पूंजी किसे कहते हैं पूंजी के प्रकार

पूंजी व्यवसाय का सबसे महत्वपूर्ण अवयव है । सामान्य रूप से यह कहा जा सकता है कि व्यापार की स्थापना में मूल रूप से और संचालन हेतु आवश्यकतानुसार जो धन लगाया जाता है उसे पूंजी कहते हैं।

पूंजीकरण का अर्थ

पूंजीकरण व्यापार में पूंजी निवेश का नाम है। सामान्य अर्थ में पूॅजीकरण उस रकम को स्पष्ट करता है जिस पर
निवेशित पूंजी के आधार पर एक कम्पनी का मूल्याॅंकन किया जाता है। यह तीन प्रकार का हो सकता है
  1. अनुकूलतम उचित या आदर्श पूंजीकरण
  2. अति पूंजी करण
  3. अल्प पूंजीकरण अथवा न्यून पूंजीकरण

पूंजी के प्रकार

1. श्रोत के आधार पर

(i) स्वामित्व पूंजी:- जो व्यवसाय के मालिकों द्वारा लगायी जाती है स्वामित्व पूंजी कहलाती है।

(ii) ऋण पूॅजी - जो पूंजी बाहरी व्यक्तियों से ऋण लेकर लगायी जाती है ऋण पूंजी कहलाती है।

2. समय के आधार पर

(i) अल्प कालीन - एक वर्ष तक की अवधि के लिये

(ii) मध्यम कालीन - एक से 5 वष तक की अवधि के लिये

(iii) दीर्घ कालीन - 5 वर्ष से अधिक की अवधि के लिये

3. लागत भार के आधार पर

(i) स्थायी लागत भार वाली पूंजी - जिस पूंजी पर निश्चित दर से लागत वहन करना हो स्थायी लागत वाली पूंजी कहलाती है जैसे पूर्वाधिकारी अंश, ऋण पत्र आदि ।

(ii) परिवर्तन शील लागत भार वाली पूंजी - जिस पूंजी पर चुकायी जाने वाली लागत बदलती रहती है जैसे समता अंश पूंजी कहलाती है।

4. उपयोगिता के आधार पर

(i) स्थायी पूंजी - स्थायी पूंजी वह पूंजी है जो स्थायी संपतियों के रूप में विद्यमान होती है इसका कोई अन्य प्रयोग संभव नहीं है।

(ii) कार्यशील पूंजी - वह पूंजी है जो चालू संपतियों के रूप में विद्यमान रहती है। इस कार्यशील पूंजी के सभी अवयव नकदी में परिवर्तित हेाते रहते हैं।

5. पूंजी विनियोग के आधार पर 

पूंजी विनियोग के आधार पर पूंजी तीन प्रकार की होती है:-

(i) सकल विनियोजित पूंजी - स्थायी व चालू (चल) संपति के योग को सकल विनियोजित पूंजी कहा जाता है। इसमें केवल वास्तविक संपतियों को सम्मिलित किया जाता है कृत्रिम संपतियों को नहीं।

(ii) शुद्ध विनियोजित पूंजी - यह विनियोजित पूंजी का शुद्ध स्वरूप है। सकल विनियोजित पूंजी में से चल दायित्व घटा कर इसकी गणना की जाती है।

(iii) स्वामित्व पूंजी - यह व्यवसाय के स्वामी द्वारा किये गये निवेश का योग है। इसमें समता पूंजी पूर्वाधिकारी अंश तथा संचित कोष और आधिक्य को सम्मिलित करते हैं।

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