टेरिडोफाइट्स कहाँ पाए जाते हैं?

टेरिडोफाइट्स (Pteridophytes)

पौधों की प्राकृतिक सम्पदा की बहुलता भारतीय वन प्रक्षेत्रों के उष्ण कटिबंधीय, नम पर्णपाती व उष्णकटिबंधीय सदाबहार वन क्षेत्रों में अधिकता में पायी जाती है। टेरिडोफाइट्स (pteridophytes) पौधे भी इन वन प्रक्षेत्रों में अधिक पाये जाते हैं। इन वनों के लगातार दोहन व क्षय के कारण अन्य पौधों के साथ-साथ टेरिडोफाइट्स पौधों का भी तेजी से विनाश हो रहा है। जिस कारण टेरिडोफाइट्स का सम्पूर्ण आकलन एवं वर्तमान में इनकी दशा व अवस्था का निर्धारण कर इनके सतत् उपयोग, प्रबन्धन एंव संरक्षण की नितांत आवश्यकता है। 

टेरिडोफाइट्स, पादप जगत के पंख सदृश दिखने वाले, स्वपोषी, अपुष्पीय, संवहनीय पौधों का एक समूह है, जिनका पुनर्जनन बीजाणुओ के द्वारा होता है। इनका जीवन-चक्र युग्मकोद्भिदीय व संयुग्मकोद्भिदीय प्रकार का होता है। ये गहरे हरे रंग, सूक्ष्म से मध्यम ऊॅचाई (अपवाद स्वरूप वृक्ष की ऊंचाई) वाले पौधे होते हैं। 

ये प्रायः नम, छायादार स्थानों पर उगते हैं तथा वर्षा वाले वन प्रक्षेत्रों में अधिकतम् पाये जाते हैं।

टेरिडोफाइट्स की उपयोगिता

टेरिडोफाइट्स पौधों के पर्णागों का गहरे हरे, पीले अथवा गुलाबी रंग होने तथा इनकी सुन्दर व आकर्षक आकृतियों एवं अधिक समय तक हरे-भरे बने रहने की वजह से इनका उपयोग पुष्पगुच्छ, विभिन्न आकृतियों तथा पांडाल व विवाह स्थल की सजावट के लिये किया जाता है। विभिन्न महाविद्यालयों, विश्वविद्यालयों, अनुसंधान संस्थानों आदि में इनकी आपूर्ति वनांे के दोहन से ही किया जाता है। 

आयुर्वेद तथा होम्योपैथ पद्धति में इनकी आपूर्ति केवल वनों पर निर्भर है। वैद्य, हकीम, क्षेत्रीय जनजातियाॅ व जड़ी-बूटी विक्रेता भी टेरिडोफाइट्स पौधों की विभिन्न प्रजातियों का दोहन तरह-तरह की बीमारियों के इलाज के लिये भी वनों पर निर्भर हैं। 

Bandey

I am full time blogger and social worker from Chitrakoot India.

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