काली मिर्च के औषधीय गुण, काली मिर्च में कई तरह के औषधीय गुण पाए जाते हैं

काली मिर्च के औषधीय उपयोग

काली मिर्च का वानस्पतिक नाम पाइपर नाइग्रम है। इसका पौधा नमी, 2032 मिली. मीटर से अधिक वार्षिक वर्षा तथा 10 डिग्री सें. से 40 डिग्री सें. तक के ताप वाले इलाकों में पनप सकता है। पौधों के विस्तार के लिए इनकी कलमें काटकर बोई जाती है। लेकिन फलों को सुगमता पूर्वक उतारने के लिए इन्हें साधारण तथा 6-9 मीटर तक ही बढ़ने दिया जाता है। काली मिर्च के गहरे हरे रंग के घने पौधों पर जुलाई के बीच छोटे-छोटे सफेद और हल्के पीले रंग के फूल उग जाते हैं। पौधों पर फलों के 100 से 150 मिली मीटर लम्बे गुच्छे अधिकतम मात्रा में लगने लगते हैं। सूखने पर सभी पौधे से 4-6 किलो ग्राम तक गोल मिर्च मिल जाती है। इसके प्रत्येक गुच्छे पर 50-60 दाने रहते है। पकने पर फूलों के गुच्छों को उतार कर भूमि पर अथवा चटाईयों पर फैलाकर हथेलियों से रगड़कर गोल मिर्च के दानों को अलग कर दिया जाता है। 5-6 दिनों तक धूप में सूखने दिया जाता है। इसके पके व सूखे फलों को काली मिर्च कहते है। 

पके हुए सूखे फलों के छिल्कों को अलग करने पर इसे सफेद गोल मिर्च कहा जाता है। काली मिर्च के फसल पकने से पहले, सफेद मिर्च हेतु फल की कटाई की जाती है। सफेद और काली मिर्च दोनों एक पौधे के फल हैं बस अपने रंग की वजह से उनका इस्तेमाल अलग-अलग हो जाता है। सफेद मिर्च का प्रयोग आमतौर पर हल्के रंग के व्यंजनों जैसे सूप, सलाद, ठंडाई, बेक्ड रेसिपी इत्यादि में किया जाता है। इसका व्यास लगभग पांच मिली मीटर होता है। यह मसाले के रूप में प्रयुक्त होता है। काली मिर्च का मूल स्थान दक्षिण भारत माना जाता है। 

भारत से बाहर इंडोनेषिया, बोरनियों, इंडोचीन, श्रीलंका इत्यादि देशों में इसकी खेती की जाती है। ऐतिहासिक और आर्थिक दोनों दृष्टियों से विश्व प्रसिद्ध भारतीय गरम मसालों में काली मिर्च का बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। आयुर्वेदिक ग्रंथों में इसका वर्णन और उपयोग प्राचीन काल से चला आ रहा है। 

दक्षिण भारत के बहुत से भागों में इसकी खेती घर-घर की जाती है। वास्तव में काली मिर्च के भारतीय क्षेत्र का विस्तार उत्तर मालाबार और कोंकण से लेकर दक्षिण में त्रावणकोर कोचीन तक माना जाता है। आजकल काली मिर्च का अंतर्राष्ट्रीय व्यापार काफी महत्वपूर्ण है। पूरी तरह से सूख जाने पर गोल मिर्च के दानों के छिल्कों पर सिकुड़नें से झुर्रियां पड़ जाती है और इनका रंग काला हो जाता है।

आयुर्वेद और यूनानी चिकित्सा शास्त्रों में इसको कफ, वात, वास, अग्निमांदय उन्निद्र इत्यादि रोगों में लाभकारी बताया गया है। भूख बढ़ाने और ज्वर की शांति के लिए दक्षिण भारत में इसका विशेष प्रकार का ‘रसम’ भोजन के साथ पिया जाता है। भारतीय भोजन में मसाले के रूप में इसका उपयोग सर्वत्र होता है। पाश्चात्य देशों में इसका विशिष्ट उपयोग विविध प्रकार के मांसों की डिब्बा बंदी में खाद्य पदार्थों के परीक्षण के लिए और मसालों के रूप में किया जाता है।

काली मिर्च का पोषण व औषधीय उपयोग 

इसका उपयोग मसाला और औषधि दोनों में किया जाता है। काली मिर्च का तीखा स्वाद इसमें उपस्थित पाइपेरीन रसायन के कारण होता है। काली मिर्च का पौधा सदाबहार होता है। इसलिए इसका उपयोग वर्ष के सभी ऋतुओं में किया जा सकता है। काली मिर्च में कई खनिज व विटामिन पाये जाते हैं। इसके अलावा इसमें राइबोफ्लेविन, थायमिन, नियासिन, सोडियम, पोटेषियम, फोलेट, कोलाइन और बेटेन भी पाया जाता है। काली मिर्च से पोषण को बढ़ावा मिलता है, पाचन शक्ति बढ़ती है, भूख उत्तेजित होती है, वजन कम होता है, गैस की समस्या का समाधान होता है, सर्दी से राहत मिलती है, गठिया दर्द में लाभ मिलता है, कैंसर से बचाव होता है, डिप्रेषन में लाभ होता है, दांत और मसूढ़ों की समस्याओं का प्राकृतिक उपचार होता है, मस्तिष्क में लाभप्रद है।

