ब्रह्मपुत्र एशिया की सबसे लंबी नदी
है। तिब्बत स्थित पवित्र मानसरोवर झील से निकलने
वाली त्संगपो नदी पश्चिमी कैलाश पर्वत के ढ़ाल से नीचे
उतरती है तो ‘ब्रह्मपुत्र’ कहलाती है। भारतीय नदियों
के नाम स्त्रीलिंग में होते हैं पर ब्रह्मपुत्र एक अपवाद है,
संस्कृत में ब्रह्मपुत्र का शाब्दिक अर्थ ब्रह्मा का पुत्र होता
है।
ब्रह्मपुत्र नदी का उद्गम
ब्रह्मपुत्र नदी का उद्गम स्थान तिब्बत में मानसरोवर के पास कोंग्यू-शू नामक झील में 5150 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह नदी तिब्बत में ‘त्संगपो’ कहलाती है, जबकि चीनी मानचित्र में इसे ‘यारलुंग’ नदी भी कहा गया है। उद्गम स्थल से यह नदी पूर्व की ओर 1,700 किमी तक हिमालयी शृंखला के समानांतर प्रवाहित होती है।इसके बाद यह ‘पे’ नामक स्थान से उत्तर की ओर
मुड़कर गयाला पारो तथा नामचा बरूआ के पर्वतों की
परिक्रमा कर एकदम दक्षिण-पश्चिम की ओर मुड़ती हुई
भारत की सीमा में अरूणाचल की तलहटी में प्रकट होती
है। इस क्षेत्र में पहले यह ‘सियांग’ तथा बाद में ‘दिहांग’
कहलाती है। इसके बाद दक्षिण पश्चिम की ओर बहती
हुई सदिया नगर से असम में प्रवेश करती है। यहां पर
दो सहायिकाएं ‘दिबांग’ और ‘लोहित’ मिलती हैं। इस
संगम स्थल से इसे ‘ब्रह्मपुत्र’ के नाम से जाना जाता है।
इस क्रम में, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मेघालय, भूटान,
पश्चिम बंगाल और सिक्किम के पहाड़ों से निकली अन्य
सहायक नदियां इसमें समाहित हो जाती हैं।
यदि इसे देशों के आधार पर विभाजित करें तो तिब्बत में इसकी लंबाई सोलह सौ पच्चीस किलोमीटर है, भारत में नौ सौ अठारह किलोमीटर और बांग्लादेश में तीन सौ तिरसठ किलोमीटर है।
यदि इसे देशों के आधार पर विभाजित करें तो तिब्बत में इसकी लंबाई सोलह सौ पच्चीस किलोमीटर है, भारत में नौ सौ अठारह किलोमीटर और बांग्लादेश में तीन सौ तिरसठ किलोमीटर है।
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ब्रह्मपुत्र नदी