औद्योगिक लाइसेंसिग नीति
देश में औद्योगिकीकरण की प्रक्रिया प्रारम्भ होने के साथ ही साथ
औद्योगिक इकाइयों के नियमन एवं नियंत्रण के लिए औद्योगिक लाइसेंस व्यवस्था
बनायी गयी। औद्योगिक लाइसेंस सरकार से किसी औद्योगिक इकाई को मिलन
वाली लिखित अनुमति हैं। जिसमें लिखी वस्तु का औद्योगिक इकाई उत्पादन कर
सकती हैं। औद्योगिक नीति प्रस्ताव 1998 को क्रियान्वित करने के लिए औद्योगिक
लाइसेंस प्रणाली को अपनाया गया ।तभी से यह औद्योगिक लाइसेंस प्रणाली यहाँ
कार्यशील हैं। यद्यपि इसमें समय-समय पर कई परिवर्तन किये जाते रहते हैं।
भारत में औद्योगिक लाइसेंस नीति के मुख्य उद्देश्य
भारत में औद्योगिक लाइसेंस नीति के मुख्य उद्देश्य निम्न हैं-
- नियोजन की प्राथमिकताओं के अनुरूप औद्योगिक विकास करना।
- औद्योगिक इकाइयों की स्थापना, विस्तार एवं विकास पर राजकीय नियंत्रण।
- प्राकृतिक संसाधनों का उचित उपयोग करना।
- विनियोजित पूंजी का आदर्श उपयोग।
- सभी क्षेत्रों का सन्तुलित औद्योगिक विकास।
- सार्वजनिक क्षेत्र, निजी क्षेत्र, लघु उद्योगों में समन्वय स्थापित करना।
- धन तथा आय की विषमता को कम करना।
- आर्थिक शक्ति के संकेन्द्रण और अनुचित व्यापार व्यवहार पर रोक लगाना।
- सभी को विकास के समान अवसर प्रदान करना।
- उद्योग (विकास व नियमन) अधिनियम 1951।
- एकाधिकार एंव प्रतिबंधित व्यापार क्रियाएं अधिनियम 1969।
- विदेशी विनियम नियमन अधिनियम 1973।
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