जिसके अनुसार शोधकर्ता को उसके कार्य को निश्चित समय तक बेचने, उपयोग करने की गारण्टी देता है ताकि उसके द्वारा किये गये कार्य की रायल्टी प्राप्त होती रहे। इस समझौता पत्र में वस्तु के निर्माण सम्बन्धी समस्त विवरण दिये रहते है। पेटेन्ट मालिकों को उनके आविष्कारों के लिए संरक्षण प्रदान करता है। एक सीमित अवधि आमतौर पर 20 वर्ष के लिए सुरक्षा प्रदान की जाती है।

पेटेन्ट अथवा एकस्व में ये सूचनाएँ दी की जाती हैं:

  1. इसमें एकाधिकार प्राप्त व्यक्ति का नाम और पता, उसका उत्तराधिकारी, एकस्व संख्या, आवेदन तिथि, शीर्षक आदि होता है।
  2. आविष्कार की सामान्य प्रकृति एवं उद्देश्य का संक्षिप्त विवरण।
  3. आविष्कार में उपयोग किया गये  रेखाचित्रों का पुर्नलेखन एवं व्याख्या।
  4. आविष्कार की विशेषताओं का एक या अधिक विधियों द्वारा विस्तृत व्याख्या एवं स्पष्टीकरण।
  5. आविष्कार में दावेदारों का संक्षिप्त लेकिन विस्तृत स्पष्टीकरण।

सम्पूर्ण विश्व में पेटेन्ट्स बड़ी संख्या में निर्गत किये जाते हैं प्रत्येक वर्ष लगभग 5,00,000 से भी अधिक पेटेन्ट्स को शासनादेशों से स्वीकृति मिलती है। इसमें सर्वाधिक संख्या रसायन, व्यापारिक उत्पादन एवं इंजीनियरिंग क्षेत्र से सम्बन्धित होती है। प्रत्येक देश में इसके प्रकाशन की एक एजेन्सी होती है जहाँ पेटेन्ट्स क्रमानुसार प्रकाशित किये जाते है। भारत में पेटेन्ट्स के पंजीकरण एवं प्रकाशन भारतीय पेटेन्ट्स कार्यालय द्वारा किये जाते है।

भारतीय पेटेंट कानून कब लागू हुआ था?

भारतीय पेटेन्ट कानून सन् 1856 में बना जो 1852 के ब्रिटिश पेटेन्ट कानून पर आधारित था। इसके अनुसार आविष्कारक को उनके आविष्कार के आधार पर निर्माण करने का एकाधिकार 14 वर्षों के लिये दिया जाने लगा। सन् 1859 में थोड़ा सा बदलाव किया गया तथा आविष्कारक को पेटेन्ट आवेदन की तिथि से 14 वर्षों के लिये निर्माण विक्रय इत्यादि का एकाधिकार दे दिया गया। इसके साथ ही इस विषय पर चिन्तन की प्रक्रिया का आरम्भ हुआ और 1872 में पेटेन्ट एवं डिजायन सुरक्षा कानून तथा 1883 में आविष्कार सुरक्षा कानून बना, जिन्हें 1888 में विलय कर आविष्कार एव डिजायन कानून बनाया गया। सन् 1911 में भारतीय पेटेन्ट एवं डिजायन कानून बना। सन् 1947 के बाद से इस विषय पर नये तरीकों से चिन्तन किया गया।

न्यायमूर्ति अयंगर ने सन् 1959 में इस विषय पर अपना प्रतिवेदन दिया। संसद में पेटेन्ट विधेयक सन् 1963 में रखा गया। नया पेटेन्ट कानून सन् 1970 में बना लेकिन 20 अप्रैल, 1972 से भारत में लागू किया गया। 

पेटेंट की आवश्यकता

पेटेंट व्यक्तियों को उनकी रचनात्मकता को पहचानने और उनके आविष्कारों के लिए सामग्री पुरस्कार की संभावना प्रदान करके प्रोत्साहन प्रदान करता है। ये प्रोत्साहन नवाचार को प्रोत्साहित करता है, जो बदले में मानव जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाता है।

पेटेंट मालिकों के अधिकार

एक पेटेंट के मालिक को यह तय करने का अधिकार होता है कि उस अवधि के लिए पेटेंट के आविष्कार का उपयोग कौन -कौन कर सकता है - या नहीं जिसके दौरान यह सुरक्षित है। पेटेंट मालिकों, आपसी सहमत शर्तों पर अपने आविष्कारों का उपयोग करने के लिए अन्य को अनुमति या लाइसेंस दे सकते हैं। मालिक भी किसी अन्य व्यक्ति को अपना आविष्कार अधिकार बेच सकते हैं, जो तब पेटेंट के नए मालिक बन जाते हैं। एक बार पेटेंट की समाप्ति के बाद, सुरक्षा समाप्त हो जाती है।

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