नवजात शिशुओं में मृत्यु का प्रमुख कारण क्या है?

निओनेटल मोरटैलिटी: नवजात अवस्था में जन्म के समय से लेकर जन्म के बाद 28 दिनों के भीतर होने वाली मृत्यु नवजात शिशु मृत्यु कहलाती हैं। 

अर्ली निओनेटल मोरटैलिटी: नवजात अवस्था में होने वाली मृत्यु, जन्म के समय से लेकर जन्म के बाद 7 दिनों के भीतर होने वाली मृत्यु नवजात शिशु मृत्यु कहते हैं। 

लेट निओनेटल मोरटैलिटी: नवजात अवस्था में जन्म के बाद आठवें दिन से लेकर 28 दिनों के भीतर होने वाली शिशुओं की मृत्यु नवजात शिशु मृत्यु कहलाती हैं ।

नवजात शिशुओं की मृत्यु किन कारणों से होती है?

संक्रमण (सेप्सिस, न्यूमोनिया, दस्त और टिटेनस सहित), गर्भधारण की पूरी अवधि से पहले जन्म, और जन्म के समय होने वाला एस्फिक्सिया, नवजात अवस्था में होने वाली मृत्यु के प्रमुख कारण हैं। हाल ही में की गई लैन्सेट मिलियन डेथ स्टडी, जिसके तहत पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों की लगभग 23.5 लाख अनुमानित मौतों की समीक्षा की गई, से पता चलता है कि बारंबारता के आधार पर प्रमुख कारण, क्रमशः गर्भधारण अवधि पूरा होने से पहले जन्म होना और जन्म के समय कम वजन का होना, नवजात शिशुओं में संक्रमण और जन्म के समय होने वाला एस्फिक्सिया हैं।

भारत में नवजात शिशु एवं बाल मृत्यु के कारण
भारत में नवजात शिशु एवं बाल मृत्यु के कारण

नवजात शिशुओं की मृत्यु कब होती है?

नवजात शिशु के जीवन की सबसे अधिक संवेदनशील समय, उसके जन्म और जीवन के पहले सप्ताह के बीच का समय होता है।  लगभग तीन-चौथाई नवजात मौतें जन्म के पहले सप्ताह में होती हैं। शेष 25 प्रतिशत मौतें दूसरे और चौथे सप्ताह के बीच होती हैं। लगभग 40 प्रतिशत मौतें जन्म के पहले 24 घंटों के अंदर या पहले दिन ही होती हैं। अगली संवेदनशील अवधि तीसरे दिन के आस-पास की होती है, इसमें लगभग 10 प्रतिशत मौतें होती हैं।
राष्ट्रीय और विश्व स्तर के दूसरे अध्ययनों में भी नवजात मृत्यु की इसी तरह की परिस्थिति पाई गई है।

नवजात शिशु मृत्यु दर को कम करने के उपाय

नवजात शिशु मृत्यु दर को कम करने वाले प्रभावी उपायों के तहत, मातृ एवं नवजात शिशु देखभाल, दोनों ही करनी होती हैं, और इसके लिए किए जाने वाले उपायों में शामिल हैं-गर्भावस्था के दौरान समुचित देखभाल, प्रसव के दौरान एवं प्रसव के तुरंत बाद माता और नवजात शिशु की देखभाल, और नवजात की जन्म के बाद शुरुआती सप्ताहों में की जाने वाली देखभाल।

संदर्भ -
  1. नवजात शिशु की घर पर देखभाल क्रियान्वयन मार्गदर्शिका, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय भारत सरकार 2011। 

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