संविधान में राजभाषा संबंधी प्रावधान || राजभाषा हिंदी सम्बन्धी समितियां

देश के राजकीय कार्यों में प्रयुक्त होने वाली भाषा को राजभाषा कहते हैं। इसे अंग्रेजी में Official Language कहते हैं। यह भाषा का नवीनतम उभरकर आने वाला रूप है ।

आचार्य देवेन्द्रनाथ शर्मा के अनुसार सरकार के शासन विधान, कार्यपालिका और न्यायपालिका क्षेत्रों में जिस भाषा का प्रयोग किया जाता है, उसे 'राजभाषा' कहते हैं।

आम तौर पर राजभाषा उसे कहते हैं, जो भाषा सरकारी कामकाज के लिए सरकारी कार्यालयों में प्रयुक्त होती है । प्रशासन की भाषा राजभाषा कहलाती है ।

राजभाषा का सामान्य अर्थ है - राजकाज चलाने की भाषा । अर्थात् भाषा का वह रुप, जिसके द्वारा । राजकीय कार्य चलाने में सुविधा हो । राजभाषा का प्रयोग प्रमुख रुप से चार क्षेत्रों में किया जाता है - शासन, विधान, न्यायपालिका एवम् विधानपालिका । ।

हमारे देश में बारहवीं शती तक संस्कृत ही राजभाषा के रुप में प्रचलित थी । उसके बाद तुर्कों एवं अफगानों के आगमन से फारसी राजभाषा बनी । मुगल शासन में हिंदी सह राजभाषा के रुप में थी । औरंगजेब के शासन काल तक तो हिंदी की विविध शैलियाँ प्रयुक्त होने लगी थीं । मराठा प्रशासन में हिंदी का प्रयोग व्यापक रुप से मिलता है । बाद में अंग्रेज आए और इस देश की राजभाषा अंग्रेजी हो गई ।

सन 1947 में भारत स्वतंत्र हुआ और 26 जनवरी 1950 को भारतीय जनतंत्र की घोषणा की गई । इसके बाद संवैधानिक दृष्टि से राष्ट्रभाषा और राजभाषा पृथक् रुप से परिभाषित की गई । संविधान के अनुच्छेद 343 में यह कहा गया है कि ‘संघ की सरकारी भाषा देवनागरी लिपि में हिंदी होगी और सरकारी कामकाज में नागरी अंकों के स्थान पर अंतर्राष्ट्रीय अंकों का प्रयोग होगा।'

14 सितम्बर 1949 को जब संविधान सभा में ‘राजभाषा' संबंधी उपर्युक्त भाग स्वीकृत हुआ, तब संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने कहा, ‘राजभाषा हिंदी देश की एकता को कश्मीर से कन्याकुमारी तक अधिक सुदृढ़ बना सकेगी।”

संविधान में राजभाषा संबंधी प्रावधान

संविधान सभा द्वारा 14 सितंबर, 1949 को देवनागरी लिपि में लिखी हिंदी को भारतीय संघ की राजभाषा के रूप में स्वीकार किया गया। भारत के संविधान में भाग 17 में अध्याय 1 से अध्याय 4 के अंतर्गत अनुच्छेद 343 से 351 तक राजभाषा के संबंध में संवैधानिक उपबंध दिए गए हैं। इनके अतिरिक्त भाग 5, अनुच्छेद 120 (संसद में प्रयोग की जाने वाली भाषा) एवं भाग 6, अनुच्छेद 210 ( विधान मंडल में प्रयोग की जाने वाली भाषा) में भी राजभाषा के विषय में संवैधानिक निर्देश हैं। राजभाषा नीति के कार्यान्वयन हेतु भारत के संविधान में राजभाषा विषयक अनुच्छेदों को दृष्टिगत रखते हुए समय-समय पर अनेक आदेश, संकल्प, अधिनियम, नियम आदि जारी किए गए एवं आयोग और समितियों का गठन किया गया। राष्ट्रपति के आदेश 1952, 1955, तथा 1960 में आए। 

भाषा के विकास के लिए वर्ष 1955 में राजभाषा आयोग का गठन किया गया। इसी तरह शब्दों के निर्माण पर कार्य करने के लिए शब्दावली आयोग का गठन हुआ। राजभाषा अधिनियम, 1963 ( राजभाषा संशोधन अधिनियम, 1967 द्वारा यथा संशोधित, राजभाषा संकल्प 1968 तथा राजभाषा नियम 1976 (यथा संशोधित 1987) बनाए गए। 

