स्वच्छ भारत अभियान के उद्देश्य

स्वच्छ भारत अभियान के उद्देश्य

स्वच्छ भारत अभियान भारत सरकार द्वारा आरम्भ किया गया राष्ट्रीय स्तर का अभियान है।  2 अक्टूबर, 2014 को देश भर में एक राष्ट्रीय आंदोलन के रूप में स्वच्छ भारत मिशन की शुरुआत हुई। इस अभियान में शामिल होने के लिए आम जनता को आमंत्रित करने के कारण स्वच्छता अभियान एक राष्ट्रीय आंदोलन बन गया। स्वच्छ भारत मिशन के माध्यम से लोगों में जिम्मेदारी की भावना आई और अब महात्मा गाँधी जी का ‘स्वच्छ भारत’ का सपना साकार होने लगा है। समाज के विभिन्न वर्गों के लोग आगे आए और सफाई के इस जन आंदोलन में शामिल हुए। सरकारी अधिकारियों से लेकर जवानों तक, बॉलीवुड अभिनेताओं से लेकर खिलाडि़यों तक, उद्योगपतियों से लेकर आध्यात्मिक गुरुओं तक, सभी इस कार्य से जुड़े।

देश भर में लाखों लोग दिन-प्रतिदिन सरकारी विभागों, NGO और स्थानीय सामुदायिक केंद्रों के स्वच्छता कार्यक्रमों से जुड़ रहे हैं। सफ़ाई अभियानों के निरंतर आयोजनों के साथ-साथ देश भर में नाटकों और संगीत के माध्यम से सफ़ाई के प्रति लोगों को जागरूक किया जा रहा है।

स्वच्छ भारत अभियान के उद्देश्य

स्वच्छ भारत अभियान का उद्देश्य 1.04 करोड़ परिवारों को लक्षित करते हुए 2.5 लाख समुदायिक शौचालय, 2.6 लाख सार्वजनिक शौचालय और प्रत्येक शहर में एक ठोस अपशिष्ट प्रबंधन की सुविधा प्रदान करना है। इस कार्यक्रम के तहत आवासीय क्षेत्रों में जहाँ व्यक्तिगत घरेलू शौचालयों का निर्माण करना मुश्किल है, वहाँ सामुदायिक शौचालयों का निर्माण कराना है। पर्यटन स्थलों, बाज़ारों, बस स्टेशनों, रेलवे स्टेशनों जैसे प्रमुख स्थानों पर भी सार्वजनिक शौचालयों का निर्माण किया जाएगा। यह कार्यक्रम पाँच साल की अवधि में 4401 शहरों में लागू किया जाएगा। कार्यक्रम पर खर्च किए जाने वाले 62,009 करोड़ रुपये में केंद्र सरकार की तरफ़ से 14623 करोड़ रुपये उपलब्ध कराए जाएंगे। इस कार्यक्रम में खुले में शौच, अस्वच्छ शौचालयों को फ्लश शौचालय में परिवर्तित करना, मैला ढ़ोने की प्रथा का उन्मूलन करना और स्वस्थ एवं स्वच्छता से जुड़ी प्रथाओं के संबंध में लोगों के व्यवहार में परिवर्तन लाना हैं।

आम जनता के सहयोग के बिना कोई भी कार्यक्रम सफल नहीं हो सकता है। सरकार द्वारा आयोजित कई कार्यक्रमों में जन-सहभागिता उसके सुचारु रूप से कार्यान्वयन हेतु आवश्यक है। शहरों को स्वच्छ एवं सुरक्षित रखने हेतु सरकार द्वारा विभिन्न प्रयास किए जा रहे हैं, किन्तु जन-सहभागिता उनके सफल होने में अत्यावश्यक है-

1. प्रत्येक व्यक्ति को घरों से निकलने वाला कचरा कचरेदान में ही डालना चाहिए एवं नालियों की उचित रूप से सफाई करवानी चाहिए। इसके लिए स्वयं जागरूक होकर अन्य लोगों को भी जागरूक करने की आवश्यकता है।

2. सरकार द्वारा चलाई जाने वाली विभिन्न योजनाओं के प्रचार-प्रसार में प्रत्येक व्यक्ति को स्वेच्छा से योगदान देना चाहिए।

3. स्वच्छता एवं सुरक्षा के विषय पर बच्चों को स्कूल स्तर पर ही जागरूक करने की आवश्यकता है। स्कूलों में बच्चों द्वारा लोगों को स्वच्छता के प्रति जागरूक करने हेतु रैली निकाली जाती है, किन्तु उन्हें भी स्वच्छता के विषय में गंभीरता से जागरूक करने की आवश्यकता है।

4. कहीं भी असामाजिक तत्व दिखाई देने पर तुरंत पुलिस को सूचित करना चाहिए।

5. सरकार द्वारा पोलिथीन को पूर्ण रूप से प्रतिबंधित कर दिया गया है, फिर भी आम जनता द्वारा पोलिथीन का उपयोग किया जा रहा है। पोलिथीन का उपयोग वातावरण के लिए हानिकारक है। पोलिथीन के नियमित उपयोग से बिसफेनोल रसायन शरीर में डायबिटीज़ व लीवर एंजाइम को असामान्य कर देता है। पोलिथीन कचरा जलाने से कार्बन- डाई-ऑक्साइड, कार्बन-मोनो-ऑक्साइड जैसी विषैली गैसें उत्सर्जित होती है जिनसे साँस, त्वचा आदि की बीमारियां होने की आशंका में वृद्धि हो जाती है। अतः सरकारी स्तर पर बनाए गए नियमों को जन-जागरूकता से ही अमल में लाया जा सकता है।

6. सरकार द्वारा आयोजित विभिन्न कार्यशालाओं में सक्रिय भागीदारी करके भी शहरों को स्वच्छ एवं सुरक्षित रखने में अपना योगदान दिया जा सकता है। इस प्रकार कोई भी नीति या नियम व्यक्ति द्वारा व्यक्ति के लिए बनाया जाता है, किन्तु वह तभी सफल होता है जब व्यक्ति (आम जनता) द्वारा उसका अनुपालन सुनिश्चित रूप से हो। हम जहाँ रहते हैं, उसे स्वच्छ एवं सुरक्षित रखना सरकार के साथ-साथ जनता की भी जि़म्मेदारी है, जिसे मिलजुल कर पूरा किया जा सकता है।

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