प्रवासी और अप्रवासी का अर्थ में अंतर

‘प्रवासी’ का अर्थ है देश के बाहर रहनेवाला और ‘अप्रवासी’ का अर्थ है जो देश के बाहर कभी न जाए। पर वह देश के बाहर रहने वालों के लिए ही, यानी अनिवासियों अर्थात प्रवासियों के लिए ही प्रायः सब जगह आने लगा है, जबकि किसी भी शब्दकोश में यह नहीं दिया है। ऐसा क्यों हुआ? इसका कारण बड़ा दिलचस्प है।

अंग्रेजी में प्रवास करके अन्यत्र बसे हुए विदेशियों के लिए तीन शब्द प्रमुखतः आते हैं- माइग्रेंट, इम्मिग्रेंट और एमिग्रेंट। नान-रेजिडेंट तो वे होते ही हैं जो अपने देश के अतिरिक्त किसी अन्य देश में जा बसे हों। इनके लिए एनआरआई संज्ञा पूरी तरह जानी-पहचानी हो गई है। माइग्रेंट वे हैं जो प्रवासी हैं, अन्य देश में रह रहे हैं। इनके दो भेद हैं- जो प्रवासी अन्य देशों से आकर हमारे देश में रह रहे हैं वे हुए इमिग्रेंट अर्थात् बाहर से आकर यहाँ रह रहे। जो प्रवासी हमारे देश से जाकर किसी अन्य देश में रह रहे हैं वे हमारे लिए ‘एमिग्रेंट’ हैं। ये दो भेद हैं आकर रहनेवाले प्रवासियों और जाकर रहनेवाले प्रवासियों के। इनके लिए हिन्दी में भी पर्याय वांछित थे। ये पर्याय दिए संस्कृत ने। आकर रहनेवाले (इम्मिग्रेंट) कहे गए- ‘आप्रवासी’ और जाकर अन्यत्र बसे हुए (एमिग्रेंट) कहे गए ‘उत्प्रवासी’। इन तीन शब्दों की महीन बारीकी न समझने वालों ने प्रवासी, आप्रवासी और उत्प्रवासी का सूक्ष्म भेद भूलकर तीनों की खिचड़ी बनाते हुए शब्द गढ़ लिया ‘अप्रवासी’, जिसका अर्थ न इधर का रहा, न उधर का। यह अप्रवासी प्रिंट मीडिया और इलेक्ट्रानिक मीडिया में भी चल रहा है और विपरीत अर्थ देनेवाले इस शब्द पर हम दाँतों तले उँगली दबाने के सिवा और कुछ नहीं कर पा रहे।

Bandey

I am full time blogger and social worker from Chitrakoot India.

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