व्यक्तित्व मापन क्या है व्यक्तित्व के मापन के पीछे मनोवैज्ञानिकों का क्या उद्देश्य निहित होता है?

व्यक्तित्व मापन क्या है

व्यक्तित्व मापन का अर्थ इस बात का पता लगाना होता है कि किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व में कौन-कौन से शीलगुण हैं? उन शीलगुणों का स्वरूप क्या हैं? वे संगठित है या असंगठित। 

जब व्यक्तित्व शीलगुण परस्पर संगठित होते है तो उस व्यक्ति का व्यक्तित्व सामान्य होता है अर्थात् उसके चिन्तन, चरित्र एवं व्यवहार में एक प्रकार का समन्वय एवं सामंजस्य होता है, किन्तु शीलगुणों में संगठन न होने के कारण व्यक्ति की चिन्तन प्रक्रिया ग़बड़ा जाती है उसका चरित्र एवं व्यवहार असामान्य हो जाता है। 

परिणाम स्वरूप धीरे-धीरे व्यक्ति के अनेक प्रकार के मनोरोगों से ग्रस्त होने की संभावना बढ़ जाती है। व्यक्तित्व मापन में निम्नांकित बातों का समावेश होता हैं-

  1. व्यक्तित्व के शीलगुणों का निर्धारण करना।
  2. शीलगुण आपस में संगठित है या असंगठित।
  3. इड, ईगो, तथा सुपर ईगो के स्वरूप का निर्धारण करना।
  4. व्यक्ति की जीवन शैली के बारे में पता लगाना।
  5. व्यक्ति की समायोजन क्षमता का निर्धारण करना।
  6. विशिष्ट व्यवहार एवं विचार का निर्धारण करना इत्यादि।

व्यक्तित्व मापन के उद्देश्य

आप सोच रहे होंगे कि व्यक्तित्व के मापन के पीछे मनोवैज्ञानिकों, मनोचिकित्सकों का क्या उद्देश्य निहित होता है? 

1. व्यक्तित्व मापन के सैद्धान्तिक उद्देश्य - व्यक्तित्व-मापन के सैद्धान्तिक उद्देश्य से आशय यह है कि व्यक्तित्व मापन से व्यक्तित्व के स्वरूप, विकास को गहराई से समझने में अत्यधिक सहायता मिलती है। जिससे इस क्षेत्र में नये-नये अनुसंधान करने तथा नये-नये सिद्धान्तों को प्रतिपादित करने की प्रेरणा मिलती है।

2. व्यक्तित्व मापन के व्यावहारिक उद्देश्य - व्यावहारिक दृष्टि से भी व्यक्तित्व मापन का अत्यधिक महत्व है। व्यक्तित्व मापन से व्यक्ति की समायोजन क्षमता का पता आसानी से लगाया जा सकता है और उसको समायोजन करने में जिन-जिन परेशानियों का सामना करना पड़ता है, उन परेशानियों को दूर किया जा सकता है। ‘‘व्यक्तित्व के नैदानिक मापन का सबसे प्रमुख उद्देश्य यथार्थ नैदानिक मूल्यांकन कर रोगी का उपचार सही दिशा में करना होता है।’’

व्यक्तित्व-मापन की विधियाँ

व्यक्तित्व को मापने के लिये मनोवैज्ञानिकों द्वारा अनेक विधियों का प्रतिपादन किया है। उन सभी विधियों को मुख्य रूप से निम्न दो श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता है-

  1. वस्तुनिष्ठ व्यक्तित्व परीक्षण
  2. प्रक्षेपण परीक्षण

व्यक्तित्व मापन का महत्व

  1. नैदानिक मूल्यांकन या नैदानिक उपचार में सहायता प्राप्त होना।
  2. व्यक्तित्व के स्वरूप को गहराई से समझने में सहायता।
  3. इससे व्यक्ति के व्यवहार के संबंध में कुछ हद तक भविष्यवाणी करना संभव हो पाता है।
  4. समायोजन संबंधी कठिनाइयों को दूर करने में सहायता।
  5. अन्तवैयिक्तिक संबंधों को अच्छा बनाने में सहायता।
  6. उत्तरदायी पदों के लिये उपयुक्त व्यक्तियों का चयन करने में सहायता।
  7. व्यावसायिक निर्देशन की दृष्टि से महत्वपूर्ण।

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