औपचारिक संचार किसी संस्था में विचारपूर्वक स्थापित की जाती है। किस व्यक्ति को किसको और किस अन्तराल में सूचना देनी चाहिए, यह किसी संस्था में विभिन्न स्तरों पर कार्यरत व्यक्तियों के मध्य सम्बन्धों को स्पष्ट करने में सहायक होता है। औपचारिक सन्देशवाहन के निर्माण व प्रेषण में अनेक औपचारिक सम्वाद अधिकांशतः लिखित होते हैं। यथा-संस्था का प्रधानाचार्य अपने उप प्रधानाचार्य को कुछ निर्देश प्रदान करता है, तो वह औपचारिक प्रकृति का ही समझा जायेगा क्योंकि एक उच्चाधिकारी अपने नीचे रहने वाले अधिकारियों या कर्मचारियों को निर्देश देने की ही स्थिति में बाध्य होता है। औपचारिक सन्देशवाहन के अन्य उदाहरण, आदेश, बुलेटिन आदि।
औपचारिक संचार के लाभ
औपचारिक संचार के लाभ है-
- औपचारिक संचार अधिकृत संचारकर्ता के द्वारा सही सूचना प्रदान की जाती है।
- यह संचार लिखित रूप में होता है।
- इस संचार के द्वारा संचार की प्रतिपुष्टि होती है।
- यह संचार व्यवस्थित एवं उचित तरीके से किया जाता है।
- यह संचार करते समय संचार के स्तरों के क्रमों का विशेष ध्यान रखा जाता है।
- इस संचार के माध्यम से संचारक की स्थिति का पता सरलता से लगाया जा सकता है।
- इस संचार के द्वारा व्यावसायिक मामलों को आसानी से नियंत्रित एवं व्यवस्थित किया जा सकता है।
- इस संचार के द्वारा दूर स्थापित लोगों से सम्बन्ध आसानी से स्थापित किये जा सकते हैं।
औपचारिक संचार के दोष
औपचारिक संचार के दोष हैः-
- इस संचार की गति धीमी होती है।
- समान्यतया इस संचार में उच्च अधिकृत लोगों का अधिभार ज्यादा होता है।
- इस संचार में स्वतंत्र एवं निष्पक्ष रूप से संचार की आलोचना नहीं की जा सकती है।
- इस संचार में नियमों का शक्ति से पालन किया जाता है जिसके कारण संचार में लोचशीलता के अभाव के कारण बाधा उत्पन्न होने की संभावना हमेशा विद्यमान रहती हैं।