एडोल्फ हिटलर का जीवन परिचय

एडोल्फ हिटलर

एडोल्फ हिटलर का जन्म 20 अप्रैल, 1889 में आस्ट्रिया के एक गांव के सामान्य परिवार में हुआ था। उसके पिता चुंगी-विभाग में एक साधारण कर्मचारी थे। निर्धनता के कारण हिटलर विधिवत् रूप में उच्च शिक्षा प्राप्त नहीं कर सका। उसके पिता की यह आकांक्षा थी कि उसका पुत्र किसी सरकारी सेवा में स्थान ग्रहण करे किन्तु हिटलर को प्रारंभ से ही कला से विशेष लगाव था। इसलिए 18 वर्ष की आयु में ही वह चित्रकला और स्थापत्य-कला का ज्ञान प्राप्त करने के लिए वियना चला गया था। यहीं पर उसने यहूदियों से घृणा करना सीखा। उसने यहूदियों के साहित्य और उनके नित्यप्रति के जीवन का अध्ययन किया तथा इस बात से सहमत हो गया कि यहूदी व्यक्तिवाद, राष्ट्रवाद और जातिवाद के घातक शत्रु थे। उसकी मान्यता थी कि यहूदी साम्यवाद के साथ षड्यंत्र करके मानवता को समाप्त करना चाहते थे। हिटलर गणतंत्र का घोर शत्रु था और जर्मन जाति की सर्वोच्चता में उसे पूर्ण विश्वास था।

1912 ई. में वह म्यूनिख चला गया और वहां घरों को रंगने का कार्य करने लगा। जब प्रथम विश्वयुद्ध हुआ तब हिटलर बवेरिया की सेना में भर्ती हो गया और उसने मध्य-शक्तियों की ओर से युद्ध में सक्रिय भाग लिया। जर्मन सरकार ने उसकी बहादुरी के लिए उसे लौह-क्रास से सम्मानित किया। उसकी धारणा थी कि युद्ध में जर्मनी की पराजय का कारण उसकी सैनिक शक्ति की कमजोरी नहीं है अपितु वह उसके नेताओं के विश्वासघात का प्रतिफल है।

अपने कार्यक्रम को लागू करने के लिए हिटलर ने अपने दल का गठन किया। वह एक राष्ट्रीय समाजवादी था। ‘नेशनल सोशलिस्ट’ दल का लघु रूप जर्मनी भाषा में नाजी होता है, इसलिए हिटलर के इस दल को इतिहास में नाजी दल कहा जाता था। नाजी दल की योजना को हिटलर ने तैयार किया था और उसने उसका संदेश जर्मन जनता को दिया था। प्रारंभ से ही जर्मनी में यहूिदयों का विरोध करने की परम्परा थी। हिटलर ने इस विचारधारा को नाजी दल के प्रचार का एक साधन बना लिया था। उसने ‘स्वास्तिक’ को अपनी पार्टी का चिन्ह बनाया। धीरे-धीरे यह प्रतीक चिन्ह जर्मनी में अत्यंत लोकप्रिय हो गया और बाजारों एवं सार्वजनिक स्थानों पर दिखायी देने लगा।

1921 ई. के अंत में हिटलर को बंदीगृह से मुक्त कर दिया गया। इसके बाद उसने 1925-1929 तक अपना सारा समय दल के प्रचार और संगठन में देना प्रारंभ कर दिया। वह विदेशों के साथ जर्मनी के मधुर संबंध बनाने में भी सफल रहा। उसने विदेशों से ऋण आदि सुविधाए भी प्राप्त की। इससे उसके दल को अत्यधिक सफलता प्राप्त हुई। 1929 ई. की जर्मनी में आर्थिक मदं ी के समय उसे अपने दल के विकास के लिए स्वर्णिम अवसर प्राप्त हुआ। उसके दल की सदस्य-संख्या में भी तीव्रगति से वृद्धि हुई। 1932 ई. में नाजी दल की सदस्य-संख्या 70 लाख थी। देश के विभिन्न भागों में उसके दल की शाखाएं थीं। उसका कार्यक्रम अत्यंत आकर्षक था और जनता उससे अत्यधिक प्रभावित थी। नवयुवकों का समर्थन प्राप्त करने के लिए हिटलर ने ‘हिटलर यूथ सोसाइटी’ की स्थापना की और इस प्रकार निम्न-मध्यम वर्ग का भी उसे पूर्ण समर्थन प्राप्त हुआ। इस प्रकार हिटलर ने अत्यंत सफलतापूर्वक नाजी दल का गठन किया।

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