विज्ञान का अर्थ, परिभाषा, क्षेत्र, दैनिक जीवन में विज्ञान का महत्व

विज्ञान का अर्थ

विज्ञान शब्द ‘वि’ एवं ‘ज्ञान’ दो शब्दों से मिलकर बना है जिसका अर्थ है विशिष्ट ज्ञान। वह ज्ञान, जो बुद्धि द्वारा ग्रहण किया जाय और शब्दों के माध्यम से दूसरों तक पहुँचाया जाये, विज्ञान है। विज्ञान को अंग्रेजी में Science कहते हैं, जो लैटिन भाषा के शब्द साइण्टिया से निर्मित हुआ है। इसका अर्थ होता है - जानना अथवा ज्ञान। इस प्रकार मानव का सभी ज्ञान विज्ञान की परिधि में आता है। 

विज्ञान की परिभाषा

‘ब्रिटानिका इन्साइक्लोपीडिया’ में विज्ञान शब्द की व्याख्या दी गई है - ‘‘विज्ञान नैसर्गिक घटनावली तथा उनके बीच के संबंधों का सुसम्बद्ध ज्ञान है। वस्तुतः व्यापक अर्थ में किसी भी विषय ज्ञान, वस्तु ज्ञान अथवा व्यवस्थित ज्ञान को विज्ञान कहा जा सकता है। ‘स्पेन्सर’ के अनुसार - ‘‘ज्ञान के सुव्यवस्थित रूप का नाम विज्ञान है । 

‘जे.बी. कोनाण्ट’ ने आधुनिक संदर्भ में विज्ञान की यह परिभाषा दी है - ‘‘प्रयोगों तथ प्रेक्षणों द्वारा ऐसी अंतग्र्रथित विचारों की श्रृंखला का अध्ययन, जो भविष्य के सम्भावित प्रयोगों तथा प्रेक्षणों के लिये उपयोगी सिद्ध हो, विज्ञान कहलाता है। 

विज्ञान के क्षेत्र 

जहां तक विज्ञान के क्षेत्र का प्रश्न है तो प्राचीनकाल में विज्ञान के अंतर्गत मुख्यतः भौतिकविज्ञान, जीवविज्ञान, वनस्पति विज्ञान, रसायन विज्ञान, भू-विज्ञान, खगोल विज्ञान, गणित आदि क्षेत्र आते थे, जबकि वर्तमान में विज्ञान के अंतर्गत पांच सौ से अधिक शाखायें विकसित हो चुकी हैं।

दैनिक जीवन में विज्ञान का महत्व 

हमारे चारों ओर विज्ञान है। हम सोच रहे हैं, भोजन कर रहे हैं, दौड़ रहे हैं या सांस ले रहे हैं इन सभी जैविक क्रियाओं के पीछे कहीं न कहीं विज्ञान के सिद्धान्त कार्य कर रहे हैं। मानव सभ्यता के विकास में विज्ञान का उद्भव मनुष्य की सबसे बड़ी उपलब्धि है। विज्ञान ने मनुष्यों को तमाम रोग व्याधियों से मुक्ति दी है और असंख्य दैनिक सुविधाओं से लैश भी किया है। विज्ञान को मनुष्य का वफादार नौकर की संज्ञा भी दी जा सकती है जो जीवन भर हमारे आदेशों का पालन करता रहता है।

वहीं दूसरी तरफ यदि विज्ञानरूपी शक्ति का हम दुरुपयोग करें तो यह क्षण भर में विनाश का मंजर भी ला सकता है। परमाणु की शक्ति जहां एक तरफ लाखों घरों में बिजली का उजाला फैला सकती है, वहीं दूसरी ओर परमाणु बम बनने पर जीवन में अंधेरा भी ला सकती है। विज्ञान ने हमारे जीवन में आमूल-चूल परिवर्तन लाये हैं और यह सब विज्ञान के सिद्धान्तों के उपयोग से बने उन उपकरणों के कारण संभव हुआ है जिन्होंने हमारे जीवन को सरल बनाया है। आज जहाँ भी अपनी नजर दौड़ाएंगे तो यही पाएंगे कि विज्ञान के सिद्धान्तों के हमारे जीवन के हर क्षेत्र में व्यावहारिक उपयोग पर आज समूची दुनिया निर्भर हो चुकी है।

वर्तमान समय में हम चाहते हुए भी विज्ञान को अपने विज्ञान से निकाल नहीं सकते। यदि विज्ञान के बिना दुनिया की कल्पना करें तो हमें एक गहरा शून्य ही दिखाई देता है। कल्पना कीजिये कि अब तक एडिसन ने विद्युत बल्ब का आविष्कार न किया होता तो शायद पूरी दुनिया अंधेरे में डूबी रहती। हियरिंग ऐड के आविष्कार ने बहरों को सुनने में मदद की है और कृत्रिम अंगों के उपयोग से अपंग व्यक्ति भी चलने-फिरने लायक बन गए हैं। यहाँ विज्ञान वरदान के समान साबित हुआ है। विज्ञान ने आधुनिक जीवन में हमें कई उपहार दिए हैं।

विज्ञान तो बस एक शक्ति होती है। विज्ञान का मनुष्य सदुपयोग भी कर सकता है और दुरुपयोग भी। असल में जो विनाश हुआ था उसका जिम्मेदार हम विज्ञान को नहीं मान सकते। वह तो निर्जीव होता है। विज्ञान का सदुपयोग करना है या दुरुपयोग यह बात मनुष्य पर ही निर्भर करती है।

विज्ञान तो मनुष्य का दास होता है। मनुष्य उसे जैसी आज्ञा देता है विज्ञान वैसा ही करता है। विज्ञान एक तलवार की तरह होता है जिससे किसी को बचाया भी जा सकता है और मारा भी जा सकता है। विज्ञान के प्रयोग को मनुष्य जाति के कल्याण के लिए किया जाना चाहिए। मनुष्य जाति के विनाश के लिए नहीं।

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