भारत सरकार राजभाषा नीति के कार्यान्वयन के लिए समय समय पर विभिन्न समितियों के माध्यम से राजभाषा कार्यान्वयन के प्रगति की समीक्षा करती रहती है और राजभाषा कार्यान्वयन को गति प्रदान करती है।

राजभाषा हिंदी सम्बन्धी समितियां

1. संसदीय राजभाषा समिति : संसदीय राजभाषा समिति का गठन 1957 मे किया गया था । 1959 में अपना समिति ने पहला प्रतिवेदन  राष्ट्रपति के समक्ष सौंपा था। इस समिति ने अभी तक 9 प्रतिवेदन राष्ट्रपति को सौंपा है। इससे पहले के सभी प्रतिवेदनों पर राष्ट्रपति के आदेश जारी हुए हैं। संसदीय समिति की तीन उप समिति गठित है।

2. केन्द्रीय हिन्दी समिति : हिंदी के विकास और प्रसार तथा सरकारी कामकाज में हिंदी के अधिकाधिक प्रयोग के संबंध में सरकार के विभिन्न मंत्रालयों/विभागों द्वारा कार्यान्वित करने संबधी कार्यक्रमों का समन्वय करने और नीति संबंधी दिशा-निर्देश जारी करने वाली यह सर्वोच्च समिति है। प्रधानमंत्री इसके अध्यक्ष होते हैं तथा राजभाषा विभाग के सचिव इसके सदस्य सचिव होते हैं।

3. हिन्दी सलाहकार समितियाँ : सरकार के सभी मंत्रालयों विभागों में राजभाषा नीति का कार्यान्वयन सुनिश्चित करने और इस संबंध में जनता के साथअधिक संपर्क बनाए रखने के लिए हिंदी सलाहकार समितियां गठित की गई है जिसमें संबंधित मंत्रालय के मंत्री अध्यक्ष व लोकसभा तथा राज्यसभा के 2-2 सांसद व संसदीय राजभाषा समिति के 2 नामित सदस्य एवं गैर सरकारी सदस्य / विशिष्ट हिंदी विद्वान आदि होते हैं। संबंधित मंत्रालय के सचिव इसके सदस्य सचिव होते हैं। यह समिति संबंधित विभाग में हिंदी कार्यान्वयन की समीक्षा करने के बाद बेहतर कार्यान्वयन हेतु अपनी सिफारिश करती है।

4. केन्द्रीय राजभाषा कार्यान्वयन समितियाँ :  विभिन्न मंत्रालयों/विभागों तथा कार्यालयों में गठित विभिन्न राजभाषा कार्यान्वयन समितियों के कार्यों में समन्वय स्थापित करने की दृष्टि से यह समिति कार्य करती है। सचिव राजभाषा विभाग इसके अध्यक्ष होते हैं।

5. नगर राजभाषा कार्यान्वयन समितियाँ : जिन नगरों में 10 या अधिक केंद्रीय कार्यालय है वहां नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति के गठन की व्यवस्था है। वर्तमान में कुल 513 नगर राजभाषा कार्यान्वयन समितियां गठित है। इस समिति का अध्यक्ष राजभाषा विभाग द्वारा नामित नगर विशेष में स्थित केंद्रीय सरकार के कार्यालयों/उपक्रमों/बैंकों आदि का वरिष्ठतम अधिकारी होता है। सदस्य कार्यालयों के विभागीय राजभाषा कार्यान्वयन समिति के अध्यक्ष इन समितियों की बैठक में हिस्सा लेते हैं।

6. विभागीय राजभाषा कार्यान्वयन समिति : राजभाषा विभाग के निर्देशानुसार छोटे बड़े कार्यालयों में राजभाषा कार्यान्वयन समिति बनाई जाती है। संबंधित कार्यालय प्रधान इस समिति के अध्यक्ष होते हैं। यह समिति संबधित कार्यालय में हिंदी के प्रगति की समीक्षा करती है व आगे की तिमाही के लिए कार्यक्रम निर्धारित किए जाते हैं। इसकी बैठक वर्ष में चार बार अर्थात प्रत्येक तिमाही में आयोजित की जाती है। 

भारत सरकार की राजभाषा नीति तीन ‘प्र’ पर आधारित है - प्रेरणा, प्रोत्साहन तथा प्रशिक्षण।

Bandey

I am full time blogger and social worker from Chitrakoot India.

Post a Comment

Previous Post Next Post