राजभाषा अधिनियम 1963 क्या है ?

राजभाषा अधिनियम 1963 क्या है ?

राजभाषा अधिनियम 1963 वर्ष 1963 में बना व 26 जनवरी 1965 से लागू , इस अधिनियम में कुल 9 धाराएं हैं, जिसमें से धारा 6 व 7 जम्मू व कश्मीर राज्य में लागू नहीं है तथा अन्य सभी धाराएँ भारत के सभी राज्यों में लागू हैं।

धारा 1ः- यह अधिनियम राजभाषा अधिनियम कहलाएगा जो 26 जनवरी 1965 से लागू होगा।

धारा 2ः- इसमें हिन्दी भाषा की चर्चा है जिसकी लिपि देवनागरी है।

धारा 3ः- 1. संविधान लागू होने के 15 वर्ष की अवधि की समाप्ति अर्थात् 26 जनवरी 1965 के बाद भी अंग्रेजी पूर्व की तरह प्रयोग में लाई जाती रहेगी । लेकिन धारा 3(3) के अनुसार 14 तरह के दस्तावेजों (संकल्प, सामान्य आदेश, नियम, अधिसूचनाएँ, प्रशासनिक व अन्य प्रतिवेदन, प्रेस, विज्ञप्तियां, संसद में रखे जानेवाले कागजात, संविदा, करार, अनुज्ञप्ति, अनुज्ञापत्र, सूचनाएँ व निविदा प्रारूप) के लिए हिन्दी व अंग्रेजी दोनों भाषाओं का प्रयोग अनिवार्य रहेगा। अर्थात् ये दस्तावेज द्विभाषिक रूप में जारी किए जाएँगे।

धारा 4ः- इस धारा के अनुसार हिन्दी के प्रयोग की दिशा में की गई प्रगति की समीक्षा करने के उद्देश्य के लिए धारा 3 के लागू होने से 10 वर्ष बाद संसदीय राजभाषा समिति का गठन किया जाएगा। इसमें लोकसभा के 20 व राज्यसभा के 10 सदस्य होंगे। इनका निर्वाचन आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के अनुसार एकल संक्रमणीय मत द्वारा होगा। यह समिति हिन्दी के प्रयोग की प्रगति की समीक्षा करेगी और अपनी सिफारिशों सहित रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंपेगी । (इस समिति का गठन वर्ष 1976 में हुआ )

धारा 5ः- धारा 5 के अनुसार अब राष्ट्रपति के प्राधिकासे राजपत्र में प्रकाशित किसी केंद्रीय अधिनियम आदि का हिन्दी में अनुवाद उसका हिन्दी में प्राधिकृत पाठ समझा जाएगा।

धारा 6ः- राज्य के विधान मंडलों द्वारा पारित किए गए अधिनियमों के हिन्दी अनुवाद को उनका हिन्दी में प्राधिकृत पाठ समझा जाएगा।

धारा 7ः- उच्च न्यायालयों के निर्णयों आदि में हिन्दी या किसी राज्य की राजभाषा का वैकल्पिक प्रयोग किया जा सकेगा।

धारा 8ः- इस नियम के तहत केंद्र सरकार को यह अधिकार दिया गया है कि वह इस अधिनियम के प्रयोजनों को कार्यान्वित करने के लिए नियम बना सकती है।

धारा 9ः- धारा 9 में व्यवस्था है कि अधिनियम की धारा 6 व 7 के उपबंध जम्मू व कश्मीर राज्य पर लागू नहीं हैं।

राजभाषा अधिनियम (संशोधन 1967)

  1. आगे भी अंग्रेजी सह-राजभाषा के रूप में जारी रहेगी ।
  2. भारत के सभी राज्यों के विधान मंडलों से राजभाषा हिन्दी के बारे में सहमति प्राप्त की जाएगी ।

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