1928 में गांधी जी ने उन्हें अमरीका और कनाडा भेजा ताकि नई दुनिया को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की समस्याओं से अवगत कराया जा सके। नमक सत्याग्रह के दौरान जब गांधीजी ने 25 अप्रैल 1930 को जैसे ही नमक उठाया सरोजिनी ने ’मुक्ति दाता की जय’ का उद्घोष किया। धरसाना में जब वे स्वतंत्रता सेनानियों का नेतृत्व कर रही थी उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। गांधीजी जब दूसरी गोलमेज परिषद में भाग लेने इंग्लैण्ड गए तब सरोजिनी भी साथ थी।
भारत वापिस आने पर उन्हें गिरफ्तार कर जेल में रखा गया। 8 मई 1933 को वे जेल से मुक्त की गई। उन्होंने दिल्ली में लेडी इर्विन काॅलेज फार वूमेन की स्थापना में सहयोग दिया। भारतीय स्त्री संघ की अध्यक्षता के अलावा आल इंडिया बूमेन्स कांग्रेस के कराची अधिवेशन में उन्होंने भाग लिया। 1942 के भारत छोडो आन्दोलन में वे महात्मा गांधी व अन्य नेताओं के साथ बंदी बना ली गई। 1943 में बीमार हो जाने के कारण उन्हें जेल से छोड़ दिया गया। स्वतंत्रता के 5 माह पूर्व होने वाले एशियाई संबंध सम्मेलन की अध्यक्षता उन्होंने की।
सरोजिनी नायडू की मौत कब हुई थी?
2 मार्च 1948 को
प्रातः 3.30 पर सरोजिनी नायडू की मृत्यु हो गई।
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