सार्वजनिक पुस्तकालय क्या है इसके उद्देश्य तथा कार्य क्या है?

सार्वजनिक पुस्तकालय जो पुस्तकालय बिना किसी भेदभाव के, जाति के, रंग के और व्यवसाय के, सभी के लिए खुला हो उसे हम सार्वजनिक पुस्तकालय कहते है। अर्थात् ऐसा पुस्तकालय जो आम जनता के लिए खुला हो। 

सामान्य रूप से उस पुस्तकालय को सार्वजनिक पुस्तकालय माना जाता है जिसके दरवाजे बिना भेदभाव के सबके लिए खुले हो । और जिसकी सेवाएं सभी को बिना किसी भेदभाव के समान रूप से उपलब्ध हो। 

सार्वजनिक पुस्तकालय क्या है


यूनेस्को द्वारा जारी किए गए सार्वजनिक पुस्तकालयों के लिए घोषणा-पत्र में सार्वजनिक पुस्तकालय के कुछ अन्य लक्षण भी गिनाए गये है। ये लक्षण निम्नांकित है
  1. इसकी स्थापना कानून के आधार पर हुई हो। 
  2. इसकी वित्त व्यवस्था पूर्णरूपेण सरकारी कोष से होती हो। 
  3. किसी भी सेवा के लिए शुल्क न लिया जाता हो तथा 
  4. यह समाज के प्रत्येक सदस्य के लिए समान और निःशुल्क उपयोग के लिए खुला हो 
डा0 रंगनाथन ने भी सार्वजनिक पुस्तकालय की परिभाषा देते हुए लिखा है: सार्वजनिक पुस्तकालय समुदाय द्वारा समुदाय के लिए चलाया जाने वाला एक ऐसा संस्थान है, जो समुदाय के प्रत्यके सदस्य के आजीवन स्वयं अध्ययन करने का आसान अवसर प्रदान करता है।

सार्वजनिक पुस्तकालय के कार्य

क. संग्रह करना- सार्वजनिक पुस्तकालयों को जन पुस्तकालय भी कहा जाता है। समाज के प्रत्येक सदस्य के लिए बिना भेदभाव के तथा जहां तक संभव हो निशुल्क पठन सामग्री उपलब्ध कराना जिससे कि व्यक्ति अनवरत रूप से अनौपचारिक शिक्षा और सूचना प्राप्त कर सकें।

ख. प्रबन्ध करना- सार्वजनिक पुस्तकालय के अन्तर्गत पाठक जिस पुस्तक को मांगे उसे उपलब्ध कराना और उसकी मांग के अनुरूप संग्रहित पाठ्य सामग्रियां े का वगीर्करण तथा सूचीकरण आदि प्रक्रिया करके उनको पाठकों के अनुरूप बनाना। सार्वजनिक पुस्तकालय अपने पाठकों के लिए वांग्मय सूचियां नवीन संग्रह की सूची व अनुक्रमणिका भी तैयार करते है।

ग. प्राढै शिक्षा में सहायक- जो मनुष्य लगातार शिक्षा प्राप्त न कर सके। स्कूलों में न जा सकें उन सब के लिए सार्वजनिक पुस्तकालय पाठय सामग्री उपलब्ध कराकर उनको शिक्षित करता है। प्राढै ़ शिक्षा में ही नहीं बल्कि आस पास के स्कूली छात्रां े का े उनके शिक्षा के पाठ्यक्रम के अनुरूप पाठ्य सामग्री उपलब्ध कराकर सहायता करते है। 

घ. मनोरंजन का साधन- सार्वजनिक पुस्तकालय खाली समय में ज्ञानवर्धक मनोरंजन का साधन है। स्वस्थ मनोरंजन साहित्य उपलब्ध कराकर खाली समय के सदुपयोग को बढावा देना, वृद्ध व्यक्ति, रिटायर्ड आदमी, डाॅक्टर, इन्जीनियर्स सभी के लिए जन पुस्तकालय एक ज्ञानवर्धक समय गुजारने का साधन है।

ड. प्रजातन्त्र में सहायक- सार्वजनिक पुस्तकालय सभी वर्गाे, जातियां,े व्यवसायियों आदि को सेवा प्रदान करता है लागे यहाँ पर सभी प्रकार की पुस्तकें पढते है जिससे पाठकों में प्रजातंत्र की भावना का विकास होता है, आपसी सहयोग की भी भावना भी बढ़ती है।

च. सांस्कृतिक केन्द्र - सार्वजनिक पुस्तकालय सांस्कृतिक केन्द्र के रूप में भी कार्य करता है अपने सभी पाठकों को विभिन्न देशों की सस्ंकृति उनके रहन-सहन, शासन व्यवस्था व पर्वूजांे के बारे में जानकारी देता है। इतिहास में घटित घटनाओं की जानकारी भी सार्वजनिक पुस्तकालय अपने संसाधनों से अपने पाठकों को उपलब्ध कराते है। जिससे हमें अपनी सस्ंकृति के साथ - साथ विभिन्न संस्कृतियों की भी जानकारी मिलती है। 

छ. अन्य सेवाये - जन पुस्तकालय अपने पाठकों को अपने पुस्तकालयों के संसाधनों से ही नहीं बल्कि अन्य पुस्तकालयों के संसाधनों से भी नेटवर्क के माध्यम से जुड़कर अन्र्तपुस्तकालय ऋण के द्वारा अपने पाठकों को उनकी आवश्यक सामग्री उपलब्ध कराते है। फोटाकापी सेवा, पुस्तकों का आदान-प्रदान, वांग्मय सूची, पुस्तकों की समीक्षा सी0ए0एस0, एस0डी0आई0 तथा इन्टरनेट सेवा भी सार्वजनिक पुस्तकालय अपने पाठकों को उपलब्ध कराते है।

भारत में सार्वजनिक पुस्तकालयों की स्थिति

आजादी के 70 वर्ष बीत जाने पर भी भारत के सभी राज्यों में पुस्तकालय अधिनियम पारित नहीं हो सका है। वर्तमान समय में अधिकांश राज्यों में पुस्तकालय अधिनियम पारित हो पाये है। भारत में सार्वजनिक पुस्तकालयों की स्थिति भी अच्छी नहीं है। छोटे कस्बों व गाॅवांे में तो पुस्तकालय ही नहीं है। जिन राज्यों में अधिनियम पारित नहीं हुआ है वहां अधिनियम पारित करने के लिए और प्रभावशाली कदम उठाने चाहिए। पहले से स्थापित पुस्तकालयों के रख-रखाव और उनके अद्यतन के लिए नई सूचना तकनीकी व प्रौद्योगिकी को अपनाना चाहिए। नय-े 2 पुस्तकालय खोलने चाहिए तथा योग्यता से परिपणर््ू ा कर्मचारियों की इन पुस्तकालयों में नियुक्ति करनी चाहिए।

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