काली मिर्च विटामिन ए, विटामिन सी, सेलेनियम, बीटा कैरोटिन जैसे अन्य तत्वों की जैव उपलब्धता को बढ़ाता है। करक्योमिन से कैंसर, संक्रमण और सूजन में लाभ प्राप्त होता है। यह स्वाद कलिका को उत्तेजित करता है और पेट में हाइड्रोक्लोरिक एसिड के स्राव को बढ़ाता है। काली मिर्च में उपलब्ध फमेंटो न्युट्रिएंट्स वसा कोषिकाओं को तोड़ने में मदद करते हैं। यह मूत्रवर्धक और डाईफोरेटिक होने के कारण शरीर में विषाक्त पदार्थों और अधिक पानी को बाहर निकालने में लाभकारी होता है। यह गठिया से पीडि़त लोगों के शरीर से यूरिक एसिड को हटाने में लाभकारी है। इसमें उपलब्ध पाॅलीफिनाॅल के कारण उच्च रक्तचाप, मधुमेंह में यह लाभकारी है। यह पाइपेरीन रसायन के द्वारा मस्तिष्क में बीटा एंडोर्फिन की मात्रा को बढ़ाता है जिससे चिंता व उदासी कम हो जाती है। इसमें उपलब्ध पाइपेरीन मस्तिष्क में उपलब्ध शेरोटोनिन रसायन को तोड़ देता है और मेंलाटोनिन हार्मोन जो हमारे नींद को नियंत्रित करता है, गतिविधि को कम कर देता है जिससे मानसिक रोगियों को लाभ प्राप्त होता है।

काली मिर्च में कई तरह के औषधीय गुण पाए जाते हैं, जिससे कई रोगों को दूर रखा जा सकता है। साथ ही कई रोगों के इलाज में मदद मिल सकती है। इसमें मुख्य रूप से एंटी-फ्लैटुलेंट, डाइयूरेटिक, एंटी-इंफ्लेमेटरी, डाइजेस्टिव, मैमोरी इनहेंसर और दर्द निवारक गुण पाए जाते हैं। ये सभी गुण विभिन्न समस्याओं के इलाज में मदद कर सकते हैं। इसके अलावा भी काली मिर्च के कई औषधीय गुण व फायदे हैं, जो कि हैः 

1. आहार में काली मिर्च का उपयोग करने से पाचन संबंधी समस्याओं से निजात मिलती है। 

2. काली मिर्च के औषधि गुण का असर सर्दी-खांसी पर सकारात्मक रूप से पड़ता है। इसमें पाइपरिन  नामक एंटीऑक्सीडेंट होता है, जो सर्दी-खांसी की समस्या से छुटकारा दिलाता है। साथ ही यह गले में खराश की समस्या का भी समाधान करने का काम करता है। इसमें एंटी-माइक्रोबियल और एंटी इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जिससे मुंह में मौजूद हानिकारक बैक्टीरिया नष्ट हो जाते हैं साथ ही, इसके एंटी इंफ्लेमेटरी गुण मसूड़े की सूजन को कम करने का काम करते हैं। इसके साथ ही पाइपरिन में दांतों की समस्या का कारण बनने वाले ट्यूमर नेक्रोसिस फैक्टर को कम करने की क्षमता होती है। 

3. पेट व आंतों से जुड़ी समस्याओं के लिए भी काली मिर्च का उपयोग किया जाता है। 

4. शरीर में कोलेस्ट्राॅल की मात्रा बढ़ने पर कई समस्याओं का जोखिम बना रहता है, ऐसे में इसे कम करने के लिए काली मिर्च बहुत उपयोगी है। 

5. डायबिटीज और ब्लड शुगर के लिएः काली मिर्च खाने के फायदे मधुमेह और ब्लड शुगर को सामान्य रखने के लिए हो सकते हैं।

6. शरीर में फ्री रेडिकल्स (मुक्त कणों) का निर्माण मेम्ब्रेन द्वारा लिपिड के आक्सीकरण के कारण होता है। इन फ्री रेडिकल्स के कारण कई बीमारियां हो सकती है। ऐसे में आक्सीकरण की प्रक्रिया को रोकने के लिए काली मिर्च में मौजूद एंटीआक्सीडेंट सहायक हैं।

Bandey

I am full time blogger and social worker from Chitrakoot India.

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