अरुणा आसफ अली जीवन परिचय

अरुणा आसफ अली जीवन परिचय

अरुणा आसफ अली मरणोपरांत भारत रत्न प्राप्त करने वाली प्रथम महिला। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की ग्रांड ओल्ड लेडी कही जाने वाली अरुणा गांगुली का जन्म 16 जुलाई 1909 को तत्कालीन पंजाब के कालका में हुआ था। इनकी शिक्षा-दीक्षा नैनीताल व लाहौर में हुई। पढ़ाई पूरी करने का बाद इन्होनें कोलकाता के ‘गोखले मेमोरियल कॉलेज’ में अध्यापन कार्य प्रारंभ किया। इलाहाबाद में उनकी मुलाकात उनके पति आसफ अली से हुई जो कॉग्रेस से जुड़ी हुए थे। पति के स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़े होने के कारण शादी उपरांत श्रीमती अरुणा भी उनके साथ देशव्यापी अभियान से जुड़ गई। 

सन् 1930 के नमक सत्याग्रह में उन्होनें सार्वजनिक सभाओं को संबोधित किया और जुलुस में भाग लिया जिसके लिए उन्हें एक वर्ष कारावास की सजा मिली। वर्ष 1932 में उन्हें पुनः गिरफ्तार कर जेल भेजा गया। वहाँ से रिहा होने के बाद लगभग 10 वर्षों तक उन्होनें स्वयं को स्वतंत्रता आंदोलन से अलग कर लिया। भारतीय स्वतंत्रता की लड़ाई में इनकी पहचान 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन से हुई। कांग्रेस के मुंबई अधिवेशन में 08 अगस्त 1942 को भारत छोड़ो आंदोलन का प्रस्ताव पारित होने के एक दिन बाद जब कांग्रेस के सभी बड़े नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया तब अरुणा जी ने मुंबई के ग्वालिया टैंक मैदान में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का झंडा फहराकर आंदोलन का नेतृत्व किया। भारत छोड़ो आंदोलन में इन्होनें भूमिगत रहकर अपने कार्य को बखूबी अंजाम दिया। इन्हें पकड़ने के लिए ब्रिटिश हुकूमत ने इनकी संपत्ति को जब्त कर बेच दिया तथा इन्हें पकड़ने के लिए 5000/- का इनाम भी घोषित किया। वर्ष 26 जनवरी 1946 को जब इनका गिरफ्तारी का वारंट रद्द किया गया तब इन्होनें आत्मसमर्पण किया। 

सन् 1964 में श्रीमती अरूणा आसफ अली ने सक्रिय राजनीति को अलविदा कह दिया। सन् 1975 में उन्हें लेनिन शाँति पुरस्कार तथा 1991 में अंतर्राष्ट्रीय सद्भावना के लिए जवाहर लाल नेहरू पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 29 जुलाई, 1996 में श्रीमती अरूणा आसफ अली का देहांत हो गया। मरणोपरांत 1998 में इन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया।

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