ऊर्जा संकट के कारण क्या है ?

ऊर्जा संकट के कारण

पश्चिमी विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी पर आधारित आधुनिक सभ्यता के पोषण के लिए मानव ने जिस ऊर्जा स्रोत पेट्रोलियम का विगत शताब्दी के अंत में अत्यधिक उपयोग किया, उसके समाप्त होने की संभावना वर्ष 1973 में ऊर्जा संकट के रूप में उभरकर सामने आई। ऊर्जा के इस संकट ने तीसरे विश्व के अधिकांश देशों को चिन्तित कर

दिया। वर्तमान स्थिति को देखते हुए तथा ऊर्जा संकट से बचने हेतु स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन के वैकल्पिक स्रोतों के विकास तथा उनके उपयोग की नितान्त आवश्यकता प्रतिपादित की गई। इसके लिए दो सबसे उत्तम मार्ग है- पहला ऊर्जा संरक्षण को अधिक-से-अधिक प्रोत्साहन देना तथा दूसरा पर्यावरण अनुकूल वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों
को प्रयोग में लाना, जिससे ऊर्जा की बढ़ती हुई मांग की पूर्ति की जा सके।

वस्तुतः वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों से ऊर्जा उत्पादन आज इसलिए भी आवश्यक है क्योंकि तेल की कीमतें अंतर्राष्ट्रीय बाजार में प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। कोयला, पेट्रोल, डीजल एवं प्राकृतिक गैस के भंडार सीमित है। और अनुमान यह है कि इनकी खपत में यदि कमी नहीं लायी गई तो आने वाले लगभग 40-50 वर्षों में इनका भंडार समाप्त हो सकता है। फिर ऊर्जा के इन परंपरागत संसाधनों का विकल्प क्या होगा? इसलिए भविष्य की ऊर्जा जरूरतों को पूर्ण करने के लिए हमें बेहतर भविष्य के लिए वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों का भी अधिकाधिक उपयोग करना होगा।

ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों के साथ एक बात और अच्छी भी है कि ये पर्यावरण को स्वच्छ रखते है तथा इनसे कार्बन उत्सर्जन भी नहीं होता है और वैश्विक तापन से बचाव का रास्ता भी खुलता है।

ऊर्जा संकट के कारण

वस्तुतः इक्कीसवीं शताब्दी की प्रमुख समस्याओं में ऊर्जा भी एक महत्वपूर्ण समस्या है, जो विश्वव्यापी भी है। इसके संभावित कारण  हैं-
  1. निरंतर बढ़ती जनसंख्या
  2. मानव की बढ़ती भौतिक एवं भोगविलास की प्रवृति
  3. एकल परिवहन व्यवस्था
  4. जीवाश्म ईधनों की कमी
  5. ऊर्जा का आदतन दुरूपयोग (सभी स्तर पर)
  6. कृषि में दुरुपयोग
  7. औद्योगिक क्षेत्र में अधिक अपव्यय
  8. ऊर्जा के अक्षय स्रोतों के उपयोग में कम रुझान
  9. ऊर्जा शिक्षा का अभाव

Bandey

I am full time blogger and social worker from Chitrakoot India.

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